देहरादून: कोरोना कर्फ्यू का इफेक्ट हर व्यवसाय पर पड़ा है. कोरोनाकाल में पिछले डेढ़ साल से ज्यादा समय से बंद चल रहे स्कूलों का सीधा असर व्यवसायिक वाहन चालकों पर भी पड़ा है.ऑटो रिक्शा चालक सामान्य समय में बच्चों को स्कूल छोड़ने या फिर स्कूल से घर छोड़ने का कार्य किया करते थे. एक और कोविड कर्फ्यू का असर दूसरी ओर पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से उनके आगे 'आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपैया' की स्थिति बनी हुई है.
गौर हो कि कोविड कर्फ्यू में राहत देते हुए राज्य सरकार ने व्यवसायिक वाहनों को संचालन की अनुमति दी है. लेकिन इसके बाद भी ऑटो रिक्शा चालकों का व्यवसाय पटरी पर नहीं लौट पा रहा है. दून ऑटो रिक्शा यूनियन के अंतर्गत देहरादून शहर में लगभग 24 ऑटो रिक्शा का संचालन होता है.
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जिसमें से 1000 से ज्यादा ऐसे ऑटो रिक्शा संचालक हैं, जो सामान्य समय में स्कूली छात्र-छात्राओं को घर से स्कूल और स्कूल से घर तक छोड़ने का कार्य करते हैं. इस तरह एक ऑटो रिक्शा में 6 स्कूली छात्र-छात्राओं को बतौर सवारी सेवा दी जाती है, जिससे उनकी आर्थिकी ठीक चल जाती थी. लेकिन वर्तमान समय में स्कूल बंद होने से उनके सामने रोजी-रोटी का संकट गहरा गया है.
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देहरादून शहर के ऑटो रिक्शा संचालकों ने बताया कि कोरोना वायरस का यह दौर उनके लिए काफी मुश्किल भरा रहा है. लेकिन इसके बावजूद सवारियां न मिलने के चलते आमदी नहीं हो पा रही है. वहीं, पेट्रोल-डीजल के दाम आए दिन आसमान छू रहे हैं.
वर्तमान समय में पूरे दिन भर में 500 की कमाई करना भी मुश्किल हो गया है और तेल का खर्चा तक नहीं चल पा रहा है. उन्होंने कहा कि कारोबार प्रभावित होने से घर चलाने में भी उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. शहर के तमाम ऑटो रिक्शा चालकों ने सरकार से स्कूल खोलने की गुहार लगाई है, जिससे उनका व्यवसाय पटरी पर लौट सके.