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Election 2022: उत्तराखंड में BJP की जीत के ये रहे बड़े कारण, विस्तार से जानिए

उत्तराखंड में लगातार दूसरी बार बीजेपी सरकार बनाने जा रही है. पुष्कर सिंह धामी भले ही नहीं जीत पाए हों लेकिन उनके 6 महीने के कार्यकाल ने उत्तराखंड में बीजेपी की सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई. वहीं इस बार भी बीजेपी की जीत के लिए उत्तराखंड में मोदी फैक्टर को प्रमुख कारण माना जा रहा है.

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उत्तराखंड बीजेपी
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Published : Mar 11, 2022, 3:07 PM IST

Updated : Mar 11, 2022, 4:47 PM IST

देहरादून: भारतीय जनता पार्टी ने उत्तराखंड में लगातार दूसरी बार विधानसभा चुनावों में 47 सीटें पाकर पूर्ण बहुमत प्राप्‍त किया है. राज्य में बीजेपी की इस बड़ी जीत के लिए कोई मोदी लहर को कारण मान रहा है, तो कोई इसको डबल इंजन की सरकार पर जनता का भरोसा करार दे रहा है. हालांकि, कारण जो भी रहा हो लेकिन उत्तराखंड में लगातार दूसरी बार पूर्ण बहुमत हासिल कर बीजेपी ने इतिहास रचने का काम किया है.

उत्तराखंड में फिर चला मोदी का जादू: उत्तराखंड में सत्ता विरोधी लहर और पांच साल में तीन मुख्यमंत्री बदलने के बाद भी बीजेपी ने साफ कर दिया है कि उत्तराखंड में मोदी का जादू बरकरार है. बीजेपी ने उत्तराखंड में वर्चुअल और फिजिकल दोनों मिलाकर कुल 695 चुनावी रैलियां की थीं. इनमें भी हमेशा की तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबसे आगे रहे. प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना काल में 148 रैलियां वर्चुअल भी कीं और पाबंदी हटने के बाद 4 फिजिकल रैलियों के जरिए उत्तराखंड की जनता को लुभाने का काम किया.

उत्तराखंड में BJP की जीत के बड़े कारण.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब भी उत्तराखंड आए उन्होंने खुद को उत्तराखंड से जोड़ने का प्रयास किया है. पीएम मोदी जब भी जनता को संबोधित करते हैं, तो कोशिश करते हैं कि बुगुर्जों, महिलाओं और बच्चों को जोड़ा जाए. आरएसएस के मंझे स्वयंसेवक से राजनेता बने पीएम मोदी को भाषण से लुभाने की यह कला बखूबी आती है. इसीलिए रैलियों में पीएम को सुनने के लिए अपार जनसैलाब उमड़ा रहा.

उत्तराखंड में तेजी से वैक्सीनेशन: पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड की कमान संभालते ही प्रदेश में 15 दिसंबर तक शत प्रतिशत वैक्सीनेश का लक्ष्य रखा था, जिसका फायदा भी बीजेपी को मिला है. वैक्सीनेशन के लिए पुष्कर सिंह धामी ने संबंधित कार्यशाला एवं स्वास्थ्य संवाद के कार्यक्रमों में भी शिरकत की. इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए उत्तराखंड सरकार को केंद्र से पूरी मदद की गई और पर्याप्त मात्रा में उत्तराखंड के लिए वैक्सीन उपलब्ध कराई.

धामी के राहत पैकेज से लाखों लोग हुए लाभान्वित: कोरोना काल में बीजेपी सरकार ने सीमित संसाधन होने के बावजूद प्रदेश में कोविड 19 से प्रभावित विभिन्न क्षेत्रों के लिए राहत पैकेज दिए. चिकित्सा क्षेत्र के लिए 205 करोड़ रुपए का पैकेज दिया गया है, जिससे लगभग 3 लाख 74 हजार लोग लाभान्वित हुए. पर्यटन, परिवहन, संस्कृति क्षेत्र से जुड़े लोगों को भी 200 करोड़ का राहत पैकेज दिया गया. स्वास्थ्य विभाग के कार्मिकों, आगंनबाड़ी कार्यकत्रियों, आशा फैसिलेटर्स, पटवारी से नायब तहसीलदार तक विकास से संबंधित विभागों के कार्मिकों एवं कॉन्स्टेबल से सब इंस्पेक्टर तक को कोविड में सराहनीय कार्यों के लिए प्रोत्साहन राशि दी गई.
पढ़ें- राजभवन पहुंचे CM पुष्कर सिंह धामी, गवर्नर को सौंपा इस्तीफा

