देहरादून: कोरोना काल के दौरान उत्तराखंड में श्रीदेव सुमन यूनिवर्सिटी से एफिलेटेड 8 कॉलेजों ने आवंटित सीटों से ज्यादा छात्रों से परीक्षा दिलवा कर नियमों के विरुद्ध जाकर काम किया गया. जिन पर अब विश्वविद्यालय की कार्रवाई की तलवार लटक रही है. इन प्राइवेट कॉलेजों की विश्वविद्यालय से संबद्धता को आंशिक या पूर्ण रूप से खत्म करने के लिए राज्यपाल को अनुमोदन किया गया. जिस पर अंतिम निर्णय राज्यपाल लेंगे.
कोविड महामारी के दौरान उच्च शिक्षा में छात्रों के भविष्य पर असर ना पड़े, इसके लिए विश्वविद्यालयों द्वारा परीक्षाओं के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे गए. जिसमें प्राइवेट कॉलेजों के माध्यम से तकरीबन 700 ऐसे बच्चों ने परीक्षा फॉर्म भरे, जिन्हें सीटें आवंटित नहीं थी. अफसोस की बात तो यह है कि विश्वविद्यालय द्वारा भी इनकी परीक्षाएं करवा दी गई.
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बाद में मामला जब सामने आया तो खुलासा हुआ कि प्राइवेट कॉलेज और विश्वविद्यालय के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से इस घटनाक्रम को अंजाम दिया गया है. जिसके बाद 700 बच्चों का रिजल्ट तत्काल प्रभाव से विश्वविद्यालय ने रोक दिया. विश्वविद्यालय और प्राइवेट कॉलेजों की गलती की वजह से इन छात्रों का भविष्य अधर में लटक रहा था. हालांकि इस पर विश्वविद्यालय द्वारा इन छात्रों का रिजल्ट घोषित करने की घोषणा की गई, लेकिन जिन लोगों द्वारा नियमों के विरुद्ध जाकर यह काम किया गया उनके खिलाफ जांच भी बैठाई गई है.
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प्राइवेट कॉलेजों पर कड़ी कार्रवाई: श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ पीपी ध्यानी ने बताया जैसे ही विश्वविद्यालय के कुछ लापरवाह अधिकारी और प्राइवेट कॉलेजों की मिलीभगत से हुए इस कारनामे की सूचना उन्हें मिली उन्होंने तत्काल का इस पर कार्रवाई की. सबसे पहले उन्होंने इन छात्रों का रिजल्ट रोका. उसके बाद छात्र हित में फैसला लेते हुए रिजल्ट जारी कर दिया गया, लेकिन जांच बिठाई गई. इतना ही नहीं विश्वविद्यालय परिषद ने बोर्ड बैठक में 3 कड़े फैसले भी इन कॉलेजों के खिलाफ लिए हैं जो किस प्रकार से हैं.
- विश्वविद्यालय बोर्ड ने फैसला लिया कि नियमों के विरुद्ध काम करने में संलिप्त पाए गए प्राइवेट कॉलेजों ने जितनी सीटों पर अतिरिक्त प्रवेश दिया था. अगले शैक्षणिक सत्र में उनकी उतनी सीटों को काट दिया जाएगा. अब अगले शैक्षणिक सत्र में इन प्राइवेट कॉलेजों के सीट आवंटन को संतुलित किया जाएगा.
- दूसरा फैसला विश्वविद्यालय ने लिया है कि संलिप्त प्राइवेट कॉलेजों से विश्वविद्यालय अगले साल 30 फीसदी पेनाल्टी वसूलेगा. प्राइवेट कॉलेज यह शुल्क छात्रों से नहीं लेगा. अगर छात्रों से पेनाल्टी शुल्क लिया जाता है तो उस पर भी कार्रवाई की जाएगी.
- तीसरा फैसला विश्वविद्यालय बोर्ड में सर्वसम्मति से अनियमितता में पाए गए इन प्राइवेट कॉलेजों की विश्वविद्यालय से संबद्धता को आंशिक या पूर्ण रूप से खत्म करने के लिए राज्यपाल को अनुमोदन किया गया. जिस पर अंतिम निर्णय राज्यपाल लेंगे.
2 महीने से जांच लटकी पड़ी है: श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर पीपी ध्यानी ने बताया कि जैसे ही उन्हें इस प्रकरण के बारे में जानकारी मिली उनके द्वारा तत्काल प्रभाव से पहले रिजल्ट पर रोक लगाई गई. मामला समझ में आने के बाद छात्रों का भविष्य खराब ना हो इसलिए छात्र हित में परीक्षा के परिणाम तो घोषित किए गए. लेकिन इसके साथ साथ विश्वविद्यालय ने अपने स्तर पर एक जांच भी गठित की गई. जो कि विश्वविद्यालय के प्रभारी परीक्षा नियंत्रक महावीर सिंह रावत को दी गई. यह जांच वीसी द्वारा 23 जुलाई 2021 को दी गई थी. अब 2 महीने होने को आए हैं, लेकिन अब तक जांच में कुछ स्पष्ट नहीं हो पाया है.
बता दें कि जिस वक्त इन 700 छात्रों से नियमों के विरुद्ध जाकर परीक्षाएं दिलवाई गई, उस समय भी परीक्षा नियंत्रक की जिम्मेदारी महावीर सिंह रावत पर ही थी. जब महावीर सिंह रावत से भी संपर्क किया तो उनकी ओर से इस पर कोई जवाब नहीं आया.
प्राइवेट कॉलेजों ने मांगी माफी: शुरुआत में जब मामला संज्ञान में आया तो 14 कॉलेज संदिग्ध पाए गए. जिनमें अलॉट सीटों से ज्यादा छात्रों को प्रवेश करवाया गया. बाद में जानकारी मिली कि मात्र 8 ऐसे कॉलेज हैं, जिनके द्वारा नियमों के विरुद्ध जाकर स्वीकृत सीटों से ज्यादा छात्रों को परीक्षा दिलवाई गई. इस पूरे मामले पर प्राइवेट कॉलेजों का भी हमने पक्ष जानना चाहा. जिसमें देहरादून का डीडी कॉलेज भी शामिल है. डीडी कॉलेज के चेयरमैन जितेंद्र यादव का कहना है कि यह कोरोना काल में त्रुटिवश हुई भूल है.
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उन्होंने कहा प्राइवेट कॉलेजों में स्वीकृत सीटों से ज्यादा प्रवेश नहीं दिया गया है. बल्कि कोविड-19 के चलते छात्रों द्वारा कॉलेज में ना आकर खुद से परीक्षा के लिए आवेदन किया गया. जिसमें उनके द्वारा अपने सब्जेक्ट गलत भरे गए. विश्वविद्यालय द्वारा भी इसको क्रॉस चेक नहीं किया गया. जिस वजह से एक ही सब्जेक्ट में कई बच्चों ने परीक्षाएं दे दी.
जितेंद्र यादव ने विश्वविद्यालय प्रशासन और राज्यपाल से गुहार लगाई है कि इसे विश्वविद्यालय और प्राइवेट कॉलेजों की भूल मानकर क्षमा किया जाए. आगे के लिए एफिडेविट पेपर पर भी लिखवा कर लिया जा सकता है. कोई बड़ी कार्रवाई प्राइवेट कॉलेजों के खिलाफ न करें क्योंकि इन प्राइवेट कॉलेजों के जरिए कई हजारों बच्चों का भविष्य संवरता है.