देहरादून: उत्तराखंड के मानसून सत्र में विपक्ष की आवाज जनता के मुद्दों को नहीं उठा पाएगी. 23 सितंबर को होने जा रहे ऐतिहासिक मानसून सत्र में पहली बार सड़क से लेकर सदन तक विपक्ष जनता के मुद्दे नहीं उठा पाएगा.
उत्तराखंड के इतिहास में यह पहला मौका होगा जब विधानसभा अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष समेत करीब 10 विधायक सदन में मौजूद नहीं रहेंगे. यही नहीं यह पहला मौका है जब मानसून सत्र को 1 दिन का रखकर प्रश्नकाल तक नहीं होगा. इस बार विपक्ष जनता के मुद्दों को सदन में नहीं उठा पाएगा और न ही सड़क पर सरकार को घेरने में कामयाब हो पाएगा. दरअसल 23 सितंबर को होने जा रहा विधानसभा का मानसून सत्र एक दिन का होने के साथ प्रश्नकाल विहीन भी होगा. यानि सदन में जनता से जुड़े मुद्दे उठाने का मौका भी विपक्ष के पास नहीं होगा. विपक्षी दलों के लिए सदन में जनता का मुद्दा उठाने का एक बड़ा मौका होता है और उस दल के लिए सड़क पर आकर सरकार को घेरने का भी एक बड़ा मौका होता है. लेकिन कांग्रेस पार्टी ने कोरोना के चलते एक सप्ताह तक सभी कार्यक्रम रद्द किए हुए हैं. जिसके चलते सड़क पर कांग्रेस अपना विरोध भी दर्ज नहीं करा पाएगी.
कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना का कहना है कि, कांग्रेस का एक विधायक भी भाजपा के कई विधायकों पर भारी है. सदन में मुद्दे उठाए जाएंगे.
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सरकार 1 दिन का सदन रखकर और उसमें भी प्रश्नकाल न रखकर पहले ही कांग्रेस से विरोध का मौका छीन चुकी है. उधर कोविड 19 के प्रकोप के चलते सड़क पर भी कांग्रेस इस मौके को नहीं भुना पाएगी. भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष देवेंद्र भसीन के मुताबिक कांग्रेस हमेशा गलत मुद्दों और दुष्प्रचार को ही तवज्जो देती रही है. ऐसे में उनसे सदन में भी किसी जनहित के मुद्दे को उठाने की उम्मीद नहीं है. जबकि सरकार के साढ़े 3 साल बेहतर रहे हैं.