देहरादूनः उत्तराखंड आयुष विभाग में बेरोजगार फार्मासिस्ट को नियुक्ति दिलाने का मामला अब तूल पकड़ने लगा है. आरोप है कि बीते साल 2018 में विभाग ने नियमों के विरुद्ध 90 नए पदों के सृजन का प्रस्ताव शासन को भेजा था. जिसके बाद प्रस्ताव का मामला विभागीय मंत्री तक पहुंचा. जहां पर मंत्री ने मामले पर संदेह जताते हुए जांच के आदेश दिए थे. हालांकि, अभी तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है. लेकिन अब जांच विजिलेंस टीम को सौंपी जा सकती है.
बता दें कि बीते साल 2018 में प्रदेश में बेरोजगार फार्मासिस्ट की नियुक्ति का मामला सामने आया था. मामले पर नियमों के विरुद्ध नए 90 पद सृजित करने के आरोप लगाए गए हैं. इतना ही नहीं आरोप है कि आयुष विभाग में निदेशालय स्तर पर बेरोजगार फार्मासिस्ट से वसूली कर इन नए पदों के सृजन का रास्ता खोलने की कोशिश की गई. मामला संज्ञान में आते ही विभागीय स्तर पर जांच के आदेश दिए गए थे.
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हालांकि, साल 2018 के इस मामले में अभी तक जांच किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है, लेकिन अब माना जा रहा है कि जल्द जांच में हो रही हीलाहवाली के चलते जांच को विजिलेंस को दिया जा सकता है. विभागीय मंत्री हरक सिंह रावत ने भी गलत नियुक्ति दिलाने के इस मामले की जांच होने की पुष्टि की है. साथ ही मामले को अपने स्तर पर देखे जाने की भी बात कही है.
उधर, विभागीय स्तर पर इस मामले की जांच पहले से ही जारी है. अब नियुक्ति में पैसों के लेन-देन के आरोपों के बीच मामले को विजिलेंस को दिया जा सकता है. मामला विजिलेंस के टेबल पर पहुंचने पर आयुष विभाग के निदेशालय स्तर पर बैठे अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. वैसे तो प्रदेश में नियुक्तियों में गड़बड़ी के अबतक कई मामले सामने आ चुके हैं. ऐसे में अब देखना ये होगा कि बेरोजगारों को रोजगार दिलाने के नाम पर लेन-देन कर नियम विरुद्ध नए पदों के सृजन विजिलेंस जांच होती है, तो कई अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ सकती है.