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अनुच्छेद 370: पूर्व ब्रिगेडियर पटवाल बोले- सेना को उठाने होंगे योजनबद्ध तरीके से कदम, सूचनातंत्र हो सकता है कमजोर - त्तराखंड न्यूज

अनुच्छेद 370 के समाप्त होने के बाद रिटायर्ड ब्रिगेडियर सुरेंद्र सिंह पटवाल का कहना है कि सेना को नई रणनीति के हिसाब से आतंकियों से निपटने की योजना बनानी होगी.

अनुच्छेद 370
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Published : Aug 5, 2019, 9:01 PM IST

देहरादूनः अनुच्छेद 370 के खात्मे के बाद देश में सभी जगह खुशी की लहर है. इस फैसले की जमकर तारीफ हो रही है. दूसरी ओर रक्षा विशेषज्ञ अब विशेष सतर्कता बरतने की बात कह रहे हैं. उनका मानना है कि इस फैसले के बाद जम्मू कश्मीर में आतंकी घटनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है. इस आर्टिकल के हटने वाले मामले पर अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो गया है.

सेना को जम्मू कश्मीर में अलर्ट रहने की जरूरत.

देहरादून के रिटायर्ड ब्रिगेडियर सुरेंद्र सिंह पटवाल का मानना है कि इस निर्णय के बाद सेना की मुश्किलें जम्मू कश्मीर में बढ़ सकती हैं. इतना ही नहीं सरहद पार से आने वाले आतंकवाद को खत्म करने के मामले पर आम कश्मीरी से सेना को मिलने वाले सहयोग में भी कमी आ सकती है, क्योंकि इससे घाटी के लोग इस कदम को अपने अधिकारों का हनन के रूप में ले सकते हैं.

ईटीवी भारत से विशेष बातचीत करते हुए रिटायर्ड ब्रिगेडियर सुरेंद्र सिंह पटवाल ने इस संबंध में अपने अनुभव साझा किए. उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार को योजनबद्ध तरीके से महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे. हालांकि ब्रिगेडियर पटवाल का मानना है कि 370 हटने से कश्मीर घाटी में अपने राजनीति हितों को ऊपर रख आम कश्मीरी का फायदा उठाने वालों को बड़ा झटका लग सकता है.

शिया मुस्लिम और तिब्बतियों को विश्वास में लेना जरूरी

सेना कार्यकाल के दौरान लगभग 12 सालों तक जम्मू कश्मीर के हर हिस्से में सेवाएं देने वाले ब्रिगेडियर सुरेंद्र सिंह पटवाल का मानना है कि लेह लद्दाख जैसे महत्वपूर्ण हिस्से को धारा 370 से अलग कर एक अलग केंद्र शासित प्रदेश से वहां काफी हद तक सेना को बल मिल सकता है.

हालांकि इसके लिए भी वहां सरकार को शिया मुस्लिम और तिब्बती समुदाय के लोगों को अपने विश्वास में लेकर आगे बढ़ने की जरूरत है.
रिटायर्ड ब्रिगेडियर पटवाल का मानना है कि इस निर्णय के बाद पाकिस्तान हताश निराश होकर घाटी में आतंकी घटना को बढ़ावा देने की फिराक में रहेगा. हालांकि इसके लिए भारतीय सेना पूरी तरह से पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए सक्षम है.

ब्रिगेडियर पटवाल के मुताबिक 70% मुस्लिम बाहुल्य कश्मीर में सेना को नई रणनीति के हिसाब से आतंकियों से निपटने की योजना भी अब बनानी होगी, क्योंकि आर्टिकल 370 के हटने से शुरुआती दौर पर इसका असर घाटी के उन लोगों पर पड़ेगा जो लोकल मिलिटेंट से लेकर सरहद पार वाले आतंकियों की सूचनाओं को सेना के साथ साझा करते थे.

यह भी पढ़ेंः अनुच्छेद 370: गदगद सीएम त्रिवेंद्र ने अमित शाह को बताया देश का दूसरा पटेल

हालांकि भारतीय सेना पहले भी कश्मीर की रक्षा व उनके बेहतर जीवन के लिए उनका सहयोग करते हुए उनका विश्वास जीतती आई है. ऐसे में शुरुआती नकारात्मक विचारधारा के प्रभाव से भी भारतीय सेना बखूबी निपटना जानती है.

370 के हटने से जहां एक ओर सेना की कार्रवाई में मुश्किलें बढ़ने वाली हैं तो वहीं कानून के बदलाव को देखते हुए नई रणनीति बनाकर घाटी में शांति व्यवस्था बनाने पर अब अलग से काम करना होगा.

