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हर्षोल्लास से मनाया गया भाई दूज का पर्व, बहनों ने भाइयों की दीर्घायु का दिया आशीर्वाद

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Published : Oct 29, 2019, 3:25 PM IST

भाई दूज के त्योहार में बहनें अपने भाइयों को लंबी आयु और जीवन के हर दुख मिटने की प्रार्थना कर आशीर्वाद देती हैं. इसी के चलते ये त्योहार प्रदेश के साथ ही राजधानी दून में हर्षोल्लास से मनाया गया.

प्रदेश में मनाया गया भाईदूज का त्योहार.

देहरादून: दीपावली के 2 दिन बाद मनाया जाने वाला भाई दूज का त्योहार मंगलवार को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ देश भर में मनाया गया. राजधानी देहरादून में भाई दूज के त्योहार को लेकर अलग ही उत्साह देखने को मिला. हिंदू धर्म के अनुसार, भाई-बहन के स्नेह और अटूट रिश्तो के बंधन के प्रतीक के रूप में मनाए जाने वाला भाई दूज त्योहार अपने आपमें महत्वपूर्ण है.

प्रदेश में मनाया गया भाईदूज का त्योहार.

रक्षाबंधन जो श्रावण मास की पूर्णिमा में मनाया जाता है. इसमें भाई बहन की रक्षा की प्रतिज्ञा करता है, वहीं भाई दूज के त्योहार में बहनें अपने भाइयों को लंबी आयु और जीवन के हर दुख मिटने की प्रार्थना कर आशीर्वाद देती हैं. भाई दूज का पावन त्योहार दीपावली के दूसरे दिन कार्तिक मास की द्वितीया को हर वर्ष मनाया जाता है.

भाई दूज के दिन बहनें अपने भाइयों की दीर्घायु होने की मंगल कामना करती हैं. साथ ही उन्हें 5 और 7 रंगो का तिलक लगाती हैं. इस त्योहार में प्रमुख रूप से भाई बहन के पावन संबंध और स्नेह की अटूट बंधन को मजबूत करना भी माना जाता है. दूज के दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर चावल अखरोट जैसे प्रसाद खिलाकर जीवन में कष्ट दूर होने का आशीर्वाद भी देती हैं. भाई दूज के दिन बहन के घर का भोजन भाइयों के लिए आशीर्वाद के रूप में विशेष महत्व रखता हैं.

ये भी पढ़ें: नशे में धुत कार सवार युवकों ने कई वाहनों को मारी टक्कर, लोगों ने पकड़कर की धुनाई

पौराणिक कथा के अनुसार, ऐसी मान्यता है कि भाई दूज के दिन बहन तिलक लगाने के बाद अपने भाई को भोजन अपने हाथ से परोसती हैं. उससे भाई की उम्र बढ़ती है और जीवन की हर विपदाएं दूर होती हैं. ऐसी मान्यता भी प्राचीन काल से है कि अगर किसी की ममेरी, चचेरी या अपनी कोई बहन न हो तो गाय या नदी आदि प्राकृतिक वस्तु का ध्यान करके उसके समीप बैठकर भोजन करना शुभ माना जाता है.

देहरादून: दीपावली के 2 दिन बाद मनाया जाने वाला भाई दूज का त्योहार मंगलवार को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ देश भर में मनाया गया. राजधानी देहरादून में भाई दूज के त्योहार को लेकर अलग ही उत्साह देखने को मिला. हिंदू धर्म के अनुसार, भाई-बहन के स्नेह और अटूट रिश्तो के बंधन के प्रतीक के रूप में मनाए जाने वाला भाई दूज त्योहार अपने आपमें महत्वपूर्ण है.

प्रदेश में मनाया गया भाईदूज का त्योहार.

रक्षाबंधन जो श्रावण मास की पूर्णिमा में मनाया जाता है. इसमें भाई बहन की रक्षा की प्रतिज्ञा करता है, वहीं भाई दूज के त्योहार में बहनें अपने भाइयों को लंबी आयु और जीवन के हर दुख मिटने की प्रार्थना कर आशीर्वाद देती हैं. भाई दूज का पावन त्योहार दीपावली के दूसरे दिन कार्तिक मास की द्वितीया को हर वर्ष मनाया जाता है.

भाई दूज के दिन बहनें अपने भाइयों की दीर्घायु होने की मंगल कामना करती हैं. साथ ही उन्हें 5 और 7 रंगो का तिलक लगाती हैं. इस त्योहार में प्रमुख रूप से भाई बहन के पावन संबंध और स्नेह की अटूट बंधन को मजबूत करना भी माना जाता है. दूज के दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर चावल अखरोट जैसे प्रसाद खिलाकर जीवन में कष्ट दूर होने का आशीर्वाद भी देती हैं. भाई दूज के दिन बहन के घर का भोजन भाइयों के लिए आशीर्वाद के रूप में विशेष महत्व रखता हैं.

