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आयुष विभाग में फंसा फार्मासिस्टों की नियुक्ति का मामला, हो सकती है विजिलेंस जांच

उत्तराखंड आयुष विभाग में बेरोजगार फार्मासिस्ट को नियुक्ति दिलाने का मामला अब तूल पकड़ने लगा है. हालांकि साल 2018 के इस मामले में बेरोजगारों को नियुक्ति तो नहीं मिल पाई, लेकिन 90 पदों के लिए शासन को भेजे गए प्रस्ताव ही सवालों के घेरे में आ गया है. अब मामले पर विजिलेंस जांच की तैयारी की जा रही है.

आयुष विभाग में बेरोजगार फार्मासिस्ट को नियुक्ति पर हो सकती है विजिलेंस जांच.
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Published : Jul 3, 2019, 4:40 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड आयुष विभाग में बेरोजगार फार्मासिस्ट को नियुक्ति दिलाने का मामला अब तूल पकड़ने लगा है. आरोप है कि बीते साल 2018 में विभाग ने नियमों के विरुद्ध 90 नए पदों के सृजन का प्रस्ताव शासन को भेजा था. जिसके बाद प्रस्ताव का मामला विभागीय मंत्री तक पहुंचा. जहां पर मंत्री ने मामले पर संदेह जताते हुए जांच के आदेश दिए थे. हालांकि, अभी तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है. लेकिन अब जांच विजिलेंस टीम को सौंपी जा सकती है.

आयुष विभाग में फार्मासिस्टों की नियुक्ति के मामले की हो सकती है विजिलेंस जांच.

बता दें कि बीते साल 2018 में प्रदेश में बेरोजगार फार्मासिस्ट की नियुक्ति का मामला सामने आया था. मामले पर नियमों के विरुद्ध नए 90 पद सृजित करने के आरोप लगाए गए हैं. इतना ही नहीं आरोप है कि आयुष विभाग में निदेशालय स्तर पर बेरोजगार फार्मासिस्ट से वसूली कर इन नए पदों के सृजन का रास्ता खोलने की कोशिश की गई. मामला संज्ञान में आते ही विभागीय स्तर पर जांच के आदेश दिए गए थे.

ये भी पढ़ेंः हिम तेंदुओं पर निगरानी के लिए गंगोत्री नेशनल पार्क में लगाए 276 कैमरे

हालांकि, साल 2018 के इस मामले में अभी तक जांच किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है, लेकिन अब माना जा रहा है कि जल्द जांच में हो रही हीलाहवाली के चलते जांच को विजिलेंस को दिया जा सकता है. विभागीय मंत्री हरक सिंह रावत ने भी गलत नियुक्ति दिलाने के इस मामले की जांच होने की पुष्टि की है. साथ ही मामले को अपने स्तर पर देखे जाने की भी बात कही है.

उधर, विभागीय स्तर पर इस मामले की जांच पहले से ही जारी है. अब नियुक्ति में पैसों के लेन-देन के आरोपों के बीच मामले को विजिलेंस को दिया जा सकता है. मामला विजिलेंस के टेबल पर पहुंचने पर आयुष विभाग के निदेशालय स्तर पर बैठे अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. वैसे तो प्रदेश में नियुक्तियों में गड़बड़ी के अबतक कई मामले सामने आ चुके हैं. ऐसे में अब देखना ये होगा कि बेरोजगारों को रोजगार दिलाने के नाम पर लेन-देन कर नियम विरुद्ध नए पदों के सृजन विजिलेंस जांच होती है, तो कई अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ सकती है.

देहरादूनः उत्तराखंड आयुष विभाग में बेरोजगार फार्मासिस्ट को नियुक्ति दिलाने का मामला अब तूल पकड़ने लगा है. आरोप है कि बीते साल 2018 में विभाग ने नियमों के विरुद्ध 90 नए पदों के सृजन का प्रस्ताव शासन को भेजा था. जिसके बाद प्रस्ताव का मामला विभागीय मंत्री तक पहुंचा. जहां पर मंत्री ने मामले पर संदेह जताते हुए जांच के आदेश दिए थे. हालांकि, अभी तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है. लेकिन अब जांच विजिलेंस टीम को सौंपी जा सकती है.

आयुष विभाग में फार्मासिस्टों की नियुक्ति के मामले की हो सकती है विजिलेंस जांच.

