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अद्भुत हिमाचल: यहां विराजमान है पत्थरों से बनाई गई पांडवों की पांच मूर्तियां

ईटीवी भारत की खास सीरीज 'अद्भुत हिमाचल' में आज हम आपको प्रसिद्ध शक्ति पीठ हाटकोटी मंदिर के बारे में बताएंगे. कलयुग में आज हम देवभूमि हिमाचल का आपको द्वापर युग से संबंध बताएंगे. द्वापर युग में जब पांडव वनवास काटने के लिए आए थे.

Himachal News
यहां विराजमान है पत्थरों से बनाई गई पांडवों की पांच मूर्तियां.
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Published : Dec 24, 2019, 7:57 AM IST

रामपुर: शिमला से लगभग 110 किलोमीटर की दूरी पर जुब्बल कोटखाई में पब्बर नदी के किनारे मां हाटेश्वरी का प्राचीन मंदिर स्थित है. मान्यता है कि इस प्राचीन मंदिर का निर्माण 800 वर्ष पहले हुआ था. मंदिर के साथ लगते सुनपुर के टीले पर कभी विराट नगरी थी जहां पर पांडवों ने अपना अज्ञातवास का कुछ समय यहां व्यतीत किए था.

यहां विराजमान है पत्थरों से बनाई गई पांडवों की पांच मूर्तियां.

मान्यता है कि पांडवों ने मंदिर में कुछ दिन व्यतीत किए थे और इसके प्रमाण आज भी यहां पर देखने को मिलते हैं. मंदिर में पत्थरों से बनाए गई पांच पांडवों की मूर्तियां विराजमान हैं, जिनकी लोग आज भी पूजा करते है. लोगों की इस मंदिर से अटूट आस्था जुड़ी है.

पढ़ें-NRC और CAA के समर्थन में उतरे हिंदू संगठन और छात्र, बताया सराहनीय कदम

माता हाटेश्वरी का मंदिर विशकुल्टी, राईनाला और पब्बर नदी के संगम पर सोनपुरी पहाड़ी पर स्थित है. मूलरूप से यह मंदिर शिखराकार नागर शैली में बना हुआ था बाद में एक श्रद्धालु ने इसकी मरम्मत कर इसे पहाड़ी शैली के रूप में परिवर्तित कर दिया था.

कहा जाता है कि यहां पर माता की मूर्ति को ले जाने के लिए नेपाल के राजा आए थे. वे माता की मूर्ति को अपने साथ ले जाना चाहते थे और अपने राज्य में स्थापित करना चाहते थे, लेकिन राजा यहां से माता की मूर्ति को उठाने में नाकाम रहे. आखिर में हार मानते हुए वे वापिस लौट गए. माता के मंदिर में हर साल हजारों की संख्या में श्रद्धालु आशीर्वाद लेने आते हैं.

रामपुर: शिमला से लगभग 110 किलोमीटर की दूरी पर जुब्बल कोटखाई में पब्बर नदी के किनारे मां हाटेश्वरी का प्राचीन मंदिर स्थित है. मान्यता है कि इस प्राचीन मंदिर का निर्माण 800 वर्ष पहले हुआ था. मंदिर के साथ लगते सुनपुर के टीले पर कभी विराट नगरी थी जहां पर पांडवों ने अपना अज्ञातवास का कुछ समय यहां व्यतीत किए था.

यहां विराजमान है पत्थरों से बनाई गई पांडवों की पांच मूर्तियां.

मान्यता है कि पांडवों ने मंदिर में कुछ दिन व्यतीत किए थे और इसके प्रमाण आज भी यहां पर देखने को मिलते हैं. मंदिर में पत्थरों से बनाए गई पांच पांडवों की मूर्तियां विराजमान हैं, जिनकी लोग आज भी पूजा करते है. लोगों की इस मंदिर से अटूट आस्था जुड़ी है.

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माता हाटेश्वरी का मंदिर विशकुल्टी, राईनाला और पब्बर नदी के संगम पर सोनपुरी पहाड़ी पर स्थित है. मूलरूप से यह मंदिर शिखराकार नागर शैली में बना हुआ था बाद में एक श्रद्धालु ने इसकी मरम्मत कर इसे पहाड़ी शैली के रूप में परिवर्तित कर दिया था.

कहा जाता है कि यहां पर माता की मूर्ति को ले जाने के लिए नेपाल के राजा आए थे. वे माता की मूर्ति को अपने साथ ले जाना चाहते थे और अपने राज्य में स्थापित करना चाहते थे, लेकिन राजा यहां से माता की मूर्ति को उठाने में नाकाम रहे. आखिर में हार मानते हुए वे वापिस लौट गए. माता के मंदिर में हर साल हजारों की संख्या में श्रद्धालु आशीर्वाद लेने आते हैं.

Intro:रामपुर


Body:हिमाचल प्रदेश को देव भूमि कहा जाता है उतनी ही गहरी आस्था यहां के लोगों में भी देवी देवताओं के प्रती है। उसी में से हिमाचल प्रदेश के ऊपरी ईशिमला जिला के रोहडू क्षेत्र में स्थित शक्तिपीठ माता का मंदिर हाटकोटी है। यह शिमला से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर पबबर नदी के दाहिने किनारे पर स्थित अति प्राचीन के लिए जाना जाता है । हाटकोटी माता को महिषासुर मरदानीके नाम से भी जाना जाता है । यहां पर माता के मंदिर में शिल्पकला, वास्तुकला के उत्कृष्ट नमूनों के साक्षात दर्शन होते हैं । बताते हैं कि यह मंदिर 10वीं शताब्दी के आसपास का बना हुआ है ।
माता के मंदिर में आने से अपार शांति का अनुभव होता है । यहां पर दुर दुर से लोग माता के दर्शन के लिए आते है । माता के मंदिर चारों ओर असीम सोंदर्य सैलानियों को अपनी और आकर्षित करता है ।
मान्यता है कि यहां पर अज्ञात वास के समय में पांडव आए थे और उन्होंने यहां पर कुछ दिन समय बिताया था । जिनके अवशेष आज भी यहां पर देखने को मिलते हैं ।
यह भी कहा जाता है कि यहां पर माता की मूर्ति को ले जानें के लिए नेपाल के राजा आए थे वे माता की मूर्ति को अपने साथ ले जाना चाहते थे और अपने राज्य में स्थापित करना चाहते थे । लेकिन वे यहां से माता को उठाने में नाकाम रहे । अंत में उन्होंने हार मान ली और वापस लौट गए । हाटकोटी माता का एक पेर पाताल लोक तक है जिसका आज तक कोई भी पता नहीं लगा पाया । मान्यता है कि माता ने महिषासुर का वध किया था । माता के मंदिर में तांबे का घड़ा,शिव मंदिर,पत्थरों से बनाए गए पांच पांडव विराजमान हैं ।
माता के मंदिर में हर साल हजारों की संख्या में श्रद्धालु माता का आशीर्वाद लेने को आते हैं ।

बाईट : पुजारी हाटकोटी माता ।


Conclusion:
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