निःशुल्क उपचार की दिशा में बड़ा कदम: उत्तराखंड की बीजेपी सरकार ने आयुष्मान उत्तराखंड योजना के माध्यम से लोगों को कैशलेस उपचार की सुविधा देने का काम किया, जिसके तहत प्रदेश के 44 लाख लोगों के लिए आयुष्मान कार्ड संजीवनी साबित हुए. बीजेपी सरकार ने राजकीय कार्मिक, पेंशनर्स एवं उनके आश्रितों को भी राज्य सरकार द्वारा कैशलेस उपचार की सुविधा प्रदान की. इसके साथ ही राज्य सरकार ने सभी सरकारी चिकित्सालयों में 207 प्रकार की पैथोलॉजी जांच सुविधा निःशुल्क प्रदान की. कोरोना काल में अस्पतालों में ऑक्सीजन बेड, आईसीयू बेड, वेटिलेटर एवं अन्य आवश्यक सामग्रियों की पर्याप्त व्यवस्था की गई. प्रधानमंत्री नेशनल डायलिसिस कार्यक्रम के तहत 8 जनपदों में डायलिसिस की सुविधा प्रदान की.

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना: ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल मार्ग परियोजना भी बीजेपी की जीत का बड़ा कारण माना जा रहा है. उत्तराखंड पहाड़ी प्रदेश के लिहाज से ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल मार्ग परियोजना बड़ा प्रोजेक्ट है. माना जा रहा है इस प्रोजेक्ट के तैयार होने पर उत्तराखंड के विकास की रफ्तार बढ़ेगी. इस रेल लाइन के पूरा होते ही ऋषिकेश और कर्णप्रयाग के बीच यात्रा का समय 7 घंटे से घटकर सिर्फ 2 घंटे हो जाएगा और उत्तराखंड के लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा. ऐसे में यह परियोजना जल्द से जल्द पूरी हो इसके लिए जनता ने बीजेपी सरकार को चुना है.

निर्णायक साबित हुईं महिला वोटर: इस बार भी महिला मतदाताओं ने चुनाव में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है. प्रदेश की महिला मतदाताओं ने पुरुषों के मुकाबले 4.06 प्रतिशत ज्यादा वोट डाला. निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के मुताबिक महिलाओं ने 67.20 फीसदी मतदान किया है, जबकि पुरुषों ने 62.60 प्रतिशत वोट डाले हैं. जिले के आधार पर बात करें तो हरिद्वार जिले में सबसे ज्यादा 73.64 प्रतिशत महिलाओं ने मतदान किया है. सबसे कम अल्मोड़ा जिले में 58.91 प्रतिशत मतदान हुआ है.
पढे़ं- उत्तर प्रदेश समेत चार राज्यों में भाजपा की जीत, AAP का पंजाब में परचम लहराया

यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बीजेपी: कर्नाटक के उडुपी के कॉलेज से उठा हिजाब का विवाद चुनावी मंचों पर नेताओं के भाषणों में भी झलका. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहते पुष्कर सिंह धामी का चुनाव से दो दिन पहले यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने वाला बयान मास्टर स्ट्रोक भी साबित हुआ. हालांकि, नजीतों के बाद एक बार फिर पुष्कर धामी ने सरकार बनते ही सबसे पहले यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की बात कही.

क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड ?: समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड का अर्थ होता है भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होना. चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो. समान नागरिक संहिता में शादी, तलाक और जमीन जायजाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होता है. यूनियन सिविल कोड का अर्थ एक निष्पक्ष कानून है, जिसका किसी धर्म से कोई ताल्लुक नहीं है.

धामी की ताबड़तोड़ बैटिंग: तीरथ सिंह रावत के बाद उत्तराखंड की सत्ता संभालने के बाद पुष्कर सिंह धामी ने ताबड़तोड़ फैसले किए. 21 जुलाई 2021 को कोविड 19 प्रभावित पर्यटन, परिवहन, सांस्कृतिक क्षेत्र को राहत के लिए 200 करोड़ रुपये का आर्थिक पैकेज दिया. इससे एक लाख 63 हजार परिवार लाभान्वित हुए. 18 अगस्त 2021 को महिला स्वयं सहायता समूहों और राज्य सरकार की स्वरोजगार योजनाओं के लाभार्थियों के लिए 118.35 करोड़ रुपये का आर्थिक पैकेज घोषित किया, इससे सात लाख 54 हजार 984 लोगों को लाभ मिला.

