देहारदून: बुधवार को कोविड-19 के दबाव के बीच चले तकरीबन 3 घंटे के मॉनसून सत्र के साथ कई विधेयकों के अलावा सीएजी जैसी महत्वपूर्ण रिपोर्ट भी आकर चली गई. इस रिपोर्ट में सरकार के वित्तीय प्रबंधन को लेकर तमाम बातें कही गई हैं, जिन पर किसी का भी ध्यान नहीं गया. कैग की इस रिपोर्ट में क्या रहा खास आइये आपको बताते हैं.
बुधवार को सदन में महालेखा परीक्षक यानी सीएजी कैग की रिपोर्ट ने सरकार के वित्तीय प्रबंधन पर कई सवाल खड़े किए हैं. सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने 2006-07 से लेकर 2017-18 के बीच तय बजट से ₹27194 करोड़ अधिक खर्च किए हैं. यह धनराशि विधानसभा से नियमित नहीं कराई गई. जिससे यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि यह राशि सरकार ने इन कार्यों में खर्च की है.
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कैग ने सरकार के इस वित्तीय प्रबंधन को गलत बताया है, साथ ही कहा है कि ऋणों की वसूली में भी सरकार का परफॉर्मेंस गिरा हुआ है. रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2014-15 से लेकर वर्ष 2018-19 तक ₹800 करोड़ की अग्रिम राशि ऋण के रूप में दी गई. मगर इसकी वसूली ठीक से नहीं हुई. जिससे बकाया ऋण बेहद बढ़ा हुआ है.
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हालांकि, इस सब के बीच मौजूदा वित्तीय प्रबंधन को रिपोर्ट में थोड़ा बेहतर बताया गया है. कैग की रिपोर्ट में राज्य का प्राथमिक घाटा हाल के समय में कम हुआ है, जो कि सुव्यवस्थित वित्तीय स्थिति का संकेत है. रिपोर्ट के अनुसार 2014-15 में प्राथमिक घाटा ₹3420 करोड़ था जो वर्ष 2015-16 में ₹3154करोड़, वर्ष 2016-17 में ₹1744 करोड़ और वर्ष 2017-18 में फिर ₹3948 करोड़ और इस जारी वित्तीय वर्ष में घट कर 2845 रह गया है. यह राज्य की वित्तीय स्थिति में सुधार के संकेत हैं.