देहरादून: उत्तराखंड की शांत वादियों में बेटियां महफूज नहीं हैं. इस बात का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि बेटियों की तस्करी के मामले में देश के 10 हिमालयी राज्यों में उत्तराखंड पहले पायदान पर है. साल 2019 में एनसीआरबी यानी कि नेशनल क्राइम कंट्रोल ब्यूरो की ओर से जारी की गई रिपोर्ट इस बात की तस्दीक करती है.
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि प्रदेश में बच्चियों की तस्करी से जुड़े सबसे अधिक मामले कम उम्र में शादी कराने से जुड़े हैं. ज्यादातर मामले उन परिवारों से हैं, जहां घर की तंग आर्थिक स्थिति के चलते माता-पिता या रिश्तेदार खुद ही अपनी बेटी की शादी के नाम पर सौदा करते हैं. इसका सबसे बड़ा प्रमाण यह है कि हाल ही में चमोली जनपद से भी एक ऐसा ही मामला सामने आया, जहां 13 साल की बच्ची की 34 वर्षीय व्यक्ति से मात्र 6 हजार रुपए के लालच में शादी करवा दी गई. यह मामला तब प्रकाश में आया जब बच्ची ने खुद अपनी आपबीती अपने स्कूल के शिक्षक को बताई.
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मानव तस्करी के क्षेत्र में साल 2005 से काम कर रहे अंतरराष्ट्रीय एक्टिविस्ट ज्ञानेंद्र कुमार के मुताबिक प्रदेश में शादी के नाम पर हो रहे बच्चों का सौदा एक सोचा समझा अपराध है. वो अब तक अपनी जान जोखिम में डालकर खुद इस तरह के 78 मामले पकड़ चुके हैं. इस तरह के मामले प्रदेश में इसलिए ज्यादा बढ़ रहे हैं, क्योंकि प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में कम्युनिटी पुलिसिंग की भारी कमी है. जब तक कम्युनिटी पुलिसिंग की शुरूआत प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में नहीं होगी, तब तक इस तरह के अपराधों पर लगाम लग पाना मुश्किल है. ज्यादातर मामले ऐसे हैं, जिनकी सूचना पुलिस या फिर जिम्मेदारों तक पहुंचती ही नहीं है. बमुश्किल 2% मामले ही किसी तरह संज्ञान में आ पाते हैं.