देवस्थानम बोर्ड किया भंग: बीजेपी की जीत का बड़ा कारण देवस्थानम बोर्ड भंग करना भी बड़ा कारण माना जा रहा है. बीजेपी की धामी सरकार ने देवस्थानम बोर्ड के गठन के 533 दिन बाद देवस्थानम बोर्ड भंग कर दिया. चारों धामों के तीर्थ पुरोहित लंबे समय से देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग कर रहे. बता दें, वर्ष 2020 में 15 जून 2020 के गजट नोटिफिकेशन के बाद त्रिवेंद्र सरकार में देवस्थानम बोर्ड अस्तित्व में आया था, जिसके अंतर्गत उत्तराखंड के चारों धामों सहित 51 मंदिरों को लिया गया था.

देहरादून: भारतीय जनता पार्टी ने उत्तराखंड में लगातार दूसरी बार विधानसभा चुनावों में 47 सीटें पाकर पूर्ण बहुमत प्राप्‍त किया है. राज्य में बीजेपी की इस बड़ी जीत के लिए कोई मोदी लहर को कारण मान रहा है, तो कोई इसको डबल इंजन की सरकार पर जनता का भरोसा करार दे रहा है. हालांकि, कारण जो भी रहा हो लेकिन उत्तराखंड में लगातार दूसरी बार पूर्ण बहुमत हासिल कर बीजेपी ने इतिहास रचने का काम किया है.

उत्तराखंड में फिर चला मोदी का जादू: उत्तराखंड में सत्ता विरोधी लहर और पांच साल में तीन मुख्यमंत्री बदलने के बाद भी बीजेपी ने साफ कर दिया है कि उत्तराखंड में मोदी का जादू बरकरार है. बीजेपी ने उत्तराखंड में वर्चुअल और फिजिकल दोनों मिलाकर कुल 695 चुनावी रैलियां की थीं. इनमें भी हमेशा की तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबसे आगे रहे. प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना काल में 148 रैलियां वर्चुअल भी कीं और पाबंदी हटने के बाद 4 फिजिकल रैलियों के जरिए उत्तराखंड की जनता को लुभाने का काम किया.

उत्तराखंड में BJP की जीत के बड़े कारण.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब भी उत्तराखंड आए उन्होंने खुद को उत्तराखंड से जोड़ने का प्रयास किया है. पीएम मोदी जब भी जनता को संबोधित करते हैं, तो कोशिश करते हैं कि बुगुर्जों, महिलाओं और बच्चों को जोड़ा जाए. आरएसएस के मंझे स्वयंसेवक से राजनेता बने पीएम मोदी को भाषण से लुभाने की यह कला बखूबी आती है. इसीलिए रैलियों में पीएम को सुनने के लिए अपार जनसैलाब उमड़ा रहा.

उत्तराखंड में तेजी से वैक्सीनेशन: पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड की कमान संभालते ही प्रदेश में 15 दिसंबर तक शत प्रतिशत वैक्सीनेश का लक्ष्य रखा था, जिसका फायदा भी बीजेपी को मिला है. वैक्सीनेशन के लिए पुष्कर सिंह धामी ने संबंधित कार्यशाला एवं स्वास्थ्य संवाद के कार्यक्रमों में भी शिरकत की. इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए उत्तराखंड सरकार को केंद्र से पूरी मदद की गई और पर्याप्त मात्रा में उत्तराखंड के लिए वैक्सीन उपलब्ध कराई.

धामी के राहत पैकेज से लाखों लोग हुए लाभान्वित: कोरोना काल में बीजेपी सरकार ने सीमित संसाधन होने के बावजूद प्रदेश में कोविड 19 से प्रभावित विभिन्न क्षेत्रों के लिए राहत पैकेज दिए. चिकित्सा क्षेत्र के लिए 205 करोड़ रुपए का पैकेज दिया गया है, जिससे लगभग 3 लाख 74 हजार लोग लाभान्वित हुए. पर्यटन, परिवहन, संस्कृति क्षेत्र से जुड़े लोगों को भी 200 करोड़ का राहत पैकेज दिया गया. स्वास्थ्य विभाग के कार्मिकों, आगंनबाड़ी कार्यकत्रियों, आशा फैसिलेटर्स, पटवारी से नायब तहसीलदार तक विकास से संबंधित विभागों के कार्मिकों एवं कॉन्स्टेबल से सब इंस्पेक्टर तक को कोविड में सराहनीय कार्यों के लिए प्रोत्साहन राशि दी गई.
पढ़ें- राजभवन पहुंचे CM पुष्कर सिंह धामी, गवर्नर को सौंपा इस्तीफा

