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अब बाघ को नहीं कह सकते 'आदमखोर', NTCA ने जारी किया आदेश

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने बाघ को 'आदमखोर' कहने पर रोक लगा दी है. पशुप्रमियों ने 'आदमखोर' शब्द का उपयोग किए जाने पर रोक लगाने की मांग की थी, जिसके बाद एनटीसीए ने निर्देश जारी किया है.

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Published : Nov 18, 2019, 8:08 AM IST

Updated : Nov 18, 2019, 8:13 AM IST

रायपुर (छत्तीसगढ़): राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने बाघ को 'आदमखोर' कहने पर रोक लगा दी है. एनटीसीए (National Tiger Conservation Authority) ने निर्देश जारी करते हुए कहा कि 'अब बाघ के नाम के साथ 'आदमखोर' शब्द का उल्लेख नहीं किया जाएगा. अगर ऐसा बाघ जो इंसानों के लिए खतरा पैदा कर सकता है, उसके नाम के साथ 'मानव जाति के लिए खतरा' शब्द का उपयोग करने के निर्देश दिए गए हैं'.

अब बाघ को नहीं कह सकते 'आदमखोर'

दरअसल, पिछले वर्ष महाराष्ट्र के यवतमाल की अवनी नाम की बाघिन को आदमखोर घोषित किया गया था, जिसके बाद लोगों के मन में इस बाघिन के प्रति काफी आक्रोश था और लोग उसकी जान के प्यासे थे. बाद में बाघिन को वन विभाग के असगर नाम के अधिकृत शिकारी ने ट्रैंक्युलाइज करने की जगह सीधे गन से शूट कर दिया था. इसी तरह 'किस्मत' नाम की बाघिन को भी आदमखोर घोषित किया गया था, जिसकी मौत किसी शिकारी की गोली की जगह करंट लगने से हो गई थी. इसके वजह से अवनी नाम के बाघिन की मौत के बाद दो शावक अनाथ हो गए थे.

वन्यजीव प्रेमियों ने जताया था विरोध

इसी कड़ी में महाराष्ट्र के वन्य जीव चिकित्सक डॉ. जरिल बैनियाट समेत कई वन्यजीव प्रेमियों ने विरोध जताया था और आदमखोर शब्द के उपयोग पर रोक लगाने NTCA को पत्र लिखा था. उसी पत्र के आधार पर NTCA ने बाघों के लिए आदमखोर शब्द के उपयोग करने पर रोक लगाई है.

NTCA ने जारी किए निर्देश

मामले को लेकर पशुप्रेमी नितिन सिंघवी ने बताया कि वन्यजीव प्रेमियों के विरोध के बाद राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की ओर से निर्देश जारी किया गया है. उन्होंने बताया कि अब किसी भी बाघ की मौत के बाद जब उसका डिस्पोजल किया जाएगा, तो उस दौरान विभाग के फील्ड डायरेक्टर या फिर डीएफओ के समकक्ष अधिकारी मौजूद रहेंगे. उनकी उपस्थिति में यह काम किया जाएगा.

रायपुर (छत्तीसगढ़): राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने बाघ को 'आदमखोर' कहने पर रोक लगा दी है. एनटीसीए (National Tiger Conservation Authority) ने निर्देश जारी करते हुए कहा कि 'अब बाघ के नाम के साथ 'आदमखोर' शब्द का उल्लेख नहीं किया जाएगा. अगर ऐसा बाघ जो इंसानों के लिए खतरा पैदा कर सकता है, उसके नाम के साथ 'मानव जाति के लिए खतरा' शब्द का उपयोग करने के निर्देश दिए गए हैं'.

अब बाघ को नहीं कह सकते 'आदमखोर'

दरअसल, पिछले वर्ष महाराष्ट्र के यवतमाल की अवनी नाम की बाघिन को आदमखोर घोषित किया गया था, जिसके बाद लोगों के मन में इस बाघिन के प्रति काफी आक्रोश था और लोग उसकी जान के प्यासे थे. बाद में बाघिन को वन विभाग के असगर नाम के अधिकृत शिकारी ने ट्रैंक्युलाइज करने की जगह सीधे गन से शूट कर दिया था. इसी तरह 'किस्मत' नाम की बाघिन को भी आदमखोर घोषित किया गया था, जिसकी मौत किसी शिकारी की गोली की जगह करंट लगने से हो गई थी. इसके वजह से अवनी नाम के बाघिन की मौत के बाद दो शावक अनाथ हो गए थे.

वन्यजीव प्रेमियों ने जताया था विरोध

इसी कड़ी में महाराष्ट्र के वन्य जीव चिकित्सक डॉ. जरिल बैनियाट समेत कई वन्यजीव प्रेमियों ने विरोध जताया था और आदमखोर शब्द के उपयोग पर रोक लगाने NTCA को पत्र लिखा था. उसी पत्र के आधार पर NTCA ने बाघों के लिए आदमखोर शब्द के उपयोग करने पर रोक लगाई है.

