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उत्तराखंड की यादों में 'अटल' रहेंगे वाजपेयी, इस स्कूटर पर सवार होकर घूमे थे दून

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Published : Aug 16, 2019, 9:04 PM IST

उत्तराखंड राज्य के गठन में अटल बिहारी वाजपेयी का अहम योगदान था. 2000 में बतौर प्रधानमंत्री रहते हुए उन्होंने उत्तराखंड राज्य का गठन किया था. वहीं, बीते साल 16 अगस्त को दिल्ली स्थित एम्स में उनका 93 साल की उम्र में निधन हो गया था.

अटल जी की यादें

देहरादून: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की प्रथम पुण्यतिथि पर पूरे देश ने उन्हें याद किया. बीते साल 16 अगस्त को दिल्ली स्थित एम्स में उनका 93 साल की उम्र में निधन हो गया था. अटल जी को उत्तराखंड से काफी लगाव था. राजधानी देहरादून समेत प्रदेश में अन्य जिलों में भी अटल जी के चाहने वाले हैं, जो आज भी यादों को अपने से दूर नहीं होने देते.

atal bihari vajpayee
फाइल फोटो

उत्तराखंड राज्य के गठन में अटल बिहारी वाजपेयी का अहम योगदान था. 2000 में बतौर प्रधानमंत्री रहते हुए उन्होंने उत्तराखंड राज्य का गठन किया था. अटल जी को मसूरी, नैनीताल और देहरादून की आबोहवा काफी पसंद थी. खाली समय में वो अक्सर देहरादून आया करते थे और यहां काफी दिन बिताते थे. इस दौरान वो मसूरी जरूर जाया करते थे.

फाइल फोटो
atal bihari vajpayee
देहरादून की यादे

पढ़ें- पहाड़ की महिलाओं की सुंदरता में चार-चांद लगाती है पारंपरिक नथ, आज भी नहीं घटा क्रेज

देहरादून की सड़कों पर वो पैदल या फिर स्कूटर से घूमा करते थे. देश के शीर्ष पद पर होने के बावजूद भी उनका व्यवहार बहुत ही सहज और सरल हुआ करता था. देहरादून में पुनीत मित्तल के घर अटल जी का अक्सर आना जाना होता था.

मित्तल के पास आज भी वो स्कूटर मौजूद है, जिस पर वो अकसर घूमा करते थे. गुरुवार (16 अगस्त) को उनकी पुण्यतिथी पर मित्तल ने उन्हें श्रद्धांजलि दी और उन्हें याद किया. पुनीत के पिता नरेंद्र स्वरूप मित्तल के अटल जी के साथ काफी अच्छे संबंध थे. अटल जी जब भी देहरादून आया करते थे तो वो उनके यहां ही रुका करते थे.

उत्तराखंड की यादों में अटल

अटल जी के सरल व्यक्तित्व का परिचय देते हुए मित्तल एक किस्से का जिक्र करते है. उन्होंने बताया कि उनका पार्टी के एक कार्यकर्ता से मिलने का मन था, लेकिन उन्हें पता चला कि उनका स्वास्थ्य काफी खराब है, तो अटल जी ने कार्यकर्ता के घर जाने की योजना बनाई, लेकिन कार्यकर्ता का घर तंग गलियों में था. ऐसे में वो कार्यक्रर्ता से मिलने के लिए उनके पिता के साथ स्कूटर पर ही चले गए. अटल जी को ऐसे देखकर पूरा शहर गदगद हो गया था.

atal bihari vajpayee
फाइल फोटो

पढ़ें- ऑपरेशन डेयर डेविल्स: हिमवीरों की बहादुरी पर बनी शॉर्ट फिल्म, देखें कैसे चला था रेस्क्यू अभियान

नैनीताल की शान नैनी झील में आज अगर प्राण है तो इसका श्रेय भी अटल जी को जाता है. जब गुजरात के कच्छ और भुज में भूकम्प की वजह से लाखों लोग बेघर हो गए थे, तब उन्होंने होली न मनाने का फैसला लिया था. वो इस दौरान 3 दिवसीय दौरे पर नैनीताल आए थे और यहां राजभवन में रुके थे. तभी उन्होंने नैनी झील समेत नैनीतात के आसपास मौजूद सभी झीलों को प्रदूषण मुक्त करने और उसने संरक्षण के लिए 200 करोड़ की घोषणा था. आज ये झीलें देश और दुनिया से आने वाले पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है.