निःशुल्क उपचार की दिशा में बड़ा कदम: उत्तराखंड की बीजेपी सरकार ने आयुष्मान उत्तराखंड योजना के माध्यम से लोगों को कैशलेस उपचार की सुविधा देने का काम किया, जिसके तहत प्रदेश के 44 लाख लोगों के लिए आयुष्मान कार्ड संजीवनी साबित हुए. बीजेपी सरकार ने राजकीय कार्मिक, पेंशनर्स एवं उनके आश्रितों को भी राज्य सरकार द्वारा कैशलेस उपचार की सुविधा प्रदान की. इसके साथ ही राज्य सरकार ने सभी सरकारी चिकित्सालयों में 207 प्रकार की पैथोलॉजी जांच सुविधा निःशुल्क प्रदान की. कोरोना काल में अस्पतालों में ऑक्सीजन बेड, आईसीयू बेड, वेटिलेटर एवं अन्य आवश्यक सामग्रियों की पर्याप्त व्यवस्था की गई. प्रधानमंत्री नेशनल डायलिसिस कार्यक्रम के तहत 8 जनपदों में डायलिसिस की सुविधा प्रदान की.

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना: ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल मार्ग परियोजना भी बीजेपी की जीत का बड़ा कारण माना जा रहा है. उत्तराखंड पहाड़ी प्रदेश के लिहाज से ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल मार्ग परियोजना बड़ा प्रोजेक्ट है. माना जा रहा है इस प्रोजेक्ट के तैयार होने पर उत्तराखंड के विकास की रफ्तार बढ़ेगी. इस रेल लाइन के पूरा होते ही ऋषिकेश और कर्णप्रयाग के बीच यात्रा का समय 7 घंटे से घटकर सिर्फ 2 घंटे हो जाएगा और उत्तराखंड के लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा. ऐसे में यह परियोजना जल्द से जल्द पूरी हो इसके लिए जनता ने बीजेपी सरकार को चुना है.

निर्णायक साबित हुईं महिला वोटर: इस बार भी महिला मतदाताओं ने चुनाव में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है. प्रदेश की महिला मतदाताओं ने पुरुषों के मुकाबले 4.06 प्रतिशत ज्यादा वोट डाला. निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के मुताबिक महिलाओं ने 67.20 फीसदी मतदान किया है, जबकि पुरुषों ने 62.60 प्रतिशत वोट डाले हैं. जिले के आधार पर बात करें तो हरिद्वार जिले में सबसे ज्यादा 73.64 प्रतिशत महिलाओं ने मतदान किया है. सबसे कम अल्मोड़ा जिले में 58.91 प्रतिशत मतदान हुआ है.
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यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बीजेपी: कर्नाटक के उडुपी के कॉलेज से उठा हिजाब का विवाद चुनावी मंचों पर नेताओं के भाषणों में भी झलका. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहते पुष्कर सिंह धामी का चुनाव से दो दिन पहले यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने वाला बयान मास्टर स्ट्रोक भी साबित हुआ. हालांकि, नजीतों के बाद एक बार फिर पुष्कर धामी ने सरकार बनते ही सबसे पहले यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की बात कही.

क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड ?: समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड का अर्थ होता है भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होना. चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो. समान नागरिक संहिता में शादी, तलाक और जमीन जायजाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होता है. यूनियन सिविल कोड का अर्थ एक निष्पक्ष कानून है, जिसका किसी धर्म से कोई ताल्लुक नहीं है.

धामी की ताबड़तोड़ बैटिंग: तीरथ सिंह रावत के बाद उत्तराखंड की सत्ता संभालने के बाद पुष्कर सिंह धामी ने ताबड़तोड़ फैसले किए. 21 जुलाई 2021 को कोविड 19 प्रभावित पर्यटन, परिवहन, सांस्कृतिक क्षेत्र को राहत के लिए 200 करोड़ रुपये का आर्थिक पैकेज दिया. इससे एक लाख 63 हजार परिवार लाभान्वित हुए. 18 अगस्त 2021 को महिला स्वयं सहायता समूहों और राज्य सरकार की स्वरोजगार योजनाओं के लाभार्थियों के लिए 118.35 करोड़ रुपये का आर्थिक पैकेज घोषित किया, इससे सात लाख 54 हजार 984 लोगों को लाभ मिला.

देवस्थानम बोर्ड किया भंग: बीजेपी की जीत का बड़ा कारण देवस्थानम बोर्ड भंग करना भी बड़ा कारण माना जा रहा है. बीजेपी की धामी सरकार ने देवस्थानम बोर्ड के गठन के 533 दिन बाद देवस्थानम बोर्ड भंग कर दिया. चारों धामों के तीर्थ पुरोहित लंबे समय से देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग कर रहे. बता दें, वर्ष 2020 में 15 जून 2020 के गजट नोटिफिकेशन के बाद त्रिवेंद्र सरकार में देवस्थानम बोर्ड अस्तित्व में आया था, जिसके अंतर्गत उत्तराखंड के चारों धामों सहित 51 मंदिरों को लिया गया था.

Last Updated : Mar 11, 2022, 4:47 PM IST
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