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शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे बोले- 15 दिन में दूर होगी छात्र-शिक्षक विसंगति

शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने शिक्षा विभाग के तमाम अधिकारियों को आगामी 15 दिनों के भीतर प्रदेश की शिक्षा प्रणाली में बदलाव करने के निर्देश दिए हैं. साथ ही छात्र-शिक्षक विसंगति को दूर करने को भी कहा है.

शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे
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Published : Sep 17, 2019, 8:05 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड में सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था पटरी से उतर चुकी है. शिक्षा व्यवस्था में विसंगति को दूर करने को लेकर बीते लंबे समय से मांग भी चली आ रही है. जिसे लेकर अब सरकार शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में काम करने जा रही है. मामले को लेकर सूबे के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने शिक्षा विभाग के तमाम अधिकारियों को आगामी 15 दिन के भीतर प्रदेश की शिक्षा प्रणाली में बदलाव करते हुए छात्र-शिक्षक विसंगति को दूर करने के कड़े निर्देश दिए हैं.

जानकारी देते शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे.

बीते कई सालों से छात्र-शिक्षकों की संख्या में चली आ रही विसंगति सूबे की लचर शिक्षा प्रणाली की मुख्य वजह मानी जा रही है. दूरस्थ पहाड़ी जिलों के कई स्कूलों में छात्रों की संख्या ज्यादा और शिक्षकों की संख्या कम पाई गई है. जबकि, मैदानी जिलों में छात्रों की संख्या कम और शिक्षकों की संख्या ज्यादा होने के कई मामले सामने आ चुके हैं. जिसे देखते हुए अब शिक्षा मंत्री ने कड़ा रुख अपना लिया है.

ये भी पढ़ेंः सीधी भर्ती में आरक्षण रोस्टर पर विवाद बढ़ा, मंत्री मदन कौशिक की अध्यक्षता में कमेटी करेगी जांच

शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने शिक्षा विभाग के तमाम अधिकारियों को आगामी 15 दिन के भीतर प्रदेश की शिक्षा प्रणाली में बदलाव करने के निर्देश दिए हैं. साथ ही छात्र-शिक्षक विसंगति को दूर करने को भी कहा है. उन्होंने स्कूलों में छात्रों की संख्या के अनुरूप शिक्षकों की नियुक्त करने के आदेश भी दिए हैं. जिससे प्रदेश के सभी स्कूलों में शिक्षक और छात्रों की संख्या में संतुलन बनाया जा सके.

देहरादूनः उत्तराखंड में सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था पटरी से उतर चुकी है. शिक्षा व्यवस्था में विसंगति को दूर करने को लेकर बीते लंबे समय से मांग भी चली आ रही है. जिसे लेकर अब सरकार शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में काम करने जा रही है. मामले को लेकर सूबे के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने शिक्षा विभाग के तमाम अधिकारियों को आगामी 15 दिन के भीतर प्रदेश की शिक्षा प्रणाली में बदलाव करते हुए छात्र-शिक्षक विसंगति को दूर करने के कड़े निर्देश दिए हैं.

जानकारी देते शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे.

बीते कई सालों से छात्र-शिक्षकों की संख्या में चली आ रही विसंगति सूबे की लचर शिक्षा प्रणाली की मुख्य वजह मानी जा रही है. दूरस्थ पहाड़ी जिलों के कई स्कूलों में छात्रों की संख्या ज्यादा और शिक्षकों की संख्या कम पाई गई है. जबकि, मैदानी जिलों में छात्रों की संख्या कम और शिक्षकों की संख्या ज्यादा होने के कई मामले सामने आ चुके हैं. जिसे देखते हुए अब शिक्षा मंत्री ने कड़ा रुख अपना लिया है.

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शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने शिक्षा विभाग के तमाम अधिकारियों को आगामी 15 दिन के भीतर प्रदेश की शिक्षा प्रणाली में बदलाव करने के निर्देश दिए हैं. साथ ही छात्र-शिक्षक विसंगति को दूर करने को भी कहा है. उन्होंने स्कूलों में छात्रों की संख्या के अनुरूप शिक्षकों की नियुक्त करने के आदेश भी दिए हैं. जिससे प्रदेश के सभी स्कूलों में शिक्षक और छात्रों की संख्या में संतुलन बनाया जा सके.

Intro:
एंकर- शिक्षा मंत्री ने आगामी 15 दिनों के भीतर शिक्षा विभाग को छात्र-शिक्षकों की संख्या को लेकर विसंगति को खत्म करने के सख्त निर्देश दिए है साथ ही आस-पास के स्कूलों में छात्रों की संख्या के अनुरूप शिक्षकों की नियुक्ति का भी फरमान सुना दिया है।


Body:
वीओ- पिछले कई सालों से सूबे की लचर शिक्षा प्रणाली के लिए छात्र-शिक्षकों की संख्या में चलती आ रही विसंगति सबसे बड़ी वजह है। सुदूर पहाड़ी जिलों में के कई स्कूलों में बच्चों की संख्या ज्यादा और पढ़ाने वाले टीचरों की संख्या कम तो वहीं मैदानी जिलों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या दो चार में और टीचरों की संख्या दर्जनों में देखने के कई वाकिये सामने आ चुके हैं।

उत्तराखंड में लगातार गिर रहे शिक्षा के ग्राफ के लिए इस विसंगति को दूर करने के लिए लंबे समय से मांग भी चली आ रही है। जिसको देखते हुए अब शिक्षा मंत्री ने कड़ा रुख अपना लिया है । शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने शिक्षा विभाग के तमाम अधिकारियों को आगामी 15 दिनों के भीतर प्रदेश की शिक्षा प्रणाली में बदलाव करते हुए इस छात्र-शिक्षक विसंगति को दूर करने के कड़े निर्देश दिए हैं ।
शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने साफ कर दिया गया है की अब से आसपास के स्कूलों में छात्रों की संख्या के अनुरूप शिक्षकों को नियुक्त किया जाए। यानी कि अगर कहीं पर शिक्षक कम है और छात्र ज्यादा और उसी के पास किसी दूसरे स्कूल में शिक्षक ज्यादा है और छात्र कम तो वहां पर संतुलन बनाने का प्रयास किया जाए।

बाइट- अरविंद पांडे, शिक्षा मंन्त्री


Conclusion:
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