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पौराणिक कथा के अनुसार, ऐसी मान्यता है कि भाई दूज के दिन बहन तिलक लगाने के बाद अपने भाई को भोजन अपने हाथ से परोसती हैं. उससे भाई की उम्र बढ़ती है और जीवन की हर विपदाएं दूर होती हैं. ऐसी मान्यता भी प्राचीन काल से है कि अगर किसी की ममेरी, चचेरी या अपनी कोई बहन न हो तो गाय या नदी आदि प्राकृतिक वस्तु का ध्यान करके उसके समीप बैठकर भोजन करना शुभ माना जाता है.

Intro:summary-भाई बहन के प्यार वाले त्यौहार भाई -दूज को लेकर भारी उत्साह

दीपावली के 2 दिन बाद मनाया जाने वाला भाई दूज का त्यौहार मंगलवार बड़े हर्षोल्लास के साथ देश भर में मनाया गया. उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में भाई दूज के त्योहार को लेकर अलग ही उत्साह देखने को मिला। हिंदू धर्म के मुताबिक भाई-बहन के स्नेह वह अटूट रिश्तो के बंधन का प्रतीक रूप में मनाए जाने वाला भाई दूज त्यौहार अपने आप में महत्वपूर्ण पर्व हैं। भाई दूज के दिन सुबह से ही बहनें अपने भाइयों का खाली पेट रहकर इंतजार करती है।
रक्षाबंधन जो श्रावण मास की पूर्णिमा में मनाया जाता है, इसमें भाई बहन की रक्षा की प्रतिज्ञा करता है तो, वही भाई दूज का त्यौहार जिसमें बहन ने अपने भाई को तिलक लगाकर लंबी आयु व जीवन के हर दुख तकलीफ कटने के लिए प्रार्थना कर उन्हें आशीर्वाद देती हैं। भाई दूज का पावन त्यौहार दीपावली के दूसरे दिन कार्तिक मास की द्वितीया को हर वर्ष मनाया जाता है।


Body:पांच से सात रंगों का तिलक भाई को लगाती है बहनें, स्वस्थ और दीर्घायु की मंगल कामना

भाई दूज का त्यौहार इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है। क्योंकि इस दिन बहन बेरी पूजन भी करती है,इसी दिन बहनें अपने भाइयों की स्वस्थ हो दीर्घायु होने की मंगल कामना करते हुए उन्हें 5 और 7 रंगो का तिलक लगाकर है। भैया दूज कोबरा दिव्या भी कहते हैं इस त्यौहार में प्रमुख रूप से भाई बहन के पावन संबंध व स्नेह की अटूट बंधन को मजबूत करना भी माना जाता है।
भाई दूज के दिन बहन भाइयों को तिलक लगाकर भाई के सिर के ऊपर से कलर्स पर करीमा करती हैं साथी कानों में तेल लगाकर उन्हें दीर्घायु का आशीर्वाद देती है। ऐसी मान्यता है कि बहनें भाइयों के कान पर तेल मिलकर गंगा यमुना में स्नान भी कराती है।

भाई दूज के दिन बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर चावल अखरोट जैसे प्रसाद खिलाकर जीवन में कष्ट दूर होने का आशीर्वाद भी देती है। भाई दूज के दिन बहन के घर का भोजन भाइयों के लिए आशीर्वाद के रूप में विशेष महत्व रखता हैं।
बहने किस दिन तरह-तरह के पकवान बनाकर भाइयों को परोसती हैं। पौराणिक कथा अनुसार ऐसी मान्यता है कि भाई दूज के दिन बहन तिलक लगाने के बाद अपने भाई जिमाकर जो भोजन अपने हाथ से परोसती हैं...उससे भाई की उम्र बढ़ती है और जीवन की हर विपदायें दूर होती हैं।

ऐसी मान्यता भी प्राचीन काल से है कि अगर किसी की ममेरी व मेरी चचेरी या अपनी कोई बहन ना हो तो गाय या नदी आदि प्राकृतिक वस्तु का ध्यान करके उसके समीप बैठकर भोजन करना शुभ माना जाता है।


Conclusion:भाई दूज का त्यौहार समय के मुताबिक परिवर्तन आने के बाद वर्तमान समय में छोटी बहनें भी बड़ी बहनों को 7 रंगों का तिलक लगाकर इस त्यौहार को आपसी प्रेमभाव में मनाती है।
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