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मसूरी में डॉ. भीमराव आंबेडकर को महापरिनिर्वाण दिवस पर किया याद, दी श्रद्धांजलि

इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि डॉ. भीमराव आंबेडकर के नेतृत्व में बनाये गये संविधान का लोहा पूरा विश्व मानता है. जिसमें सभी वर्गों और समाज के बारे में सोचा गया है.

आंबेडकर परिनिर्वाण दिवस.
आंबेडकर परिनिर्वाण दिवस.
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Published : Dec 6, 2020, 7:31 PM IST

मसूरी: नगर के लाइब्रेरी स्थित आंबेडकर चौक पर भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर का 65वां महापरिनिर्वाण दिवस मनाया गया. इस कार्यक्रम में मसूरी भाजपा मंडल, मसूरी कांग्रेस, भाजपा युवा मोर्चा, कांग्रेस यूथ संगठन व पालिका सभासदों सहित मसूरी के राजनीतिक-सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया और आंबेडकर की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी.

इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि डॉ. भीमराव आंबेडकर के नेतृत्व में बनाये गये संविधान का लोहा पूरा विश्व मानता है. जिसमें सभी वर्गों और समाज के बारे में सोचा गया है. उन्होंने कहा कि आंबेडकर ने देश को आजाद करने की लड़ाई के साथ-साथ देश में दबे कुचले समाज को समानता का अधिकार दिलाने के लिए भी लड़ाई लड़ी. वहीं, संविधान का निर्माण कर देश को नई दिशा दी.

पढ़े- आंबेडकर को याद कर बोले पीएम- उनके विचार से हमलोगों को मिल रही ताकत

वक्ताओं ने कहा कि आंबेडकर को सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी जब दलित समाज के साथ अन्य गरीब वर्ग और दबे कुचले समाज के बच्चों को शिक्षित हो. क्योंकि बिना शिक्षा के कोई भी समाज तरक्की नहीं कर सकता. उन्होने कहा कि आंबेडकर एक समाज के नहीं बल्कि जन-जन के मार्गदर्शक थे. इसलिए उन्होंने संविधान की रचना कर धर्मनिरपेक्ष देश को बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया व समाज को संकीर्ण मानसिकता से दूर कर समाज में समानता के लिए कार्य किया.

मसूरी: नगर के लाइब्रेरी स्थित आंबेडकर चौक पर भारतीय दलित साहित्य अकादमी द्वारा भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर का 65वां महापरिनिर्वाण दिवस मनाया गया. इस कार्यक्रम में मसूरी भाजपा मंडल, मसूरी कांग्रेस, भाजपा युवा मोर्चा, कांग्रेस यूथ संगठन व पालिका सभासदों सहित मसूरी के राजनीतिक-सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया और आंबेडकर की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी.

इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि डॉ. भीमराव आंबेडकर के नेतृत्व में बनाये गये संविधान का लोहा पूरा विश्व मानता है. जिसमें सभी वर्गों और समाज के बारे में सोचा गया है. उन्होंने कहा कि आंबेडकर ने देश को आजाद करने की लड़ाई के साथ-साथ देश में दबे कुचले समाज को समानता का अधिकार दिलाने के लिए भी लड़ाई लड़ी. वहीं, संविधान का निर्माण कर देश को नई दिशा दी.

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वक्ताओं ने कहा कि आंबेडकर को सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी जब दलित समाज के साथ अन्य गरीब वर्ग और दबे कुचले समाज के बच्चों को शिक्षित हो. क्योंकि बिना शिक्षा के कोई भी समाज तरक्की नहीं कर सकता. उन्होने कहा कि आंबेडकर एक समाज के नहीं बल्कि जन-जन के मार्गदर्शक थे. इसलिए उन्होंने संविधान की रचना कर धर्मनिरपेक्ष देश को बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया व समाज को संकीर्ण मानसिकता से दूर कर समाज में समानता के लिए कार्य किया.

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