बहरहाल, कश्मीर में अनुच्छेद 370 के ऐतिहासिक फैसले का असर जहां पूरे देश में खुशी के तौर पर देखा जा रहा है, वहीं कश्मीर घाटी में इसका किस तरह का असर देखने को मिलेगा यह तो भविष्य के गर्भ में छिपा है.

देहरादूनः अनुच्छेद 370 के खात्मे के बाद देश में सभी जगह खुशी की लहर है. इस फैसले की जमकर तारीफ हो रही है. दूसरी ओर रक्षा विशेषज्ञ अब विशेष सतर्कता बरतने की बात कह रहे हैं. उनका मानना है कि इस फैसले के बाद जम्मू कश्मीर में आतंकी घटनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है. इस आर्टिकल के हटने वाले मामले पर अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो गया है.

सेना को जम्मू कश्मीर में अलर्ट रहने की जरूरत.

देहरादून के रिटायर्ड ब्रिगेडियर सुरेंद्र सिंह पटवाल का मानना है कि इस निर्णय के बाद सेना की मुश्किलें जम्मू कश्मीर में बढ़ सकती हैं. इतना ही नहीं सरहद पार से आने वाले आतंकवाद को खत्म करने के मामले पर आम कश्मीरी से सेना को मिलने वाले सहयोग में भी कमी आ सकती है, क्योंकि इससे घाटी के लोग इस कदम को अपने अधिकारों का हनन के रूप में ले सकते हैं.

ईटीवी भारत से विशेष बातचीत करते हुए रिटायर्ड ब्रिगेडियर सुरेंद्र सिंह पटवाल ने इस संबंध में अपने अनुभव साझा किए. उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार को योजनबद्ध तरीके से महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे. हालांकि ब्रिगेडियर पटवाल का मानना है कि 370 हटने से कश्मीर घाटी में अपने राजनीति हितों को ऊपर रख आम कश्मीरी का फायदा उठाने वालों को बड़ा झटका लग सकता है.

शिया मुस्लिम और तिब्बतियों को विश्वास में लेना जरूरी

सेना कार्यकाल के दौरान लगभग 12 सालों तक जम्मू कश्मीर के हर हिस्से में सेवाएं देने वाले ब्रिगेडियर सुरेंद्र सिंह पटवाल का मानना है कि लेह लद्दाख जैसे महत्वपूर्ण हिस्से को धारा 370 से अलग कर एक अलग केंद्र शासित प्रदेश से वहां काफी हद तक सेना को बल मिल सकता है.

हालांकि इसके लिए भी वहां सरकार को शिया मुस्लिम और तिब्बती समुदाय के लोगों को अपने विश्वास में लेकर आगे बढ़ने की जरूरत है.
रिटायर्ड ब्रिगेडियर पटवाल का मानना है कि इस निर्णय के बाद पाकिस्तान हताश निराश होकर घाटी में आतंकी घटना को बढ़ावा देने की फिराक में रहेगा. हालांकि इसके लिए भारतीय सेना पूरी तरह से पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए सक्षम है.

ब्रिगेडियर पटवाल के मुताबिक 70% मुस्लिम बाहुल्य कश्मीर में सेना को नई रणनीति के हिसाब से आतंकियों से निपटने की योजना भी अब बनानी होगी, क्योंकि आर्टिकल 370 के हटने से शुरुआती दौर पर इसका असर घाटी के उन लोगों पर पड़ेगा जो लोकल मिलिटेंट से लेकर सरहद पार वाले आतंकियों की सूचनाओं को सेना के साथ साझा करते थे.

यह भी पढ़ेंः अनुच्छेद 370: गदगद सीएम त्रिवेंद्र ने अमित शाह को बताया देश का दूसरा पटेल

हालांकि भारतीय सेना पहले भी कश्मीर की रक्षा व उनके बेहतर जीवन के लिए उनका सहयोग करते हुए उनका विश्वास जीतती आई है. ऐसे में शुरुआती नकारात्मक विचारधारा के प्रभाव से भी भारतीय सेना बखूबी निपटना जानती है.

370 के हटने से जहां एक ओर सेना की कार्रवाई में मुश्किलें बढ़ने वाली हैं तो वहीं कानून के बदलाव को देखते हुए नई रणनीति बनाकर घाटी में शांति व्यवस्था बनाने पर अब अलग से काम करना होगा.

बहरहाल, कश्मीर में अनुच्छेद 370 के ऐतिहासिक फैसले का असर जहां पूरे देश में खुशी के तौर पर देखा जा रहा है, वहीं कश्मीर घाटी में इसका किस तरह का असर देखने को मिलेगा यह तो भविष्य के गर्भ में छिपा है.

