विकासनगर: देहरादून जिला प्रशासन ने जल विद्युत परियोजना से प्रभावित लोहारी गांव में रहने वाले 90 परिवारों को 48 घंटे में गांव खाली करने के नोटिस थमा दिया है. प्रशासन के इस नोटिस से ग्रामीण सदमे में हैं और काफी आक्रोशित भी हैं. ग्रामीणों का कहना है कि इतने कम समय में वे कैसे गांव खाली कर सकते हैं. हालांकि ग्रामीणों ने अपने सामान पैक करना शुरू कर दिया है.
पैतृक गांव से बिछड़ने का दर्द ग्रामीणों की आंखों में साफ नजर आ रहा है. ग्रामीणों को चिंता सता रही है कि इतने कम समय में वे कैसे अपने लिए नया आशियाना खोजेंगे. ग्रामीणों के आरोप पर प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि नियमानुसार गांव को खाली करवाने की कार्रवाई की जा रही है.
व्यासी परियोजना से आसपास के 6 गांव के 334 परिवार प्रभावित हो रहे हैं. इनमें से एक जौनसार-भाबर की अनूठी संस्कृति और परंपरा वाला जनजातीय आबादी वाला गांव लोहारी भी है. 90 परिवार वाला ये पूरा गांव झील में समा जाएगा. लोहारी गांव की महिलाएं यमुना पर बनी झील का गांव की ओर चढ़ता पानी दिखाती हैं. धीरे-धीरे आम के पेड़ पानी में डूब रहे हैं और पशुओं की छानी झील की दूसरी तरफ चली गई है.
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गांव को लोग रुंधे गले से खेतों पर लगाए गए पीले निशान को देखते हुए बताते हैं कि यह 626 मीटर का स्तर दर्शाता है. यहां तक पानी चढ़ने पर उनके खेत डूब जाएंगे. 631 मीटर पर पूरा गांव डूब जाएगा. बेहद सुंदर-पर्वतीय शैली में लकड़ियों से बने मकान भी झील में समा जाएंगे, जिससे एक पूरी सभ्यता डूब जाएगी.
लोहारी गांव लखवाड़ और व्यासी दोनों परियोजनाओं से प्रभावित हो रहा है. लखवाड़-व्यासी परियोजना के लिए वर्ष 1972 में सरकार और ग्रामीणों के बीच जमीन अधिग्रहण का समझौता हुआ था. 1977-1989 के बीच गांव की 8,495 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की जा चुकी है. जबकि लखवाड़ परियोजना के लिए करीब 9 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाना बाकी है.