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देहरादून की हवा हुई जहरीली, PCB के आंकड़े कर रहे तस्दीक

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Published : Mar 16, 2021, 1:53 PM IST

प्राकृतिक सौंदर्य और पर्यावरण के लिए दुनिया भर में जाने जाने वाले उत्तराखंड में भी हवा का स्तर बिगड़ चुका है. यहां तक कि प्रदेश के तीन शहर तो फेफड़े और दिल की बीमारी वालों के लिए बिल्कुल भी मुफीद नहीं रह गए हैं.

वायु प्रदूषण
वायु प्रदूषण

देहरादून: लॉकडाउन में साफ हुई देहरादून की आबोहवा एक बार फिर प्रदूषित होने लगी है. देश के अन्य शहरों की तरह राजधानी देहरादून में भी वायु प्रदूषण का ग्राफ दिन पर दिन बढ़ता ही जा रहा है. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार प्रदेश में देहरादून, ऋषिकेश और काशीपुर तीन ऐसे शहर हैं, जहां वायु प्रदूषण का स्तर काफी ऊपर चला गया है.

देहरादून में सांस लेना मुश्किल

जो उत्तराखंड कभी अपनी शुद्ध आबोहवा के लिए जाना जाता था आज उसकी हवा भी प्रदूषित होती जा रही है. ये भविष्य के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं. प्रदूषित होती ये आबोहवा नई-नई बीमारियों को जन्म देगी. प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के एयर क्वालिटी इंडेक्स (वायु गुणवत्ता सूचकांक) के अनुसार कुछ पैमाने निर्धारित किए गए हैं जिसके आधार पर इस बात का पता लगाया जाता है कि आखिर संबंधित शहर की हवा कितनी स्वच्छ और सुरक्षित है.

पढ़ें- प्रदूषण से जूझ रहा उत्तराखंड, फेफड़े और दिल के रोगियों के लिए मुफीद नहीं ये पांच शहर

एयर क्वालिटी इंडेक्स क्या है?
एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) वायु में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बन-मोनोऑक्साइड (सीओ) और सल्फर डाइऑक्साइड की मात्रा को मापता है. यदि हवा में इनकी मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय किए गए मापदंड से अधिक पाई जाती है तो ये स्वास्थ्य के लिए काफी खराब है. इससे माना जाता है कि शहर की आबोहवा जहरीली होती जा रही है.

  • AQI श्रेणी (हवा की गुणवंता)
    0-50 अच्छी हवा (GOOD)
  • 51-100 संतोषजनक (MODRATE)
  • 101-150 थोड़ा प्रदूषित (UNHEALTHY FOR SENSYIVE GROUP)
  • 151-200 खराब (UNHEALTHY)
  • 201-300 बहुत खराब (VERY UNHEALTHY)
  • 301-500 गंभीर (HAZARDOUS)

देहरादून की स्थिति सबसे खराब
एयर क्वालिटी इंडेक्स के आधार पर प्रदेश के तीन शहर (देहरादून, काशीपुर और ऋषिकेश) का स्तर काफी खराब है. इसमें सबसे ऊपरी पायदान पर राजधानी देहरादून का नाम शामिल है. राजधानी देहरादून में एयर क्वालिटी इंडेक्स 220 तक पहुंच गया है, जो बहुत खराब है. इससे साफ पता चलता है कि देहरादून की हवा काफी हद तक जहरीली हो चुकी है. वायु प्रदूषण सबसे घातक उन लोगों के लिए साबित हो सकता है जो अस्थमा, हृदय रोग और फेफड़ों से संबंधित बीमारियों का शिकार हैं.

काशीपुर में हालत खराब
उधम सिंह नगर जिले के काशीपुर की आबोहवा भी खराब हो चुकी है. यहां वायु प्रदूषण का स्तर 140 के पार जा चुका है, जो भविष्य के बड़ी चिंता है.

ऋषिकेश में भी सुधार की जरूरत
धर्म नगरी ऋषिकेश की हवा भी दिन पर दिन प्रदूषित होती जा रही है. ऋषिकेश में प्रदूषण का स्तर 135 रिकॉर्ड किया गया है, जो खतरे की घंटी है. यदि धर्म नगरी ऋषिकेश में भी वायु प्रदूषण का स्तर इसी तरह बढ़ता रहा तो आने वाले समय मे ऋषिकेश की हवा भी जहरीली हो जाएगी.

इस बारे में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव एसपी सुबुद्धि ने बताया कि देहरादून, काशीपुर और ऋषिकेश में वायु प्रदूषण के दिन पर दिन बढ़ते ग्राफ की अलग अलग वजह है. देहरादून और ऋषिकेश में वाहनों की बढ़ती संख्या व निर्माण कार्यों की वजह से प्रदूषण का ग्राफ बढ़ रहा है. काशीपुर में वायु प्रदूषण के बढ़ते ग्राफ की वजह वाहनों के साथ ही वहां संचालित हो रहे तमाम कारखाने हैं.

बढ़ते वायु प्रदूषण पर इस तरह किया जा सकता है नियंत्रण

  • किसी भी कंस्ट्रक्शन साइट पर कुछ ऐसा इंतजाम किया जाए कि वहां से उड़ने वाली धूल मिट्टी के कारण सीधे हवा में न घुलें.
  • सड़कों पर दौड़ रहे पुराने वाहनों को किया जाए सरेंडर.
  • शहर में बढ़ाई जाए हरियाली, यानी जितने अधिक पेड़ लगाए जाएंगे उतना ही हम वायु प्रदूषण पर नियंत्रण कर सकते हैं.

