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पहाड़ों पर फिसड्डी साबित हो रही अटल आयुष्मान योजना, आंकड़ों ने खोली पोल

उत्तराखंड में अटल आयुष्मान योजना पहाड़ों पर फेल साबित हो रही है. पहाड़ों के दूरस्थ गांवों के लोगों को योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. लोगों को इलाज करवाने के लिये मैदानी इलाकों का रुख करना पड़ रहा है. सरकारी आंकड़े हैरान करने वाले हैं.

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Published : Oct 28, 2019, 5:02 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में बदहाल हो चुकी स्वास्थ्य व्यवस्था पर अटल आयुष्मान के आंकड़ों ने भी मुहर लगा दी है. योजना पर बहरुपिया सरकार के दावे पहाड़ों पर झूठे साबित हो रहे हैं. दरअसल, जिस योजना को पूरे प्रदेश के लिए लागू किया गया. उस अटल आयुष्मान योजना का लाभ पहाड़ों पर लोगों को नहीं मिल पा रहा है.

पहाड़ के लोगों को नहीं मिल रहा अटल आयुष्मान योजना का लाभ.

राज्य की सबसे बड़ी चिंता या तो स्वास्थ्य सुविधाओं की है, या फिर शिक्षा और रोजगार की. इससे इतर इन समस्याओं से मुंह मोड़े त्रिवेंद्र सरकार अटल आयुष्मान जैसी योजना पर खुद की ही पीठ थपथपाती दिखाई देती है लेकिन क्या इस योजना का लाभ पहाड़ों के लोग ले पा रहे हैं, हरगिज नहीं. आज भी लोगों को अपनी गंभीर बीमारियों के लिए पथरीली सड़क पर मैदानों का रुख करना पड़ रहा है. ऐसा हम नहीं बल्कि सरकारी आंकड़े इस बात की चीख-चीखकर तस्दीक कर रहे हैं.

जानकर आप हैरान हो जाएंगे कि अटल आयुष्मान योजना के तहत लाभ लेने वाले मरीजों में 70 % लोग मैदानों के अस्पतालों में इलाज करवाते हैं. जबकि 13 में से 9 पहाड़ी जिले वाला राज्य थोड़ी भी गंभीर बीमारी में अपने नागरिकों को पहाड़ पर स्वास्थ्य सुविधा नहीं दे पा रहा है. ये सरकार की विफलता नहीं तो और क्या है कि अबतक हुए 90 हजार अटल आयुष्मान केस में 70 हजार से ज्यादा मरीज मैदानों में ही इलाज करवा रहे हैं.

इन आंकड़ों से साफ है कि अटल आयुष्मान योजना को लेकर पहाड़ों के हालात क्या हैं ? इसकी एक वजह यह भी है कि पहाड़ों में सर्जरी और गंभीर बीमारी से जुड़ी स्वास्थ्य सुविधाओं की बेहद ज्यादा कमी है. ऐसे में पहाड़ों पर रहने वाले लोगों को हजारों रुपए खर्च कर मैदानों में आकर ही इस अटल आयुष्मान योजना का लाभ मिल पा रहा है. सवाल उठता है कि जब पहाड़ों में रहने वाले लोगों को हजारों रुपए मैदानों में आने के लिए खर्च करने पड़ रहे हैं तो फिर इस योजना में मुफ्त इलाज का औचित्य कैसे पूरा होगा.

पढ़ें- देवभूमि के इन क्षेत्रों में हो सकती है बर्फबारी, करवट बदल रहा मौसम

बता दें, प्रदेश में अटल आयुष्मान योजना के लिए सबसे ज्यादा मरीज सर्जरी के लिए आ रहे हैं. अब तक करीब 15 सौ से ज्यादा लोग सर्जरी करा चुके हैं. इसी तरह डायलिसिस वाले मरीजों की संख्या बेहद ज्यादा दिख रही है. इसके अलावा हड्डी रोग, आंखों से जुड़ी समस्याओं, हृदय रोग और कैंसर के भी मरीज अगला इस बार योजना का लाभ ले रहे हैं, लेकिन फिर सवाल सरकार की उस कार्यप्रणाली पर है जो पहाड़ों के लिए आंखें मूंदने जैसी है.

