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त्रिवेंद्र सरकार का वादा इस साल भी नहीं हुआ पूरा, बढ़ती जा रही बेरोजगारों की 'फौज' - देहरादून हिंदी समाचार

उत्तराखंड में युवाओं में बेरोजगारी की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है. ऐसे में युवा पलायन करने को मजबूर हैं. लेकिन त्रिवेंद्र सरकार बेरोजगारी को खत्म करने में अभी तक कोई भी ठोस कदम नहीं उठा सकी है.

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भाजपा के दावे इस साल भी हुए फेल
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Published : Dec 31, 2019, 1:12 PM IST

Updated : Dec 31, 2019, 5:23 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में रोजगार को लेकर भाजपा के वादे को सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत इस बार भी पूरा नहीं कर पाए. राज्य में जहां बेरोजगारी बढ़ी है, वहीं, इसको लेकर यहां की स्थिति और भी बिगड़ती जा रही है. ऐसे में युवाओं का पलायन भी लगातार बढ़ता जा रहा है. बेरोजगार युवाओं का कहना है कि त्रिवेंद्र सरकार साल 2019 के खत्म होने तक रोजगार को लेकर घोषणा पत्र को धरातल तक पहुंचाने में नाकाम साबित हुई है.

भाजपा के दावे इस साल भी हुए फेल
वैसे तो पूरा देश ही बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहा है, लेकिन उत्तराखंड में रोजगार का मामला कुछ ज्यादा ही गंभीर है. ऐसा इसलिए क्योंकि अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से घिरे इस राज्य में बेरोजगारी राष्ट्रीय समस्या का भी विषय है. यहां से पलायन के आंकड़े की अगर बात करें तो रोजगार के अभाव में ये आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. बेरोजगारी के आंकड़े ये बताते हैं कि उत्तराखंड के रजिस्टर्ड बेरोजगारों की संख्या 7,31,000 आंकी गई है. हालांकि हकीकत में यह आंकड़ा इससे कई गुना ज्यादा भी हो सकता है.

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जानकारी के अनुसार सेवायोजन विभाग, राज्य बनने के बाद से अब तक महज करीब 25,000 लोगों को ही रोजगार मुहैया करा सका है, जबकि वर्तमान में बेरोजगारों की संख्या में तेजी से इजाफा होता जा रहा है. पिछले साल आई अर्थ एवं सांख्यिकी विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में 17.4 फीसदी शिक्षित युवा बेरोजगार हैं. चिंता का विषय ये है कि उत्तराखंड में करीब सरकारी विभागों में लगभग 24,000 पद खाली हैं. वहीं, भाजपा ने सरकार बनने के बाद 6 महीने के भीतर ही इन खाली पदों को भरने का वादा किया था. जो कि अभी तक नहीं भरे जा सके हैं.

ये भी पढ़ें: नैनीताल: नए साल के जश्न को लेकर पुलिस मुस्तैद, कानून तोड़ने वाले जाएंगे जेल

वहीं, राज्य में विधानसभा चुनाव के दौरान खाली पड़े सरकारी पदों की संख्या करीब 50 हजार के आस-पास बताई गई थी जो कि अब वर्तमान में इन खाली पदों की संख्या करीब 24,000 बताई जा रही है. हैरानी की बात ये है कि, भाजपा की त्रिवेंद्र सरकार 6 महीने तो दूर अपने तीन साल पूरे कर लेने के बावजूद भी अपने वादे को पूरा नहीं कर पाई है.

देहरादून: उत्तराखंड में रोजगार को लेकर भाजपा के वादे को सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत इस बार भी पूरा नहीं कर पाए. राज्य में जहां बेरोजगारी बढ़ी है, वहीं, इसको लेकर यहां की स्थिति और भी बिगड़ती जा रही है. ऐसे में युवाओं का पलायन भी लगातार बढ़ता जा रहा है. बेरोजगार युवाओं का कहना है कि त्रिवेंद्र सरकार साल 2019 के खत्म होने तक रोजगार को लेकर घोषणा पत्र को धरातल तक पहुंचाने में नाकाम साबित हुई है.

भाजपा के दावे इस साल भी हुए फेल
वैसे तो पूरा देश ही बेरोजगारी की समस्या से जूझ रहा है, लेकिन उत्तराखंड में रोजगार का मामला कुछ ज्यादा ही गंभीर है. ऐसा इसलिए क्योंकि अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से घिरे इस राज्य में बेरोजगारी राष्ट्रीय समस्या का भी विषय है. यहां से पलायन के आंकड़े की अगर बात करें तो रोजगार के अभाव में ये आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. बेरोजगारी के आंकड़े ये बताते हैं कि उत्तराखंड के रजिस्टर्ड बेरोजगारों की संख्या 7,31,000 आंकी गई है. हालांकि हकीकत में यह आंकड़ा इससे कई गुना ज्यादा भी हो सकता है.