देहरादून: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की प्रथम पुण्यतिथि पर पूरे देश ने उन्हें याद किया. बीते साल 16 अगस्त को दिल्ली स्थित एम्स में उनका 93 साल की उम्र में निधन हो गया था. अटल जी को उत्तराखंड से काफी लगाव था. राजधानी देहरादून समेत प्रदेश में अन्य जिलों में भी अटल जी के चाहने वाले हैं, जो आज भी यादों को अपने से दूर नहीं होने देते.

atal bihari vajpayee
फाइल फोटो

उत्तराखंड राज्य के गठन में अटल बिहारी वाजपेयी का अहम योगदान था. 2000 में बतौर प्रधानमंत्री रहते हुए उन्होंने उत्तराखंड राज्य का गठन किया था. अटल जी को मसूरी, नैनीताल और देहरादून की आबोहवा काफी पसंद थी. खाली समय में वो अक्सर देहरादून आया करते थे और यहां काफी दिन बिताते थे. इस दौरान वो मसूरी जरूर जाया करते थे.

फाइल फोटो
atal bihari vajpayee
देहरादून की यादे

पढ़ें- पहाड़ की महिलाओं की सुंदरता में चार-चांद लगाती है पारंपरिक नथ, आज भी नहीं घटा क्रेज

देहरादून की सड़कों पर वो पैदल या फिर स्कूटर से घूमा करते थे. देश के शीर्ष पद पर होने के बावजूद भी उनका व्यवहार बहुत ही सहज और सरल हुआ करता था. देहरादून में पुनीत मित्तल के घर अटल जी का अक्सर आना जाना होता था.

मित्तल के पास आज भी वो स्कूटर मौजूद है, जिस पर वो अकसर घूमा करते थे. गुरुवार (16 अगस्त) को उनकी पुण्यतिथी पर मित्तल ने उन्हें श्रद्धांजलि दी और उन्हें याद किया. पुनीत के पिता नरेंद्र स्वरूप मित्तल के अटल जी के साथ काफी अच्छे संबंध थे. अटल जी जब भी देहरादून आया करते थे तो वो उनके यहां ही रुका करते थे.

उत्तराखंड की यादों में अटल

अटल जी के सरल व्यक्तित्व का परिचय देते हुए मित्तल एक किस्से का जिक्र करते है. उन्होंने बताया कि उनका पार्टी के एक कार्यकर्ता से मिलने का मन था, लेकिन उन्हें पता चला कि उनका स्वास्थ्य काफी खराब है, तो अटल जी ने कार्यकर्ता के घर जाने की योजना बनाई, लेकिन कार्यकर्ता का घर तंग गलियों में था. ऐसे में वो कार्यक्रर्ता से मिलने के लिए उनके पिता के साथ स्कूटर पर ही चले गए. अटल जी को ऐसे देखकर पूरा शहर गदगद हो गया था.

atal bihari vajpayee
फाइल फोटो

पढ़ें- ऑपरेशन डेयर डेविल्स: हिमवीरों की बहादुरी पर बनी शॉर्ट फिल्म, देखें कैसे चला था रेस्क्यू अभियान

नैनीताल की शान नैनी झील में आज अगर प्राण है तो इसका श्रेय भी अटल जी को जाता है. जब गुजरात के कच्छ और भुज में भूकम्प की वजह से लाखों लोग बेघर हो गए थे, तब उन्होंने होली न मनाने का फैसला लिया था. वो इस दौरान 3 दिवसीय दौरे पर नैनीताल आए थे और यहां राजभवन में रुके थे. तभी उन्होंने नैनी झील समेत नैनीतात के आसपास मौजूद सभी झीलों को प्रदूषण मुक्त करने और उसने संरक्षण के लिए 200 करोड़ की घोषणा था. आज ये झीलें देश और दुनिया से आने वाले पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है.

Intro:Note- यादों में अटल, श्पेशल स्टोरी


एंकर- भाजपा के दिवंगत नेता श्रधेय अटल बिहारी बाजपेयी की आज पहली पुण्य थिति पर उत्तराखंड में भी उनके चाहने वाले उन्हें याद कर रहे हैं। अटल बिहारी बाजपेयी का उत्तराखंड राज्य बनने से लेकर यंहा की जगहों के साथ साथ यंहा के तमाम मानस पटल पर गहरा असर है। आइये आपको बताते हैं किस तरह का सम्बंध रहा है उत्तराखंड से स्वर्गीय नेता अटल बिहारी बाजपेयी का उत्तराखंड में खास तौर से देहरादून से।