देहरादून: उत्तराखंड में बदहाल हो चुकी स्वास्थ्य व्यवस्था पर अटल आयुष्मान के आंकड़ों ने भी मुहर लगा दी है. योजना पर बहरुपिया सरकार के दावे पहाड़ों पर झूठे साबित हो रहे हैं. दरअसल, जिस योजना को पूरे प्रदेश के लिए लागू किया गया. उस अटल आयुष्मान योजना का लाभ पहाड़ों पर लोगों को नहीं मिल पा रहा है.

पहाड़ के लोगों को नहीं मिल रहा अटल आयुष्मान योजना का लाभ.

राज्य की सबसे बड़ी चिंता या तो स्वास्थ्य सुविधाओं की है, या फिर शिक्षा और रोजगार की. इससे इतर इन समस्याओं से मुंह मोड़े त्रिवेंद्र सरकार अटल आयुष्मान जैसी योजना पर खुद की ही पीठ थपथपाती दिखाई देती है लेकिन क्या इस योजना का लाभ पहाड़ों के लोग ले पा रहे हैं, हरगिज नहीं. आज भी लोगों को अपनी गंभीर बीमारियों के लिए पथरीली सड़क पर मैदानों का रुख करना पड़ रहा है. ऐसा हम नहीं बल्कि सरकारी आंकड़े इस बात की चीख-चीखकर तस्दीक कर रहे हैं.

जानकर आप हैरान हो जाएंगे कि अटल आयुष्मान योजना के तहत लाभ लेने वाले मरीजों में 70 % लोग मैदानों के अस्पतालों में इलाज करवाते हैं. जबकि 13 में से 9 पहाड़ी जिले वाला राज्य थोड़ी भी गंभीर बीमारी में अपने नागरिकों को पहाड़ पर स्वास्थ्य सुविधा नहीं दे पा रहा है. ये सरकार की विफलता नहीं तो और क्या है कि अबतक हुए 90 हजार अटल आयुष्मान केस में 70 हजार से ज्यादा मरीज मैदानों में ही इलाज करवा रहे हैं.

इन आंकड़ों से साफ है कि अटल आयुष्मान योजना को लेकर पहाड़ों के हालात क्या हैं ? इसकी एक वजह यह भी है कि पहाड़ों में सर्जरी और गंभीर बीमारी से जुड़ी स्वास्थ्य सुविधाओं की बेहद ज्यादा कमी है. ऐसे में पहाड़ों पर रहने वाले लोगों को हजारों रुपए खर्च कर मैदानों में आकर ही इस अटल आयुष्मान योजना का लाभ मिल पा रहा है. सवाल उठता है कि जब पहाड़ों में रहने वाले लोगों को हजारों रुपए मैदानों में आने के लिए खर्च करने पड़ रहे हैं तो फिर इस योजना में मुफ्त इलाज का औचित्य कैसे पूरा होगा.

पढ़ें- देवभूमि के इन क्षेत्रों में हो सकती है बर्फबारी, करवट बदल रहा मौसम

बता दें, प्रदेश में अटल आयुष्मान योजना के लिए सबसे ज्यादा मरीज सर्जरी के लिए आ रहे हैं. अब तक करीब 15 सौ से ज्यादा लोग सर्जरी करा चुके हैं. इसी तरह डायलिसिस वाले मरीजों की संख्या बेहद ज्यादा दिख रही है. इसके अलावा हड्डी रोग, आंखों से जुड़ी समस्याओं, हृदय रोग और कैंसर के भी मरीज अगला इस बार योजना का लाभ ले रहे हैं, लेकिन फिर सवाल सरकार की उस कार्यप्रणाली पर है जो पहाड़ों के लिए आंखें मूंदने जैसी है.