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जानकारी के अनुसार सेवायोजन विभाग, राज्य बनने के बाद से अब तक महज करीब 25,000 लोगों को ही रोजगार मुहैया करा सका है, जबकि वर्तमान में बेरोजगारों की संख्या में तेजी से इजाफा होता जा रहा है. पिछले साल आई अर्थ एवं सांख्यिकी विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में 17.4 फीसदी शिक्षित युवा बेरोजगार हैं. चिंता का विषय ये है कि उत्तराखंड में करीब सरकारी विभागों में लगभग 24,000 पद खाली हैं. वहीं, भाजपा ने सरकार बनने के बाद 6 महीने के भीतर ही इन खाली पदों को भरने का वादा किया था. जो कि अभी तक नहीं भरे जा सके हैं.

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वहीं, राज्य में विधानसभा चुनाव के दौरान खाली पड़े सरकारी पदों की संख्या करीब 50 हजार के आस-पास बताई गई थी जो कि अब वर्तमान में इन खाली पदों की संख्या करीब 24,000 बताई जा रही है. हैरानी की बात ये है कि, भाजपा की त्रिवेंद्र सरकार 6 महीने तो दूर अपने तीन साल पूरे कर लेने के बावजूद भी अपने वादे को पूरा नहीं कर पाई है.

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special report

Summary- उत्तराखंड में रोजगार को लेकर भाजपा के वादे को त्रिवेंद्र सरकार इस साल भी पूरा नहीं कर पाई.. एक तरफ उत्तराखंड समेत देशभर में बेरोजगारी को लेकर स्थितियां विकट रही तो त्रिवेंद्र सरकार साल-2019 के खत्म होने तक भी रोजगार को लेकर घोषणा पत्र पर अमल करने में नाकामयाब रही...देखिये स्पेशल रिपोर्ट...





Body:यूं तो देशभर में ही बेरोजगारी पर हो-हल्ला मचा है..लेकिन उत्तराखंड में रोजगार का मसला ज्यादा गंभीर है.. ऐसा इसलिए क्योंकि अंतररष्ट्रीय सीमाओं से घिरे इस राज्य में बेरोजगारी राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा विषय है..ताज़ा पलायन के आंकड़े इन हालातों से पहले ही आगाह कर चुके हैं... बहरहाल उत्तराखंड में रजिस्टर्ड बेरोजगारों की संख्या 7,31,000 बताई गई है.. हालांकि हकीकत में यह आंकड़ा इससे कई गुना ज्यादा संभावित है... जानकारी के अनुसार सेवायोजन विभाग राज्य बनने के बाद से अब तक महज करीब 25000 लोगों को ही रोजगार दिलवा सका है... जबकि राज्य बनने के बाद बेरोजगारों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है।।


बाईट-जेएस नगन्याल, निदेशक, सेवायोजन विभाग


पिछले साल आई अर्थ एवं सांख्यिकी विभाग की रिपोर्ट बताती है कि राज्य में 17.4 फ़ीसदी शिक्षित युवा बेरोजगार है.. जबकि 2012 तक 69 फ़ीसदी स्वरोजगार से जुड़े लोगों की संख्या 2017-18 आते-आते 56.9 रह गयी.. खास बात यह है कि 2019 में भी इन आंकड़ों में कुछ खास सुधार नही हो पाया... चिंता की बात यह है कि उत्तराखंड में करीब 24000 पद सरकारी विभागों में खाली पड़े हुए हैं... यह हाल तब है जब भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में सरकार आने के 6 महीने में ही इन पदों को भरने का वायदा जनता से किया था... लेकिन अब सरकार को 3 साल पूरे होने जा रहे हैं लेकिन अब तक 24000 पद नहीं भरे जा सके हैं.. हालांकि अपनी सरकार की बड़ी नाकामी पर पर्दा डालते हुए भाजपा मीडिया प्रभारी जल्द इस पर कार्रवाई करने की बात कह रहे हैं।।


बाइट देवेंद्र भसीन मीडिया प्रभारी उत्तराखंड भाजपा


उत्तराखंड बेरोजगारी के राष्ट्रीय औसत करीब 7.4 प्रतिशत के करीब है.. और पिछली तमाम रिपोर्टों में बेरोजगारी के लिहाज से हालात खराब ही दिखाई दिए हैं... ऐसी स्थिति में कांग्रेस ने खाली पड़े सरकारी पदों पर भाजपा के अधूरे वायदे को लेकर जोरदार हमला किया है.. कांग्रेस की बारी तो भाजपा रोजगार के मामले पर पूरी तरह फैल रही है और किसी भी विभाग में साल 2019 के दौरान भाजपा कोई भर्ती नहीं करवा सकी है। यही नहीं कांग्रेस नेता सूर्यकांत धस्माना ने त्रिवेंद्र सरकार को चुनौती देते हुए रोजगार पर श्वेत पत्र जारी करने की भी बात कही...


बाइट सूर्यकांत धस्माना कांग्रेस नेता




Conclusion:उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव के दौरान खाली सरकारी पदों की संख्या करीब 50 हजार के आसपास बताई गई थी... जो कि अब इन खाली पदों की संख्या करीब 24000 बताई जा रही है... हैरान करने वाली बात यह है कि त्रिवेंद्र सरकार 6 महीने तो दूर 3 साल पूरे होने को हैं लेकिन इस दिशा में सिर्फ बयानबाजियों के कुछ नही कर पाई है...

नवीन उनियाल, देहरादून
Last Updated : Dec 31, 2019, 5:23 PM IST
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