देहरादून: प्रदेश में आगामी 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियों ने तैयारियां तेज कर दी है. क्योंकि विधानसभा चुनाव में महज एक साल का ही वक्त बचा है, जिसे देखते हुए प्रदेश भाजपा और कांग्रेस पूरी दमखम से तैयारियों में जुटी हुई है. वहीं, आम आदमी पार्टी भी राज्य में अपना अस्तित्व बनाने के लिए संगठन को लगातार मजबूत करने में जुटी हुई है. हालांकि, पिछले कुछ महीने के ही भीतर आम आदमी पार्टी की स्थिति प्रदेश में बेहतर होती नजर आ रही है. यही नहीं, मौजूदा समय मे आप के राष्ट्रीय नेतृत्व का भी उत्तराखंड दौरा जारी हैं. ऐसे में प्रदेश के भीतर आप पार्टी पहले से अधिक सक्रिय होती जा रही है. आगामी चुनाव में आम आदमी पार्टी, कहीं कांग्रेस के लिए मुसीबत ना बन जाए, क्या है संभावनाएं ? देखिए खास रिपोर्ट...
आप पार्टी नेता बनाए हुए है नजर
जानकार मान रहे हैं कि उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी के आने से यहां राजनीति के समीकरण बदल सकते हैं. पार्टी ने अगले चुनावों में पूरे दमखम के साथ सभी 70 सीटों में चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. कुछ दिनों पहले ही दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पार्टी की मजबूती के लिए उत्तराखंड दौरे पर पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने कृषि कानून विरोध के साथ ही राज्य सरकार पर जमकर हमला बोला था. यही नहीं, राज्य सरकार के शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक को राज्य के भीतर की स्थिति को लेकर चुनौती भी दी थी. इसके बाद अब आम आदमी पार्टी के दिल्ली से सांसद भगवंत मान भी उत्तराखंड दौरे पर हैं. इसी क्रम में उन्होंने जसपुर में कृषि कानून के विरोध में न सिर्फ जनसभा को संबोधित किया बल्कि रैली भी निकाली.
पैर पसारने की कोशिशों में जुटी आप
यानी कुल मिलाकर देखें तो पिछले कुछ महीने के भीतर ही आम आदमी पार्टी काफी सक्रिय हो गई है. क्योंकि बीते कुछ महीनों के भीतर भाजपा और कांग्रेस के तमाम छोटे चेहरे, आम आदमी पार्टी में शामिल हुए हैं. ऐसे में अब आम आदमी पार्टी लगातार अपने कुनबे को बढ़ाने में जुटी हुई है. हालांकि, आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पहले ही उत्तराखंड की 70 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा कर चुके हैं. जिसके चलते राज्य के भीतर आम आदमी पार्टी की सक्रियता दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है.
हर बार विधानसभा चुनाव रहे हैं खास
उत्तराखंड के इतिहास में अभी तक एक बार कांग्रेस तो एक बार बीजेपी के सत्ता पर काबिज होने का सिलसिला चलता रहा है. ऐसे में अगर इस बार की बात करें तो सिलसिलेवार में अगला नंबर कांग्रेस का है. जिसे देखते हुए कांग्रेस काफी आश्वस्त नजर आ रही है. वहीं, भाजपा राज्य में किए गए अपने कामों के साथ ही केंद्र सरकार की उपलब्धियों का बखान जनता के बीच कर जीतने का दावा कर रही है. हालांकि, दोनों पार्टियां राज्य गठन के बाद से ही सत्ता पर काबिज रही हैं और यह दोनों पार्टियों ने राज्य के भीतर किसी अन्य दल को उभरने का मौका तक नहीं दिया है.
आप की एंट्री से बढ़ी दोनों खेमों में बेचैनी
ऐसे में अब राज्य के भीतर आम आदमी पार्टी, तीसरे दल के रूप में उभरने के लिए जमीन तलाश रही है. ताकि आगामी विधानसभा चुनाव में वह कांग्रेस की जगह ले सकें. यह हम नहीं कह रहे, बल्कि आम आदमी पार्टी के नेता खुद इस बात को कह रहे हैं. जहां एक ओर भाजपा पहले ही राज्य के भीतर विपक्ष ना होने का दावा कर चुकी है और प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को खत्म बता चुकी है. वहीं, अब आम आदमी पार्टी खुद की टक्कर भाजपा से होने की बात कह रही है. साथ ही आगामी 2022 विधानसभा चुनाव में मुख्य विपक्षी दल के रूप में स्थापित होने की बात कह रही है.
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जानें क्या कह रहे सियासतदान
वही, आप की पूर्व प्रदेश संगठन मंत्री उमा सिसोदिया ने बताया कि प्रदेश में पार्टी को मजबूत बनाने के लिए दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया उत्तराखंड दौरे पर आए थे. वहीं, अब आप सांसद भगवंत मान भी उत्तराखंड दौरे पर हैं. इसी तरह अब उत्तराखंड राज्य में आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं की एंट्री शुरू हो गई है. लिहाजा, यहां केंद्रीय नेतृत्व का प्रदेश में दौरा इस बात को दर्शाता है कि आम आदमी पार्टी का आगामी चुनाव को लेकर पूरी तरह से मुस्तैद हो गई है. यही नहीं, आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल खुद आम आदमी पार्टी के उत्तराखंड प्रदेश संगठन पर नजर बनाए हुए हैं. लिहाजा 2022 विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी मुख्य विपक्षी दल के रूप में उभरने की उम्मीद है.
वहीं, आम आदमी पार्टी की सक्रियता को भाजपा और कांग्रेस दोनों चुनावी पार्टी और मीडिया स्टंट करार दे रही है. कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि आम आदमी पार्टी भाजपा के मुकाबले कहीं भी नहीं है. भाजपा संगठन अन्य दलों से काफी मजबूत है. हालांकि आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा के कार्यकर्ताओं को राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाना होगा.
वहीं, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता विनय गोयल का कहना है कि आम आदमी पार्टी की राज्य के भीतर कोई सक्रियता दूर-दूर तक दिखाई नहीं देती है. आम आदमी पार्टी मात्र छोटे-छोटे मुद्दे लेकर इवेंट कर रही है, लेकिन ऐसे छोटे-छोटे इवेंट कर वह राजनीतिक सक्रियता की श्रेणी में नहीं आ सकती. यही नहीं, आम आदमी पार्टी को जनता के सरोकारों से कोई मतलब नहीं है. आम आदमी पार्टी सिर्फ और सिर्फ मीडिया में बने रहने का काम कर रही है. इस तरह से पार्टी जनता की सेवा नहीं कर सकती.
आम आदमी पार्टी की सक्रियता पर कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि हर राजनीतिक दल को आजादी है कि वह अपने पार्टी का विस्तार करें. यह कांग्रेस की ही देन है कि सभी पार्टियों को पनपने का मौका दिया और सब को अपनी विचारधारा रखने का मौका दिया. हालांकि, कोई पार्टी उत्तराखंड में आती है तो वह आ सकती है और चुनाव भी लड़ सकती है. लेकिन आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक इस बात को पहले ही कह चुके हैं कि वह मात्र चुनाव लड़ने आ रहे हैं. ऐसे में वह चुनाव लड़ सकते हैं और उनको इसकी आजादी भी है. भले ही कांग्रेस और बीजेपी के नेता आप की एंट्री पर कुछ भी दलील दे रहे हों, लेकिन आप की सक्रियता ने प्रदेश में सियासत को गरमा दिया है. आने वाले विधानसभा चुनाव में ही पता चलेगा कि कुर्सी पर कौन काबिज होता है?