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जौनसार बावर क्षेत्र में हिरण-हाथी नृत्य के साथ बूढ़ी दिवाली का समापन - Elephant and deer dance in Jaunsar Bawar region

विकासनगर के जौनसार बावर क्षेत्र में गुरुवार को बड़े धूमधाम के साथ बूढ़ी दिवाली का समापन हुआ. इस मौके पर परंपरागत तरीके से हाथी और हिरण नृत्य का आयोजन किया गया.

vikasnagar news
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Published : Dec 17, 2020, 8:27 PM IST

विकासनगरः नगर के जौनसार बावर क्षेत्र में बूढ़ी दिवाली के मौके पर परंपरागत तरीके से हाथी और हिरण नृत्य का आयोजन किया गया. ग्रामीणों ने काट के हाथी और हिरण नृत्य के साथ बूढ़ी दीपावली का जश्न मनाया. पंचायती आंगन लोक कला और संस्कृति से गुलजार रहे.

जनजाति क्षेत्र जौनसार बावर से जुड़े करीब 200 से अधिक गांवों में तीन-चार दिनों से परंपरागत बूढ़ी दीवाली का जश्न चल रहा है. गुरुवार को बूढ़ी दिवाली के मौके पर पुरवा गांव में हिरण नृत्य के साथ ही दीपावली का समापन हुआ. ग्रामीण महिलाओं ने परंपरागत तरीके से जौनसारी तांदी नृत्य की प्रस्तुति दी. इसके अलावा जौनसार के कई ग्रामीण इलाकों में बूढ़ी दिवाली के मौके पर हाथी नाच का भी आयोजन किया गया. जौनसार के कोरबा गांव में हिरण नृत्य के साथ बूढ़ी दिवाली का परंपरागत तरीके से समापन हो गया. क्षेत्र के पंचायती आंगन लोकगीतों के नृत्य से गुलजार रहे.

वहीं, खत स्याणा बुध सिंह तोमर ने बताया कि, बूढ़ी दीपावली में हिरण नृत्य व हाथी नृत्य अपने ईष्ट देवता के नाम से बनाए जाते हैं और सभी लोग इस दीपावली में अपने ईष्ट देवता की आराधना के साथ हर्षोल्लास से दीपावली का आनंद लेते हैं.

ये भी पढ़ेंः Discovery India चैलेंज में उत्तराखंड की बेटी, हिमालयी नदियों में लगातीं हैं गोते

वहीं, ग्रामीण चंद्र सिंह ने बताया कि दीपावली का जश्न मनाने के लिए हम नौकरी में इस समय के लिए छुट्टियां बचा कर रखते हैं. हम अपने परिवार के साथ गांव में आए हैं. बूढ़ी दीपावली हमारी जनजातीय परंपरा की पहचान है और हम इस परंपरागत बूढ़ी दिवाली को हर्षोल्लास के साथ मना रहे हैं और आगे भी मनाते रहेंगे.

विकासनगरः नगर के जौनसार बावर क्षेत्र में बूढ़ी दिवाली के मौके पर परंपरागत तरीके से हाथी और हिरण नृत्य का आयोजन किया गया. ग्रामीणों ने काट के हाथी और हिरण नृत्य के साथ बूढ़ी दीपावली का जश्न मनाया. पंचायती आंगन लोक कला और संस्कृति से गुलजार रहे.

जनजाति क्षेत्र जौनसार बावर से जुड़े करीब 200 से अधिक गांवों में तीन-चार दिनों से परंपरागत बूढ़ी दीवाली का जश्न चल रहा है. गुरुवार को बूढ़ी दिवाली के मौके पर पुरवा गांव में हिरण नृत्य के साथ ही दीपावली का समापन हुआ. ग्रामीण महिलाओं ने परंपरागत तरीके से जौनसारी तांदी नृत्य की प्रस्तुति दी. इसके अलावा जौनसार के कई ग्रामीण इलाकों में बूढ़ी दिवाली के मौके पर हाथी नाच का भी आयोजन किया गया. जौनसार के कोरबा गांव में हिरण नृत्य के साथ बूढ़ी दिवाली का परंपरागत तरीके से समापन हो गया. क्षेत्र के पंचायती आंगन लोकगीतों के नृत्य से गुलजार रहे.

वहीं, खत स्याणा बुध सिंह तोमर ने बताया कि, बूढ़ी दीपावली में हिरण नृत्य व हाथी नृत्य अपने ईष्ट देवता के नाम से बनाए जाते हैं और सभी लोग इस दीपावली में अपने ईष्ट देवता की आराधना के साथ हर्षोल्लास से दीपावली का आनंद लेते हैं.

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वहीं, ग्रामीण चंद्र सिंह ने बताया कि दीपावली का जश्न मनाने के लिए हम नौकरी में इस समय के लिए छुट्टियां बचा कर रखते हैं. हम अपने परिवार के साथ गांव में आए हैं. बूढ़ी दीपावली हमारी जनजातीय परंपरा की पहचान है और हम इस परंपरागत बूढ़ी दिवाली को हर्षोल्लास के साथ मना रहे हैं और आगे भी मनाते रहेंगे.

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