देहरादून: उत्तराखंड में वन विभाग से जुड़े तीन आईएफएस अधिकारी सवालों के घेरे में रहे हैं. इनमें से दो अधिकारियों पर कॉर्बेट नेशनल पार्क में अनियमितताओं और अवैध रूप से पेड़ काटने को लेकर सवाल खड़े किए गए हैं, जबकि एक आईएफएस अधिकारी पर बिना केंद्र की अनुमति के उत्तराखंड के हाथियों को गुजरात भेजने का मामला है.
दरअसल, कॉर्बेट नेशनल पार्क में अनियमितता से जुड़े मामले को लेकर वन महकमे की तरफ से मुख्यमंत्री कार्यालय को 2 आईएफएस अधिकारियों को लेकर अनिवार्य सेवानिवृत्ति की फाइल भेजी गई थी. हालांकि इस मामले में दोनों ही आईएफएस अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया, लेकिन अनिवार्य सेवानिवृत्ति के मामले पर मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से कोई कदम नहीं उठाया जा सका.
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ताजा मामला उत्तराखंड के हाथियों को गुजरात भेजने का है. जिसमें तत्कालीन चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन पर केंद्र की अनुमति के बिना नियम विरुद्ध काम करने का आरोप लगा. इस मामले में भी सूत्र बताते हैं कि वन विभाग ने मुख्यमंत्री कार्यालय को इस अधिकारी पर कार्रवाई को लेकर फाइल भेज दी है, लेकिन इस पर भी अब तक कोई भी अंतिम निर्णय नहीं लिया जा सका है.
इसी स्थिति को देखते हुए कांग्रेस ने भी धामी सरकार के गड़बड़ी के मामले में कार्रवाई के दावे पर सवाल खड़े किए हैं. इतना ही नहीं विभागीय मंत्री सुबोध उनियाल की संस्कृति के बाद भी मुख्यमंत्री कार्यालय इन मामलों में सुस्त नजर आया है.
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हाथियों के गुजरात भेजने के मामले को लेकर जहां पहले ही अधिकारी पर कार्रवाई के सवाल पर वन विभाग चुप्पी साधे हुए हैं तो वहीं विभागीय मंत्री सुबोध उनियाल से जब बड़े अधिकारियों पर कार्रवाई को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने भी साफ तौर पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा कि इस मामले में जल्द ही कार्रवाई की जाएगी, जिसके लिए मुख्यमंत्री कार्यालय को फाइल भेजी जा चुकी है.