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देहरादून: हॉलमार्क वाले आभूषण को लेकर ग्राहकों को किया गया जागरूक - वैश्विक अर्थव्यवस्था में मानकों की महत्ता

बदलते परिवेश में लोगों को आभूषणों की खरीदारी करते समय सचेत रहने की जरूरत है. ग्राहकों को हॉल मार्किंग स्कीम के तहत ही सोने और चांदी के आभूषण खरीदने चाहिए. आभूषण में गुणवत्ता की कमी होने पर टेस्टिंग भी करवा सकते हैं.

हॉल मार्किंग
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Published : Oct 16, 2019, 2:26 PM IST

देहरादून: भारतीय मानक ब्यूरो ने विश्व मानक दिवस पर एक राजधानी में एक कार्यशाला का आयोजन किया. इसमें मुख्य अतिथि के तौर पर उत्तराखंड के प्रभारी सचिव सुशील कुमार ने शिरकत की. इस दौरान कार्यशाला में वक्ताओं ने नियामकों, उद्योगों, उपभोक्ताओं तथा समाज के बीच वैश्विक अर्थव्यवस्था में मानकों की महत्ता के प्रति जागरूक किया गया.

हॉल मार्किंग को लेकर किया जागरूक.

मुख्य अतिथि ने कहा कि बदलते परिवेश के चलते यह समय अब नहीं रहा कि ग्राहक दुकानों से ही वस्तुएं खरीदें. आजकल ग्राहक काफी जागरूक हो गया है. इसलिए कमर्शियल ट्रेडिंग, ऑनलाइन ट्रेडिंग, होम डिलीवरी में भी मानकीकरण की आवश्यकता है.भारत सरकार ने ग्राहकों के हितों को ध्यान में रखते हुए नया कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 बनाया है उसमें भी अभी नियम बनाए जा रहे हैं कि किस प्रकार इस तरह की ट्रेडिंग को रेग्युलेट किया जाए.

उन्होंने कहा कि सोने और चांदी की गुणवत्ता के लिए हॉल मार्किंग के जरिए आभूषणों के स्टैंडर्ड तय किए जाते हैं. उन्होंने बल देते हुए कहा कि यदि लोगों को सोने चांदी की खरीदारी करनी है तो हॉल मार्क युक्त आभूषण ही खरीदने चाहिए. यदि ग्राहक को उसमें रिप्लेसमेंट या मरम्मत की आवश्यकता पड़ती है तो ज्वेलर को उसी गुणवत्ता का आभूषण तैयार करके ग्राहक को वापस देना होता है.

वहीं, त्योहारी सीजन को देखते हुए हॉल मार्किंग का महत्व बताते हुए भारतीय मानक ब्यूरो के उप महानिदेशक उत्तर, एनके कंसारा ने कहा कि हॉल मार्किंग स्कीम के तहत ही ग्राहकों को स्वर्णाभूषणों और चांदी के आभूषणों की खरीदारी करनी चाहिए.

साथ ही ग्राहकों को खरीदारी करते समय एक बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए कि बिल अवश्य लें, क्योंकि यदि ग्राहक को कोई संदेह उत्पन्न होता है कि आभूषण में गुणवत्ता की कमी है तो ऐसे में मान्यता प्राप्त सेंटरों पर जाकर ग्राहक आभूषणों की टेस्टिंग करवा सकते हैं.

यदि उसके बाद आभूषण में कोई कमी पाई जाती है तो नियमानुसार ग्राहक को मुआवजा राशि देने के साथ ही ज्वेलर को जुर्माना भरना पड़ सकता है. उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि कोई भी ज्वेलर खुद हॉलमार्क का चिन्ह नहीं लगा सकता है. इसके लिए अधिकृत हॉल मार्किंग सेंटर स्थापित किए गए हैं.

यह भी पढ़ेंः उत्तराखंड पंचायत चुनाव: तीसरे चरण के लिए मतदान शुरू, वोटिंग के लिए लोगों में खासा उत्साह

अगर कोई ज्वेलर ग्राहक को 1 घंटे के भीतर हॉल मार्किंग कराने का दावा करता है तो वह बिल्कुल गलत है क्योंकि हॉल मार्किंग कराने के लिए कम से कम 4 से 5 घंटे लगते हैं इसलिए ग्राहक को आभूषण खरीदने के दौरान जागरूक होना जरूरी है.

क्या है हॉलमार्क
हॉलमार्क प्लेटिनम सोने, चांदी और अन्य बहुमूल्य धातुओं पर लगाए जाने वाला अधिकारिक मोहर है जो उसकी गुणवत्ता प्रमाणित करने के लिए लगाई जाती है.

