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लोनिवि में कार्यरत मेट बेलदारों का क्रमिक अनशन जारी, लगाया उत्पीड़न का आरोप

देहरादून के यमुना कॉलोनी स्थित लोनिवि भवन में मेट बेलदार कर्मचारी संघ के कर्मचारी क्रमिक अनशन पर बैठे हैं. इन आउटसोर्सिंग कर्मचारियों ने विभाग और ठेकेदारों पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है. साथ ही धरन पर बैठे कर्मचारियों ने मांग की है कि लोक निर्माण विभाग में कार्यरत आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को सुरक्षित भविष्य के लिए विभागीय संविदा या उपनल के माध्यम से समायोजित किया जाए.

Beldars worker Continuous fasting in Dehradun
बेलदारों का क्रमिक अनशन जारी
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Published : Apr 26, 2022, 4:53 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड लोक निर्माण विभाग (Uttarakhand Public Works Department) में कार्यरत आउटसोर्सिंग कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर क्रमिक अनशन शुरू कर दिया है. ये कर्मचारी यमुना कॉलोनी स्थित लोनिवि भवन में धरना दे रहे हैं. आउटसोर्सिंग कर्मचारियों ने विभाग और ठेकेदारों पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है.

मेट बेलदार कर्मचारी संघ (Met Beldar Employees Union) के प्रदेश अध्यक्ष जयेंद्र सिंह ने कहा कि उत्तराखंड के गरीब, बेरोजगार और ग्रामीण और मेट बेलदार श्रमिक रोजगार की चाहत में लोक निर्माण विभाग के विभिन्न राष्ट्रीय राजमार्गों पर प्राइवेट एजेंसी के माध्यम से कार्यरत हैं. लेकिन इन कर्मचारियों को किसी प्रकार की सामाजिक सुरक्षा प्राप्त नहीं है. इन कर्मचारियों को समय पर पूरा वेतन भी प्राप्त नहीं होता है.

उन्होंने कहा कि ठेकेदारों द्वारा कर्मचारियों को ईपीएफ और ईएसआई बीमा का भी लाभ नहीं दिया जा रहा है. इसके अलावा किसी दुर्घटना में मृत्यु होने पर उनके परिजनों को कोई भी आर्थिक सहायता नहीं दी जाती है. प्राइवेट आउटसोर्सिंग एजेंसियों द्वारा कर्मचारियों का अत्यधिक शोषण किया जा रहा है. इसके अलावा उन्हें कई माह से वेतन नहीं मिला है, जिससे उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है.

ये भी पढ़ें: उत्तराखंड में बिजली कटौती को लेकर गरजी महिला कांग्रेस, ऊर्जा भवन में किया प्रदर्शन

जयेंद्र सिंह ने समस्त मेट और बेलदार कर्मचारियों को उपनल से विभाग में सेवायोजन करने की मांग की है. वहीं, आंदोलनरत कर्मियों का कहना है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो उन्हें मजबूरन आमरण अनशन पर बैठना पड़ेगा.

आउटसोर्सिंग मेट बेलदारों की प्रमुख मांगें: लोक निर्माण विभाग में वर्षों से पीड़ित शोषित आउटसोर्स पर कार्यरत कर्मियों को सुरक्षित भविष्य के लिए विभागीय संविदा या उपनल के माध्यम से समायोजित किया जाए. लोनिवि के विभिन्न खंडों में आउटसोर्स कर्मचारियों की नई निविदाओं पर तत्काल रोक लगाई जाए. विभाग में 2014 से 2020 तक कार्यरत रहे मेट और बेलदार कर्मचारियों को संघ की सूची के अनुसार सेवा तत्काल बहाल की जाए. कर्मचारियों को वेतन का बकाया भुगतान किया जाए.

देहरादून: उत्तराखंड लोक निर्माण विभाग (Uttarakhand Public Works Department) में कार्यरत आउटसोर्सिंग कर्मचारियों ने अपनी मांगों को लेकर क्रमिक अनशन शुरू कर दिया है. ये कर्मचारी यमुना कॉलोनी स्थित लोनिवि भवन में धरना दे रहे हैं. आउटसोर्सिंग कर्मचारियों ने विभाग और ठेकेदारों पर उत्पीड़न का आरोप लगाया है.

मेट बेलदार कर्मचारी संघ (Met Beldar Employees Union) के प्रदेश अध्यक्ष जयेंद्र सिंह ने कहा कि उत्तराखंड के गरीब, बेरोजगार और ग्रामीण और मेट बेलदार श्रमिक रोजगार की चाहत में लोक निर्माण विभाग के विभिन्न राष्ट्रीय राजमार्गों पर प्राइवेट एजेंसी के माध्यम से कार्यरत हैं. लेकिन इन कर्मचारियों को किसी प्रकार की सामाजिक सुरक्षा प्राप्त नहीं है. इन कर्मचारियों को समय पर पूरा वेतन भी प्राप्त नहीं होता है.

उन्होंने कहा कि ठेकेदारों द्वारा कर्मचारियों को ईपीएफ और ईएसआई बीमा का भी लाभ नहीं दिया जा रहा है. इसके अलावा किसी दुर्घटना में मृत्यु होने पर उनके परिजनों को कोई भी आर्थिक सहायता नहीं दी जाती है. प्राइवेट आउटसोर्सिंग एजेंसियों द्वारा कर्मचारियों का अत्यधिक शोषण किया जा रहा है. इसके अलावा उन्हें कई माह से वेतन नहीं मिला है, जिससे उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है.

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जयेंद्र सिंह ने समस्त मेट और बेलदार कर्मचारियों को उपनल से विभाग में सेवायोजन करने की मांग की है. वहीं, आंदोलनरत कर्मियों का कहना है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो उन्हें मजबूरन आमरण अनशन पर बैठना पड़ेगा.

आउटसोर्सिंग मेट बेलदारों की प्रमुख मांगें: लोक निर्माण विभाग में वर्षों से पीड़ित शोषित आउटसोर्स पर कार्यरत कर्मियों को सुरक्षित भविष्य के लिए विभागीय संविदा या उपनल के माध्यम से समायोजित किया जाए. लोनिवि के विभिन्न खंडों में आउटसोर्स कर्मचारियों की नई निविदाओं पर तत्काल रोक लगाई जाए. विभाग में 2014 से 2020 तक कार्यरत रहे मेट और बेलदार कर्मचारियों को संघ की सूची के अनुसार सेवा तत्काल बहाल की जाए. कर्मचारियों को वेतन का बकाया भुगतान किया जाए.

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