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summary-कश्मीर से धारा 370 हटाने मामलें पर रिटार्यड ब्रिगेडियर बोले इससे सेना की मुश्किलें बढ़ सकती हैं! आतंकवाद खात्मे पर आम कश्मीरी से सेना को मिलने वाली मद्दत में फ़र्क पड़ सकता हैं!! पाकिस्तान भी आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने की योजना बनाएगा:ब्रिगेडियर


जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने वाले ऐतिहासिक निर्णय पर जहां पूरे देश में खुशी की लहर है तो वही दूसरी तरफ इस आर्टिकल के हटने वाले मामलें पर अलग अलग तरह को प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो चुका है धारा 370 के जम्मू कश्मीर से हटने के संबंध में देहरादून के रिटायर्ड ब्रिगेडियर सुरेंद्र सिंह पटवाल का मानना है कि इस निर्णय के बाद सेना की मुश्किलें जम्मू कश्मीर में बढ़ सकती है,इतना ही नहीं सरहद पार से आने वाले आतंकवाद को कश्मीर से खत्म करने मामले पर आम कश्मीरी से सेना को मिलने वाले सहयोग में भी धारा 370 के हटने कमी आ सकती हैं। क्योंकि इससे घाटी के लोग अपने अधिकारों का हनन के रूप से ले सकते हैं,ऐसे में इसके लिए सरकार को योजनबद्ध तरीके से महत्वपूर्ण कदम भी उठाने होंगे। हालाँकि ब्रिगेडियर पटवाल का मानना है कि धारा 370 हटने से कश्मीर घाटी में अपने राजनीति हितों को ऊपर रख आम कश्मीरी का फायदा उठा कर अपने स्वार्थों की राजनीति करने राजनेताओं को सबसे बड़ा झटका लग सकता है।


Body:लेह लद्दाख में रहने वाले शिया मुस्लिम और तिब्बतियों को विश्वास में लेना जरूरी

सेना कार्यकाल के दौरान लगभग 12 सालों तक जम्मू कश्मीर के हर हिस्से में अपनी सैनिक सेवाएं देने वाले ब्रिगेडियर सुरेंद्र सिंह पटवाल का मानना है कि ले लद्दाख जैसे महत्वपूर्ण हिस्से को धारा 370 से अलग कर एक अलग केंद्र शासित प्रदेश से वहां काफी हद तक सेना को बल मिल सकता है। हालांकि इसके लिए भी वहां सरकार को सिया मुस्लिम और तिब्बती समुदाय के लोगों को अपने विश्वास में लेकर आगे बढ़ने की जरूरत है।



Conclusion:धारा 370 जैसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक फैसले को लेकर रिटायर्ड ब्रिगेडियर पटवाल का मानना है कि इस निर्णय के बाद पाकिस्तान हताश निराश होकर घाटी में आतंकी घटना को बढ़ावा देने की फिराक जरूर करेगा हालांकि इसके लिए भारतीय सेना पूरी तरह से पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब देने के लिए सक्षम है। ब्रिगेडियर पटवाल के मुताबिक 70% मुस्लिम बाहुल्य कश्मीर में सेना को नई रणनीति के हिसाब से आतंकियों से निपटने की योजना भी अब बनानी होगी क्योंकि आर्टिकल 370 के हटने से शुरुआती दौर पर इसका असर घाटी के उन लोगों पर दी पण आता है माना जा सकता है जो लोकल मिलिटेंट से लेकर सरहद पार वाले आतंकियों की सूचनाओं को सेना के साथ साझा करते थे। हालांकि भारतीय सेना पहले भी कश्मीरी की रक्षा व उनके बेहतर जीवन के लिए उनका सहयोग करते हुए उनका विश्वास जीतती आई है ऐसे में शुरुआती नकारात्मक विचारधारा के प्रभाव से भी भारतीय सेना बखूबी नीमच निपटना जानती है। धारा 370 के हटने से जहां एक और सेना की कार्रवाई में मुश्किलें बढ़ने वाली है तो वही कानून के बदलाव को देखते हुए नई रणनीति के बनाकर घाटी में शांति व्यवस्था बनाने पर अब अलग से काम करना होगा।

ईटीवी भारत से विशेष बातचीत करते हुए रिटायर्ड ब्रिगेडियर सुरेंद्र सिंह पटवाल कश्मीर घाटी से धारा 370 हटने को लेकर एक सैनिक की नजरिए से अपने अनुभव और विचारों को हमारे साथ साझा किया।

one to one
रिटायर्ड ब्रिगेडियर सुरिंदर सिंह पटवाल

बहराल कश्मीर में धारा 370 के ऐतिहासिक फैसले का असर जहां पूरे देश में खुशी के तौर पर देखा जा रहा है वहीं कश्मीर घाटी में इसका किस तरह का असर देखने को मिलेगा यह तो भविष्य के गर्भ में छिपा है।
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