देहरादून: कोरोनाकाल में अपने माता-पिता को खो चुके 21 साल तक के बच्चों के लिए राज्य सरकार की ओर से वात्सल्य योजना लाई गई है, जिसका शासनादेश भी बीते सप्ताह जारी हो चुका है. ऐसे में सभी के जहन में यह सवाल है कि आखिर जो आर्थिक सहायता सरकार की ओर से इन अनाथ बच्चों को दी जाएगी व किस तरह बच्चों तक पहुंचेगी ? आइए जानते हैं...
बता दें, वात्सल्य योजना के तहत ऐसे अनाथ बच्चे जिनकी उम्र 18 साल से कम है. उनकी सहायता राशि उपयुक्त व्यक्ति, संरक्षक व बच्चे के संयुक्त खाते में डीबीटी (Direct Benefit Transfer) के माध्यम से जमा की जाएगी. वहीं, इस संयुक्त रूप से खुले खाते से अन्य किसी तरह का लेन-देन नहीं किया जा सकेगा.
वहीं, इस पर नजर बनाए रखने के लिए जिला अधिकारी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया जाएगा, जिसमें मुख्य चिकित्सा अधिकारी मुख्य शिक्षा अधिकारी जिला पूर्ति अधिकारी और जिला कार्यक्रम अधिकारी सदस्य होंगे.
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वात्सल्य योजना से ये अनाथ बच्चे भी हो सकेंगे लाभान्वित
ऐसे बच्चे जिन्होंने कोरोनाकाल में अपने माता-पिता दोनों को खो दिया हो, या फिर ऐसे बच्चे जिन की परवरिश सिंगल पेरेंट्स द्वारा की जा रही हो. लेकिन उनकी भी कोरोना काल में या तो कोरोना संक्रमित होने से या फिर किसी अन्य गंभीर बीमारी के चलते मृत्यु हो गई हो. उनके पास कमाई का कोई साधन न होने पर सभी 21 साल तक के बच्चों को इस योजना का लाभ मिल सकेगा.
वात्सल्य योजना के दायरे में नहीं आएंगे ये बच्चे
ऐसे बच्चे जिन्होंने कोरोनाकाल में अपने माता-पिता दोनों में से किसी एक को खो दिया हो, लेकिन उनके सिंगल पैरंट को या तो सरकारी सेवा, पुरानी पेंशन या फिर पारिवारिक पेंशन मिल रही हो, तो ऐसे बच्चे वात्सल्य योजना के दायरे में नहीं आएंगे.
बढ़ सकती है बच्चों की संख्या- मंत्री
महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास राज्यमंत्री रेखा आर्य के मुताबिक उनके विभाग ने अन्य संबंधित विभागों की मदद से अब तक प्रदेश में कोरोनाकाल में अनाथ हुए 555 बच्चों का पता लगा लिया है. वहीं, लगातार जिलाधिकारियों और जिला स्वास्थ्य अधिकारियों के माध्यम से ऐसे अन्य बच्चों का पता लगाने का भी प्रयास किया जा रहा है. ऐसे में इस बात की पूरी संभावना है कि इस संख्या में बढ़ोत्तरी हो सकती है.