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NH-74 भूमि मुआवजा घोटाले की सौंपी गई रिपोर्ट, 5 अधिकारियों पर कार्रवाई की तलवार!

काशीपुर NH-74 भूमि मुआवजा घोटाले पर अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार ने कार्मिक विभाग को रिपोर्ट सौंप दी है. जल्द ही इस मामले पर बड़ी कार्रवाई हो सकती है.

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Published : Apr 7, 2021, 3:47 PM IST

देहरादूनः NH-74 भूमि मुआवजा घोटाला प्रकरण की जांच रिपोर्ट अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार ने कार्मिक विभाग को सौंप दी है. जिसके बाद मामले पर बड़ी कार्रवाई हो सकती है. काशीपुर NH-74 भूमि मुआवजा घोटाले में गठित की गई जांच तकरीबन ढाई साल बाद पूरी हो चुकी है.

अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार ने जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी है. कुमाऊं कमिश्नर के मुताबिक इस जांच रिपोर्ट में 7 पीसीएस अधिकारियों को दोषी माना गया था. शासन द्वारा नियुक्त किए गए जांच अधिकारी अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार ने अब इस जांच की रिपोर्ट को कार्मिक विभाग को सौंप दिया है.

ये भी पढ़ेंः घूसखोरी में निदेशक पर कसेगा कानूनी शिकंजा, सहकारी बैंक प्रबंधन ने की शिकायत

सूत्रों के मुताबिक इस रिपोर्ट में 7 में से 5 पीसीएस अधिकारियों पर आरोप साबित हो गए हैं. जबकि 2 के खिलाफ आरोपों की पुष्टि नहीं हो पाई है. आपको बता दें कि 2017 में मौजूदा भाजपा सरकार के सत्ता में आते ही NH-74 घोटाला प्रदेश का सबसे बड़ा घोटाला बनकर उभरा था. उसके बाद इस मामले पर त्रिवेंद्र सरकार ने जीरो टॉलरेंस का संदेश देते हुए कुछ आईएएस अधिकारियों पर भी नकेल भी कसी थी. इस मामले पर एसआईटी गठित की गई थी.

देहरादूनः NH-74 भूमि मुआवजा घोटाला प्रकरण की जांच रिपोर्ट अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार ने कार्मिक विभाग को सौंप दी है. जिसके बाद मामले पर बड़ी कार्रवाई हो सकती है. काशीपुर NH-74 भूमि मुआवजा घोटाले में गठित की गई जांच तकरीबन ढाई साल बाद पूरी हो चुकी है.

अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार ने जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी है. कुमाऊं कमिश्नर के मुताबिक इस जांच रिपोर्ट में 7 पीसीएस अधिकारियों को दोषी माना गया था. शासन द्वारा नियुक्त किए गए जांच अधिकारी अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार ने अब इस जांच की रिपोर्ट को कार्मिक विभाग को सौंप दिया है.

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सूत्रों के मुताबिक इस रिपोर्ट में 7 में से 5 पीसीएस अधिकारियों पर आरोप साबित हो गए हैं. जबकि 2 के खिलाफ आरोपों की पुष्टि नहीं हो पाई है. आपको बता दें कि 2017 में मौजूदा भाजपा सरकार के सत्ता में आते ही NH-74 घोटाला प्रदेश का सबसे बड़ा घोटाला बनकर उभरा था. उसके बाद इस मामले पर त्रिवेंद्र सरकार ने जीरो टॉलरेंस का संदेश देते हुए कुछ आईएएस अधिकारियों पर भी नकेल भी कसी थी. इस मामले पर एसआईटी गठित की गई थी.

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