देहरादून: लॉकडाउन में साफ हुई देहरादून की आबोहवा एक बार फिर प्रदूषित होने लगी है. देश के अन्य शहरों की तरह राजधानी देहरादून में भी वायु प्रदूषण का ग्राफ दिन पर दिन बढ़ता ही जा रहा है. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार प्रदेश में देहरादून, ऋषिकेश और काशीपुर तीन ऐसे शहर हैं, जहां वायु प्रदूषण का स्तर काफी ऊपर चला गया है.

देहरादून में सांस लेना मुश्किल

जो उत्तराखंड कभी अपनी शुद्ध आबोहवा के लिए जाना जाता था आज उसकी हवा भी प्रदूषित होती जा रही है. ये भविष्य के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं. प्रदूषित होती ये आबोहवा नई-नई बीमारियों को जन्म देगी. प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के एयर क्वालिटी इंडेक्स (वायु गुणवत्ता सूचकांक) के अनुसार कुछ पैमाने निर्धारित किए गए हैं जिसके आधार पर इस बात का पता लगाया जाता है कि आखिर संबंधित शहर की हवा कितनी स्वच्छ और सुरक्षित है.

पढ़ें- प्रदूषण से जूझ रहा उत्तराखंड, फेफड़े और दिल के रोगियों के लिए मुफीद नहीं ये पांच शहर

एयर क्वालिटी इंडेक्स क्या है?
एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) वायु में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बन-मोनोऑक्साइड (सीओ) और सल्फर डाइऑक्साइड की मात्रा को मापता है. यदि हवा में इनकी मात्रा विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय किए गए मापदंड से अधिक पाई जाती है तो ये स्वास्थ्य के लिए काफी खराब है. इससे माना जाता है कि शहर की आबोहवा जहरीली होती जा रही है.

  • AQI श्रेणी (हवा की गुणवंता)
    0-50 अच्छी हवा (GOOD)
  • 51-100 संतोषजनक (MODRATE)
  • 101-150 थोड़ा प्रदूषित (UNHEALTHY FOR SENSYIVE GROUP)
  • 151-200 खराब (UNHEALTHY)
  • 201-300 बहुत खराब (VERY UNHEALTHY)
  • 301-500 गंभीर (HAZARDOUS)

देहरादून की स्थिति सबसे खराब
एयर क्वालिटी इंडेक्स के आधार पर प्रदेश के तीन शहर (देहरादून, काशीपुर और ऋषिकेश) का स्तर काफी खराब है. इसमें सबसे ऊपरी पायदान पर राजधानी देहरादून का नाम शामिल है. राजधानी देहरादून में एयर क्वालिटी इंडेक्स 220 तक पहुंच गया है, जो बहुत खराब है. इससे साफ पता चलता है कि देहरादून की हवा काफी हद तक जहरीली हो चुकी है. वायु प्रदूषण सबसे घातक उन लोगों के लिए साबित हो सकता है जो अस्थमा, हृदय रोग और फेफड़ों से संबंधित बीमारियों का शिकार हैं.

काशीपुर में हालत खराब
उधम सिंह नगर जिले के काशीपुर की आबोहवा भी खराब हो चुकी है. यहां वायु प्रदूषण का स्तर 140 के पार जा चुका है, जो भविष्य के बड़ी चिंता है.

ऋषिकेश में भी सुधार की जरूरत
धर्म नगरी ऋषिकेश की हवा भी दिन पर दिन प्रदूषित होती जा रही है. ऋषिकेश में प्रदूषण का स्तर 135 रिकॉर्ड किया गया है, जो खतरे की घंटी है. यदि धर्म नगरी ऋषिकेश में भी वायु प्रदूषण का स्तर इसी तरह बढ़ता रहा तो आने वाले समय मे ऋषिकेश की हवा भी जहरीली हो जाएगी.

इस बारे में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव एसपी सुबुद्धि ने बताया कि देहरादून, काशीपुर और ऋषिकेश में वायु प्रदूषण के दिन पर दिन बढ़ते ग्राफ की अलग अलग वजह है. देहरादून और ऋषिकेश में वाहनों की बढ़ती संख्या व निर्माण कार्यों की वजह से प्रदूषण का ग्राफ बढ़ रहा है. काशीपुर में वायु प्रदूषण के बढ़ते ग्राफ की वजह वाहनों के साथ ही वहां संचालित हो रहे तमाम कारखाने हैं.

बढ़ते वायु प्रदूषण पर इस तरह किया जा सकता है नियंत्रण

  • किसी भी कंस्ट्रक्शन साइट पर कुछ ऐसा इंतजाम किया जाए कि वहां से उड़ने वाली धूल मिट्टी के कारण सीधे हवा में न घुलें.
  • सड़कों पर दौड़ रहे पुराने वाहनों को किया जाए सरेंडर.
  • शहर में बढ़ाई जाए हरियाली, यानी जितने अधिक पेड़ लगाए जाएंगे उतना ही हम वायु प्रदूषण पर नियंत्रण कर सकते हैं.
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