ऋषिकेश: वीरभद्र मंदिर में महाशिवरात्रि पर्व पर बड़ी संख्या में शिव भक्तों का तांता रात से ही जुटा रहा. रात 12 बजे से ही तीर्थनगरी के शिवालयों में भक्तों की भारी भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी. शिवलिंग पर जलाभिषेक करने के लिए पौराणिक वीरभद्र मंदिर में भक्तों की लंबी लाइन लगी रही. चारों ओर बम भोले के नारों से पूरी तीर्थ नगरी शिवमय नजर आई.
वीरभद्र महादेव का सिद्ध पीठ मंदिर है. कहा जाता है कि इनके दर्शन मात्र से ही भक्तों की मन की मुराद पूरी हो जाती है. वीरभद्र महादेव का वर्णन केदारखंड और स्कन्द पुराण में भी मिलता है. वीरभद्र की उत्पत्ति शिव की जटाओं से हुई थी. कहा जाता है कि जब राजादक्ष ने माता सती का अपमान किया तो माता सती ने हवन कुंड में अग्नि समाधि ले ली. जिसके बाद क्रोधित होकर भगवान भोलेनाथ ने अपनी जटाओ को जोर से धरती पर पटका. जिससे वीरभद्र की उत्पत्ति हुई. क्रोध से उत्पन्न वीरभद्र ने राजा दक्ष का वध कर हवन कुंड को तहस-नहस कर दिया. जब क्रोधित वीरभद्र लगातार विध्वंस कर रहे थे तब उन्होंने भगवान भोलेनाथ की स्तुति कर उन्हें प्रसन्न किया. प्रसन्न होकर भोलेनाथ स्वं यहां पर शिवलिंग के रूप में स्थापित हुए. जहां पर वीरभद्र ने भगवान भोलेनाथ की आराधना की, वो स्थान अब वीरभद्र के नाम से जाना जाता है.
विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल भी अपनी पत्नी और पुत्र के साथ वीरभद्र महादेव मंदिर पहुंचे जहां उन्होंने पूजा अर्चना की. उन्होंने कहा कि वीरभद्र महादेव के मंदिर में भक्त जो भी मन्नत मांगते हैं, सिद्ध पीठ होने के कारण वो पूरी होती है. महाशिवरात्रि पर्व के मौके पर लगातार बढ़ती श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने भी सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रखी.
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उधर बागेश्नर में भी महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर बागनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं का सुबह से ही तांता लगा रहा. शिवालयों को फूल मालाओं से सजाया गया है. श्रद्धालुओं ने पवित्र सरयू नदी में आस्था की डुबकी लगाई. श्रद्धालुओं ने शिव मंदिरों में बेलपत्र और कच्चे दूध से भगवान शिव का अभिषेक किया.
माना जाता है कि सृष्टि का प्रारंभ इसी दिन से हुआ था. ज्योतिष विधाओं के मुताबिक महाशिवरात्रि के दिन 101 साल बाद एक विशेष संयोग बनने जा रहा है. ज्योतिषों का कहना है कि महाशिवरात्रि के दिन शिव योग सिद्धि योग धनिष्ठा नक्षत्र का संयोग आने से त्योहार का महत्व और ज्यादा बढ़ गया है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन सृष्टि का आरंभ अग्नि लिंग के उदय से हुआ. यह भी मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव का विवाह देवी पार्वती के साथ हुआ था. इसी दिन से जुड़ी एक और मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव ने कालकूट विष को अपने कंठ में रख लिया था. जो समुद्र मंथन के दौरान बाहर आया था. कुमाऊं की काशी बागेश्वर में मान्यता है इस दिन भगवान शिव बैजनाथ धाम से अपनी बरात लेकर बागेश्वर आए और यही उनका पार्वती से विवाह हुआ.