Intro:summary- उत्तराखंड में धराशाई हो चुकी स्वास्थ्य व्यवस्था पर अटल आयुष्मान के आंकड़ों ने भी मुहर लगा दी है.. योजना पर बहरूपिया सरकार के दावे पहाड़ों पर झूठे साबित हो रहे हैं.. दरअसल जिस योजना को पूरे प्रदेश के लिए लागू किया गया उस अटल आयुष्मान योजना का लाभ पहाड़ों पर लोगों को नहीं मिल पा रहा है...देखिये etv bharat की स्पेशल रिपोर्ट...


Body:राज्य की सबसे बड़ी चिंता या तो स्वास्थ्य सुविधाओं की है, या फिर शिक्षा और रोजगार की...इससे इतर इन समस्याओं से मुंह मोड़े त्रिवेंद्र सरकार अटल आयुष्मान जैसी योजना पर खुद की ही पीठ थपथपाती दिखाई देती है...लेकिन क्या इस योजना का लाभ पहाड़ों पर ही लोग ले पा रहे हैं..हगीज नही..आज भी लोगों को अपनी गंभीर बीमारियों के लिए पथरीली सड़क पर मैदानों का रुख करना पड़ रहा है..ऐसा हम नही बल्कि स्वास्थ्य सुविधाओं पर फेल हो चुकी सरकार की सरकारी मशीनरी के आंकड़े बताते हैं...आप जानकर हैरान होंगे कि अटल आयुष्मान योजना के तहत लाभ लेने वाले मरीजों में 70 प्रतिशत लोग मैदानों के अस्पतालों में इलाज करवाते हैं...13 में से 09 पहाड़ी जिले वाला राज्य थोड़ी भी गंभीर बीमारी में अपने नागरिकों को पहाड़ पर स्वास्थ्य सुविधा नही दे पाता..ये सरकार का फेलियर नही तो क्या है कि अबतक हुए 90000 अटल आयुष्मान के केस में 70000 से ज्यादा मरीज मैदानों में ही इलाज करवा रहे हैं..

बाइट- डॉ अभिषेक त्रिपाठी, निदेशक प्रशासन अटल आयुष्मान योजना

इन आंकड़ों से साफ है कि अटल आयुष्मान योजना को लेकर पहाड़ों के हालात क्या है... इसकी एक वजह यह भी है कि पहाड़ों में सर्जरी और गंभीर बीमारी से जुड़ी स्वास्थ्य सुविधाओं की बेहद ज्यादा कमी है... ऐसे भी पहाड़ों पर रहने वाले लोगों को हजारों रुपए खर्च कर मैदानों में आकर ही इस अटल आयुष्मान योजना का लाभ मिल पा रहा है... सवाल उठता है कि जब पहाड़ों में रहने वाले लोगों को हजारों रुपए मैदानों में आने के लिए खर्च करने पड़ रहे हैं तो फिर इस योजना का मुफ्त इलाज का औचित्य कैसे पूरा होगा।। वैसे आपको बता दें कि प्रदेश में अटल आयुष्मान योजना के लिए सबसे ज्यादा मरीज सर्जरी के लिए आ रहे हैं... अब तक करीब 1500 से ज्यादा लोग सर्जरी करा चुके हैं.. इसी तरह डायलिसिस वाले मरीजों की संख्या में बेहज ज्यादा दिख रही है.. इसके अलावा हड्डी रोग, आंखों से जुड़ी समस्याओं, हृदय रोग और कैंसर के भी मरीज अगला इस बार योजना का लाभ ले रहे हैं।। लेकिन फिर सवाल सरकार की उस कार्यप्रणाली पर है जो पहाड़ों के लिए आंखें मूंदने जैसी हैं...

बाइट- डॉ अभिषेक त्रिपाठी, निदेशक प्रशासन अटल आयुष्मान योजना



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