रायपुर (छत्तीसगढ़): राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने बाघ को 'आदमखोर' कहने पर रोक लगा दी है. एनटीसीए (National Tiger Conservation Authority) ने निर्देश जारी करते हुए कहा कि 'अब बाघ के नाम के साथ 'आदमखोर' शब्द का उल्लेख नहीं किया जाएगा. अगर ऐसा बाघ जो इंसानों के लिए खतरा पैदा कर सकता है, उसके नाम के साथ 'मानव जाति के लिए खतरा' शब्द का उपयोग करने के निर्देश दिए गए हैं'.
दरअसल, पिछले वर्ष महाराष्ट्र के यवतमाल की अवनी नाम की बाघिन को आदमखोर घोषित किया गया था, जिसके बाद लोगों के मन में इस बाघिन के प्रति काफी आक्रोश था और लोग उसकी जान के प्यासे थे. बाद में बाघिन को वन विभाग के असगर नाम के अधिकृत शिकारी ने ट्रैंक्युलाइज करने की जगह सीधे गन से शूट कर दिया था. इसी तरह 'किस्मत' नाम की बाघिन को भी आदमखोर घोषित किया गया था, जिसकी मौत किसी शिकारी की गोली की जगह करंट लगने से हो गई थी. इसके वजह से अवनी नाम के बाघिन की मौत के बाद दो शावक अनाथ हो गए थे.
वन्यजीव प्रेमियों ने जताया था विरोध
इसी कड़ी में महाराष्ट्र के वन्य जीव चिकित्सक डॉ. जरिल बैनियाट समेत कई वन्यजीव प्रेमियों ने विरोध जताया था और आदमखोर शब्द के उपयोग पर रोक लगाने NTCA को पत्र लिखा था. उसी पत्र के आधार पर NTCA ने बाघों के लिए आदमखोर शब्द के उपयोग करने पर रोक लगाई है.
NTCA ने जारी किए निर्देश
मामले को लेकर पशुप्रेमी नितिन सिंघवी ने बताया कि वन्यजीव प्रेमियों के विरोध के बाद राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की ओर से निर्देश जारी किया गया है. उन्होंने बताया कि अब किसी भी बाघ की मौत के बाद जब उसका डिस्पोजल किया जाएगा, तो उस दौरान विभाग के फील्ड डायरेक्टर या फिर डीएफओ के समकक्ष अधिकारी मौजूद रहेंगे. उनकी उपस्थिति में यह काम किया जाएगा.