हॉलमार्क चिन्ह का महत्व
आभूषण में मिलावट रोकने के लिए हॉल मार्किंग की व्यवस्था है. यह व्यवस्था बेहद पुरानी हैं और अलग-अलग देशों में हॉल मार्किंग की व्यवस्था भी अलग-अलग है. हॉल मार्क के आभूषण अंतरराष्ट्रीय मानक के होते हैं. प्लेटिनम, सोने ,चांदी ,हीरे आदि के आभूषणों की गुणवत्ता की पहचान के लिए हॉलमार्क चिन्ह की एक समान व्यवस्था है इस पर भारत सरकार की गारंटी होती है.

देहरादून: भारतीय मानक ब्यूरो ने विश्व मानक दिवस पर एक राजधानी में एक कार्यशाला का आयोजन किया. इसमें मुख्य अतिथि के तौर पर उत्तराखंड के प्रभारी सचिव सुशील कुमार ने शिरकत की. इस दौरान कार्यशाला में वक्ताओं ने नियामकों, उद्योगों, उपभोक्ताओं तथा समाज के बीच वैश्विक अर्थव्यवस्था में मानकों की महत्ता के प्रति जागरूक किया गया.

हॉल मार्किंग को लेकर किया जागरूक.

मुख्य अतिथि ने कहा कि बदलते परिवेश के चलते यह समय अब नहीं रहा कि ग्राहक दुकानों से ही वस्तुएं खरीदें. आजकल ग्राहक काफी जागरूक हो गया है. इसलिए कमर्शियल ट्रेडिंग, ऑनलाइन ट्रेडिंग, होम डिलीवरी में भी मानकीकरण की आवश्यकता है.भारत सरकार ने ग्राहकों के हितों को ध्यान में रखते हुए नया कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 बनाया है उसमें भी अभी नियम बनाए जा रहे हैं कि किस प्रकार इस तरह की ट्रेडिंग को रेग्युलेट किया जाए.

उन्होंने कहा कि सोने और चांदी की गुणवत्ता के लिए हॉल मार्किंग के जरिए आभूषणों के स्टैंडर्ड तय किए जाते हैं. उन्होंने बल देते हुए कहा कि यदि लोगों को सोने चांदी की खरीदारी करनी है तो हॉल मार्क युक्त आभूषण ही खरीदने चाहिए. यदि ग्राहक को उसमें रिप्लेसमेंट या मरम्मत की आवश्यकता पड़ती है तो ज्वेलर को उसी गुणवत्ता का आभूषण तैयार करके ग्राहक को वापस देना होता है.

वहीं, त्योहारी सीजन को देखते हुए हॉल मार्किंग का महत्व बताते हुए भारतीय मानक ब्यूरो के उप महानिदेशक उत्तर, एनके कंसारा ने कहा कि हॉल मार्किंग स्कीम के तहत ही ग्राहकों को स्वर्णाभूषणों और चांदी के आभूषणों की खरीदारी करनी चाहिए.

साथ ही ग्राहकों को खरीदारी करते समय एक बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए कि बिल अवश्य लें, क्योंकि यदि ग्राहक को कोई संदेह उत्पन्न होता है कि आभूषण में गुणवत्ता की कमी है तो ऐसे में मान्यता प्राप्त सेंटरों पर जाकर ग्राहक आभूषणों की टेस्टिंग करवा सकते हैं.

यदि उसके बाद आभूषण में कोई कमी पाई जाती है तो नियमानुसार ग्राहक को मुआवजा राशि देने के साथ ही ज्वेलर को जुर्माना भरना पड़ सकता है. उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि कोई भी ज्वेलर खुद हॉलमार्क का चिन्ह नहीं लगा सकता है. इसके लिए अधिकृत हॉल मार्किंग सेंटर स्थापित किए गए हैं.

यह भी पढ़ेंः उत्तराखंड पंचायत चुनाव: तीसरे चरण के लिए मतदान शुरू, वोटिंग के लिए लोगों में खासा उत्साह

अगर कोई ज्वेलर ग्राहक को 1 घंटे के भीतर हॉल मार्किंग कराने का दावा करता है तो वह बिल्कुल गलत है क्योंकि हॉल मार्किंग कराने के लिए कम से कम 4 से 5 घंटे लगते हैं इसलिए ग्राहक को आभूषण खरीदने के दौरान जागरूक होना जरूरी है.

क्या है हॉलमार्क
हॉलमार्क प्लेटिनम सोने, चांदी और अन्य बहुमूल्य धातुओं पर लगाए जाने वाला अधिकारिक मोहर है जो उसकी गुणवत्ता प्रमाणित करने के लिए लगाई जाती है.

हॉलमार्क चिन्ह का महत्व
आभूषण में मिलावट रोकने के लिए हॉल मार्किंग की व्यवस्था है. यह व्यवस्था बेहद पुरानी हैं और अलग-अलग देशों में हॉल मार्किंग की व्यवस्था भी अलग-अलग है. हॉल मार्क के आभूषण अंतरराष्ट्रीय मानक के होते हैं. प्लेटिनम, सोने ,चांदी ,हीरे आदि के आभूषणों की गुणवत्ता की पहचान के लिए हॉलमार्क चिन्ह की एक समान व्यवस्था है इस पर भारत सरकार की गारंटी होती है.

