देहरादून: विजय दिवस पर जश्न की एक ऐसी तस्वीर हम आपको दिखाने जा रहे हैं जिसे देखकर आपको खुशी के साथ गर्व महसूस होगा. 16 दिसम्बर 1971 मतलब आज के ही दिन भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ था. इस युद्ध में भारत ने पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था. इस दिन को पूरा देश विजय दिवस के रूप में मनाता है. ईटीवी भारत की टीम ने उस युद्ध में जांबाजी से लड़ने वाले कैप्टन विजेंद्र गुरंग से खास बातचीत की.
साल 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध 12 दिनों तक चला था. इस युद्ध में पाक सेना का नेतृत्व कर रहे लेफ्टिनेंट जनरल एके नियाजी ने अपने 93 हजार सैनिकों के साथ भारतीय सेना के कमांडर ले. जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने आत्मसमर्पण कर लिया था. हालांकि इस युद्ध में भारत के लगभग 3900 जवान शहीद हो गए थे. इस युद्ध के बारे में कैप्टन विजेंद्र गुरुंग ने युद्ध के दौरान अपनी टीम की दास्तां को बयां किया.
साल 1971 के भारत-पाक युद्ध में डटकर लड़ने वाले कैप्टन विजेंद्र गुरुंग विजय दिवस के मौके पर जश्न मना रहे हैं. थर्ड असम रेजीमेंट में कैप्टन रहे विजेंद्र गुरुंग ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए बताया कि 3 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान ने भारत पर हमला किया था. कैप्टन गुरंग बताते हैं कि उन दिनों वो लाइन ऑफ कंट्रोल में पड़ने वाले फाजिल्का सेक्टर में अपनी प्लॉटून के साथ तैनात थे. उन्होंने बताया कि 3 दिसंबर 1971 को शाम 6 बजकर 15 मिनट पर पाकिस्तान की ओर से अचानक हमला कर दिया गया. इस दौरान 4 जाट रेजीमेंट और 15 राजपूत रेजीमेंट के साथ थर्ड असम ने दुश्मनों का डटकर मुकाबला किया.
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कैप्टन गुरुंग ने बताया कि जब सामने की ओर से दुश्मन आए तो उनके द्वारा ये कहा गया कि हम दुश्मन नहीं हैं और धोखे से हमला हुआ. जिसके बाद कैप्टन गुरंग और उनके साथ छह अन्य सिपाहियों को दुश्मन ने बंदी बना लिया. इसके बाद 1 साल 1 महीने तक पाकिस्तान में जंगी कैदी के रूप में रहने के बाद कैप्टन विजेंद्र गुरुंग को सम्मान सहित भारत देश लौटा दिया गया.
आज कैप्टन गुरुंग अकेले ही रहते हैं और अपने बीते लम्हों को याद करते हैं. उनका कहना है कि देश के लिए लड़ने वाला हर एक वीर जवान देश के लिए अमर है. उन्होंने सभी से अपील की कि सभी लोग देश में खुशहाली रखें और प्यार बांटें, जिससे देश की रक्षा के लिए सरहद पर खड़ा जवान अपने आप पर गर्व महसूस करता रहे.