बता दें कि बीते साल 2018 में प्रदेश में बेरोजगार फार्मासिस्ट की नियुक्ति का मामला सामने आया था. मामले पर नियमों के विरुद्ध नए 90 पद सृजित करने के आरोप लगाए गए हैं. इतना ही नहीं आरोप है कि आयुष विभाग में निदेशालय स्तर पर बेरोजगार फार्मासिस्ट से वसूली कर इन नए पदों के सृजन का रास्ता खोलने की कोशिश की गई. मामला संज्ञान में आते ही विभागीय स्तर पर जांच के आदेश दिए गए थे.

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हालांकि, साल 2018 के इस मामले में अभी तक जांच किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है, लेकिन अब माना जा रहा है कि जल्द जांच में हो रही हीलाहवाली के चलते जांच को विजिलेंस को दिया जा सकता है. विभागीय मंत्री हरक सिंह रावत ने भी गलत नियुक्ति दिलाने के इस मामले की जांच होने की पुष्टि की है. साथ ही मामले को अपने स्तर पर देखे जाने की भी बात कही है.

उधर, विभागीय स्तर पर इस मामले की जांच पहले से ही जारी है. अब नियुक्ति में पैसों के लेन-देन के आरोपों के बीच मामले को विजिलेंस को दिया जा सकता है. मामला विजिलेंस के टेबल पर पहुंचने पर आयुष विभाग के निदेशालय स्तर पर बैठे अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. वैसे तो प्रदेश में नियुक्तियों में गड़बड़ी के अबतक कई मामले सामने आ चुके हैं. ऐसे में अब देखना ये होगा कि बेरोजगारों को रोजगार दिलाने के नाम पर लेन-देन कर नियम विरुद्ध नए पदों के सृजन विजिलेंस जांच होती है, तो कई अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ सकती है.

Intro:summary- उत्तराखंड आयुष विभाग में बेरोजगार फार्मासिस्ट को नियुक्ति दिलाने का मामला अब तूल पकड़ने लगा है हालांकि साल 2018 के इस मामले में बेरोजगारों को नियुक्ति तो नहीं मिल पाई लेकिन 90 पदों के लिए शासन को भेजा गया प्रस्ताव ही सवालों के घेरे में आ गया था.. जिस पर अब विजिलेंस जांच की तैयारी की जा रही है...

उत्तराखंड आयुष विभाग में बेरोजगार फार्मासिस्ट की नियुक्ति का मामला विजिलेंस को दिया जा सकता है.. साल 2018 के इस मामले में नियमों के विरुद्ध नए पद सृजित करने के आरोप लगाए गए हैं जिस पर जांच जारी है...



Body:उत्तराखंड आयुष विभाग में कैसा मामला सामने आया है जो अपने आप में बेहद चौकाने वाला है... आरोप है कि विभाग में नियमों के विरुद्ध जाकर 90 पदों के सृजन का प्रस्ताव शासन को 2018 में भेजा गया... आरोप है कि आयुष विभाग में निदेशालय स्तर पर बेरोजगार फार्मासिस्ट से वसूली कर इन नए पदों के सृजन का रास्ता खोलने की कोशिश की गई... शायद यही वजह है कि मामला संज्ञान में आते ही विभाग के स्तर पर इसकी जांच के आदेश दे दिए गए... हालांकि साल 2018 के इस मामले में अब तक जांच किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है लेकिन अब माना जा रहा है कि जल्द जांच में हो रही हीला हवाली के चलते जांच को विजिलेंस को दिया जा सकता है... विभागीय मंत्री हरक सिंह रावत ने भी गलत नियुक्ति दिलाने के इस मामले की जांच होने की पुष्टि की है साथी इसे अपने स्तर पर देखे जाने की भी बात कही है...

बाइट हरक सिंह रावत आयुष मंत्री उत्तराखंड सरकार

यूं तो मामले में पहले ही जांच जारी है और पैसों के लेनदेन के आरोपों के बीच मामले को विजिलेंस को भी दिए जाने की बात कही जा रही है... लेकिन यदि ऐसा होता है तो आयुष विभाग के निदेशालय स्तर पर बैठे अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं...


Conclusion:उत्तराखंड में नियुक्तियों में गड़बड़ी के अब तक कई मामले सामने आते रहे हैं लेकिन यह अपने आप में इसलिए भी खास है क्योंकि बेरोजगारों को रोजगार दिलाने के नाम पर लेनदेन कर नियम विरुद्ध नए पदों के सृजन का यह मामला अपने आप में नया है.. ऐसे में देखना होगा कि यदि मामले की विजिलेंस जांच होती है तो यह मामला किन अधिकारियों के लिए गले की फांस बनता है.



पीटीसी नवीन उनियाल देहरादून
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