Intro: भारतीय मानक ब्यूरो ने विश्व मानक दिवस पर एक कार्यशाला का आयोजन किया जिसमें मुख्य अतिथि के तौर पर उत्तराखंड के प्रमुख सचिव सुशील कुमार ने शिरकत की। इस दौरान कार्यशाला में वक्ताओं ने नियामको, उद्योगों ,उपभोक्ताओं तथा समाज के बीच वैश्विक अर्थव्यवस्था में मानकों की महत्ता के प्रति जागरूक किया गया।


Body: कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर पहुंचे प्रमुख सचिव सुशील कुमार ने कहा कि बदलते परिवेश के चलते यह समय अब नहीं रहा कि ग्राहक दुकानों से ही वस्तुएं खरीद रहे हैं, आजकल कंजूमर काफी जागरूक हो गया है,इसलिए कमर्शियल ट्रेडिंग ऑनलाइन ट्रेडिंग, होम डिलीवरी में भी मानकीकरण की आवश्यकता है। भारत सरकार ने ग्राहकों के हितों को ध्यान में रखते हुए नया कंजूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 बनाया है उसमें भी अभी नियम बनाए जा रहे हैं कि किस प्रकार इस तरह की ट्रेडिंग को रेगुलेट किया जाए । उन्होंने कहा कि सोने और चांदी की गुणवत्ता के लिए हॉल मार्किंग के जरिए आभूषणों के स्टैंडर्ड तय किए जाते हैं। उन्होंने बल देते हुए कहा कि यदि लोगों को सोने चांदी की खरीदारी करनी है तो हॉल मार्क युक्त आभूषण ही खरीदने चाहिए। यदि ग्राहक को उसमें रिप्लेसमेंट या मरम्मत की आवश्यकता पड़ती है तो ज्वेलर को उसी गुणवत्ता का आभूषण तैयार करके ग्राहक को वापस देना होता है

वाइट सुशील कुमार प्रमुख सचिव उत्तराखंड शासन

वही त्योहारी सीजन को देखते हुए हॉल मार्किंग का महत्व बताते हुए भारतीय मानक ब्यूरो के उप महानिदेशक उत्तर, एनके कंसारा ने कहा कि हॉल मार्किंग स्कीम के तहत ही ग्राहकों को स्वर्णाभूषणों और चांदी के आभूषणों की खरीदारी करनी चाहिए। लेकिन ग्राहकों को खरीदारी करते समय एक बात का ध्यान जरूर रखना चाहिए कि बिल अवश्य लें। क्योंकि यदि ग्राहक को कोई संदेश उत्पन्न होता है कि आभूषण में गुणवत्ता की कमी है तो ऐसे में मान्यता प्राप्त सेंटरों पर जाकर ग्राहक आभूषणों की टेस्टिंग करवा सकते हैं। यदि उसके बाद आभूषण में कोई कमी पाई जाती है तो नियमानुसार ग्राहक को मुआवजा राशि देने के साथ ही ज्वैलर को जुर्माना भरना पड़ सकता है। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि कोई भी ज्वैलर खुद हॉलमार्क का चिन्ह नहीं लगा सकता है इसके लिए अधिकृत हॉल मार्किंग सेंटर स्थापित किए गए हैं अगर कोई ज्वैलर ग्राहक को 1 घंटे के भीतर हॉल मार्किंग कराने का दावा करता है तो वह बिल्कुल गलत है क्योंकि हॉल मार्किंग कराने के लिए कम से कम 4 से 5 घंटे लगते हैं इसलिए ग्राहक को आभूषण खरीदने के दौरान जागरूक होना जरूरी है।

बाईट-एनके कंसारा, उप महाप्रबंधक उत्तर, भारतीय मानक ब्यूरो


Conclusion:क्या है हॉलमार्क-
हॉलमार्क प्लैटिनम स्वर्ण रजत आती बहुमूल्य धातुओं पर लगाए जाने वाला अधिकारिक चिनिया मोहर है जो उसकी गुणवत्ता प्रमाणित करने के लिए लगाई जाती है।

हॉलमार्क चिन्ह का महत्व-
आभूषण में मिलावट रोकने के लिए हॉल मार्किंग की व्यवस्था है यह व्यवस्था बेहद पुरानी हैं और अलग-अलग देशों में हॉल मार्किंग की व्यवस्था भी अलग-अलग है हॉल मार्क के आभूषण अंतरराष्ट्रीय मानक के होते हैं प्लैटिनम, सोने ,चांदी ,हीरे आदि के आभूषणों की गुणवत्ता की पहचान के लिए हॉलमार्क चिन्ह की एक समान व्यवस्था है इस पर भारत सरकार की गारंटी होती है।
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