NTCA ने जारी किए निर्देश

मामले को लेकर पशुप्रेमी नितिन सिंघवी ने बताया कि वन्यजीव प्रेमियों के विरोध के बाद राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की ओर से निर्देश जारी किया गया है. उन्होंने बताया कि अब किसी भी बाघ की मौत के बाद जब उसका डिस्पोजल किया जाएगा, तो उस दौरान विभाग के फील्ड डायरेक्टर या फिर डीएफओ के समकक्ष अधिकारी मौजूद रहेंगे. उनकी उपस्थिति में यह काम किया जाएगा.

Intro:बाघ को 'आदमखोर' कहने पर लगी रोक, एनटीसीए ने जारी किए निर्देश

रायपुर। शब्द किसी के लिए कितना घातक साबित हो सकते हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि किसी इंसान या जानवर के नाम के सामने 'आदमखोर' शब्द का उल्लेख कर दिया जाए तो लोगों के मन में उसके प्रति नफरत पैदा हो जाती है और डर का भाव भी प्रकट हो जाता है जिसके चलते उस इंसान या जानवर की जान पर बन आती है कई बार इसका खामियाजा इन्हें अपनी जान गवा कर भी उठाना पड़ता है फिर चाहे वह भले ही सीधा साधा ही क्यों ना हो ।




Body:इस शब्द को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने बड़ी ही गंभीरता से लिया है और उनके द्वारा निर्णय लिया गया है कि अब 'आदमखोर' शब्द का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा खासकर 'बाघ' के नाम के साथ आदमखोर शब्द के इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी गई है यदि ऐसा बाघ जो इंसानों के लिए खतरा पैदा कर सकता है उसके नाम के साथ "मानव जाति के लिए खतरा" शब्द के उपयोग करने के निर्देश दिए गए हैं

इस बात की जानकारी सामाजिक कार्यकर्ता एवं पशु प्रेमी नितिन सिंघवी ने दी । सिंघवी ने बताया कि बाघो के लिए आदमखोर शब्द के प्रयोग का महाराष्ट्र के वन्य जीव चिकित्सक डॉ जरिल बैनियाट सहित कई वन्यजीव प्रेमियों ने विरोध जताया था और आदमखोर शब्द के उपयोग पर रोक लगाने एनटीसीए को पत्र लिखा था उसी पत्र के आधार पर एनटीसीए ने बाघों के लिए आदमखोर शब्द के उपयोग करने पर रोक लगाई है

सिंघवी ने बताया कि पिछले दिनों 'अवनी' नामक बाघिन की मौत के बाद दो शावक अनाथ हो गए थे। यही वजह है कि अब राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की ओर से इस तरह के निर्देश जारी किए गए हैं

इतना ही नहीं एनटीसीए ने निर्देशित किया है कि अब किसी भी बाहरी व्यक्ति को बाघ को एलिमिनेट करने के लिए अधिकृत नहीं किया जाएगा इसके बजाय जब भी निर्देश दिया जाएंगे तो विभाग के ही एक्सपर्ट से बाघ को एलिमिनेट करने का कार्य किया जाएगा यदि विभाग में विशेषज्ञ उपलब्ध नहीं हो तो दूसरे विभाग के विशेषज्ञ बुलाए जाएंगे ।

इसके अलावा एनटीसीए ने एक और निर्देश दिए हैं कि अब किसी भी बाघ की मौत के बाद जब उसका डिस्पोजल किया जाएगा तो उस दौरान विभाग के फील्ड डायरेक्टर या फिर डीएफओ के समकक्ष अधिकारी मौजूद रहेंगे उनके उपस्थिति में यह काम किया जाएगा
बाइट नितिन सिंघवी सामाजिक कार्यकर्ता एवं पशु प्रेमी




Conclusion:बता दें कि पिछले वर्ष महाराष्ट्र के यवतमाल की अवनी नामक बाघ को आदमखोर घोषित किया गया था जिसके बाद लोगों के मन में इस बाघिन के प्रति काफी आक्रोश था और लोग उसकी जान के प्यासे थे बाद में बाघिन को वन विभाग के असगर नामक अधिकृत शिकारी ने ट्रैंक्युलाइज करने की जगह सीधे गन से शूट कर दिया था। इसी तरह 'किस्मत' नाम की बाघिन को भी आदमखोर घोषित किया गया था । हालांकि इसकी मौत किसी शिकारी की गोली की जगह करंट लगने से हो गई थी।
Last Updated : Nov 18, 2019, 8:13 AM IST
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