देहरादून: समय-समय पर अपने बयानों को लेकर चर्चाओं में रहने वाले कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत ने एक और बड़ा बयान देकर विवाद खड़ा कर दिया है. भगत ने रविवार (4 जुलाई) को राजभवन में आयोजित धामी कैबिनेट के शपथ समारोह कार्यक्रम में ये बयान दिया है.
दरअसल, रविवार शाम राजभवन में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी समेत 11 कैबिनेट मंत्रियों ने पद और गोपनीयता की शपथ ली थी. शपथ समारोह के समापन के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत ने प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन के सवाल पर बड़ा बयान दे दिया.
बंशीधर भगत ने कहा कि-
प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन, पार्टी के अंदर का मामला है. हम 10 मुख्यमंत्री बनाएं या फिर एक या दो मुख्यमंत्री बनाएं, इससे जनता को मतलब नहीं है. जनता को काम चाहिए, जनता को स्वराज चाहिए, अच्छा राज्य चाहिए. वो हमने दिया है.
हालांकि, यह कोई पहला मामला नहीं है जब बंशीधर भगत ने विवादित बयान देकर राज्य सरकार की किरकिरी करायी हो. इससे पहले भी त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल के दौरान भी प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए बंशीधर भगत ने तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश को लेकर भी विवादित बयान दिया था. जिस पर तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को माफी मांगनी पड़ी थी.
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गौर हो कि बंशीधर भगत को शायद ये नहीं पता कि-
राज्य में एक अधिकारी भी इधर से उधर जाता है तो राज्य की जनता का पैसा उसमें खर्च होता है, और यहां तो चार महीने के अंदर तीन-तीन मुख्यमंत्री बदले गए हैं. एक मुख्यमंत्री को बदलने का मतलब है तमाम तरह की योजनाओं पर फर्क पड़ना. एक मुख्यमंत्री के बाद दूसरे मुख्यमंत्री को राज्य को समझने में भी समय लगता है जिसके कारण 10 से 15 दिनों तक राज्य के विकास कार्यों की गति रुक जाती है. नए मुख्यमंत्री की व्यवस्थाओं को देखने और अन्य तैयारियों में करोड़ों रुपए खर्च होते हैं.
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इतना सब कुछ होने के बाद भी बंशीधर भगत को लगता है कि राज्य की जनता को इससे कोई लेना-देना नहीं होना चाहिए कि उत्तराखंड सरकार में कितने मुख्यमंत्री बदले जा रहे हैं. एक ओर जनता की गाढ़ी कमाई खर्च हो रही है और बंशीधर कह रहे हैं हम 10 मुख्यमंत्री बदलें या 15, जनता को इससे क्या मतलब.