Body:वीओ- स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेयी का देवभूमि उत्तराखंड से विशेष लगाव था। संयुक्त राज्य उत्तर प्रदेश के दौर में अलग राज्य उत्तराखंड बनाने के लिए लंबा आंदोलन चला जिसे अटल बिहारी वाजपेयी ने स्वीकारता दी थी और 1996 के दौर में उन्होंने राज्य आंदोलनकारियों की मांग पर विचार करने का आश्वाशन दिया और राजनीति में भी मानव नैतिकता का परिचय देते हुए बाजपेयी ने वर्ष 2000 में बतौर प्रधानमंत्री अलग राज्य उत्तराखंड की सौगात उत्तराखंड को दी। केवल इतना ही नही राज्य में विपरीत सरकार होने के बावजूद भी उत्तराखंड की एनडी तिवारी सरकार में उत्तराखंड के लिए पूरे 10 सालों के लिए विशेष औद्योगिक पैकेज की सौगात भी इस नए राज्य को दी थी।

मसूरी, देहरादून और नैनीताल अक्सर आते थे वाजपेयी---

स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेयी को उत्तराखंड में मसूरी नैनीताल और देहरादून यंहा की आबो हवा के चलते खाशा पसंद थी और यही वजह थी कि वो अक्सर यंहा आया करते थे लेकिन उनकी सहजता और सरलता पर आम लोग तब फिदा होते थे जब वो अचानक से सड़क पर टहलते या फिर स्कूटर पर घूमते नजर आ जाते थे। देश के शीर्ष पद पर होने के बावजूद भी उनका व्यवहार बहुत ही सहज और सरल हुआ करता था।
देहरादून पुनीत मित्तल के घर अटल बिहारी बाजपेयी जी का अक्सर आना जाना होता था और पुनीत मित्तल आज भी अवर्गीय अटल जी की पहली पुण्य तिथि पर उनकी तमाम यादों के साथ उन्हें याद करते हैं। पुनीत बताते हैं कि उनके जीवन का एक सुनहरे पन्ने के साथ अटल जी की यादें संजोए हुई है। पुनीत के पिता नरेंद्र स्वरूप मित्तल के साथ स्वर्गीय अटल जी के गहरे सम्बन्ध थे और पुनीत मित्तल के घर अक्सर अटल जी आया करते थे।

दून की सड़कों पर स्कूटर से ही निकल जाते थे सहज बाजपेयी---

पुनीत मित्तल स्वर्गिय अटल जी के सरल व्यक्तित्व का परिचय देते हुए एक किस्सा बताते है की देहरादून आये अटल जी ने एक बार अपने एक कार्यकर्ता से मिलने की जब इच्छा जताई तो मालूम हुआ कि उनका स्वास्थ्य खराब था तो अटल जी ने उनके घर पर ही उनसे मिलने जाने की योजना बनाई लेकिन कार्यकर्ता का घर तंग गलियों में था तो अटल जी ने पुनीत मित्तल के पिता नरेंद्र स्वरूप मित्तल के पास मौजूद सन 1975 मॉडल के स्कूटर पर ही कार्यकर्ता से मिलने निकल गए। पूरे बाजार से होते हुए अटल जी स्कूटर पर एक कार्यकर्ता से मिलने पहुंचे तो इसे देख कर पूरा शहर गद गद हो गया था।

नैनीताल की झीलों के जीणोद्धार में अटल जी की थी अहम भूमिका---

अटल जी का उत्तराखंड के लिए योगदान बहुत बड़ा है। उत्तराखंड की शान नैनीताल में मोजूद झीलों में भी आज अगर प्राण है तो उनके प्राणदायक भी स्वर्गीय अटल जी है। स्वर्गीय बाजपेयी जी ने ना केवल झील सरक्षण के लिए 200 करोड़ की घोषणा की बल्कि इस बजट से नैनी झील सहित आसपास की झीलों को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए देश और दुनिया के पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनी और स्थानीय लोगों को भी रोजगार मिल पाया ।
ये वाकिया तब का है जब गुजरात के कच्छ और भुज में भूकम्प से आयी त्रासदी के बाद उन्होंने होली ना मनाने की घोषणा की थी और वो इस दौरान 3 दिवसीय दौरे पर नैनीताल आते थे। राज्य बनने के बाद तब के प्रधानमंत्री अटल जी का ये नैनीताल का पहला दौरा था और राजभवन में उस समय भगत सिंह कोश्यारी समेत तमाम भाजपा नेताओं ने अटल जी का स्वागत किया था।


Conclusion:
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