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निष्कासित 108 कर्मचारियों के बच्चे बोले- मम्मी एग्जाम है, फीस जमा करवा दो प्लीज...

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Published : Jul 10, 2019, 8:52 AM IST

108 आपातकालीन सेवा में पिछले 11 सालों से सेवारत पूर्व कर्मचारियों की मांगों का हल नहीं निकल पा रहा है. जिसके बाद अब उनके बच्चे मार्मिक वीडियो भेजकर धरने पर बैठे अपने पिता को घर वापस बुला रहे हैं.

गुहार लगाते निष्कासित कर्मचारियों के बच्चे.

देहरादून: अपनी बहाली को लेकर धरने पर बैठे 108 एंबुलेंस सेवा के निष्कासित कर्मचारी 71 दिनों से धरने पर हैं. जिस कारण इन पूर्व कर्मचारियों और इनके परिवार के आगे रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. हालात यह है कि अब कर्मचारियों के बच्चे धरने पर बैठे अपने माता-पिता से जल्द से जल्द घर वापस आने और स्कूल की फीस जमा करवाने का अनुरोध कर रहे हैं.

गुहार लगाते निष्कासित कर्मचारियों के बच्चे.

108 आपातकालीन सेवा कर्मचारी यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष विपिन जमलोकी ने कहा कि पिछले 11 सालों से वे लोग अपनी सेवाएं दे रहे हैं. जिसका फल सरकार ने उन्हें निष्कासन के रूप में दिया है. उन्होंने कहा कि बेरोजगारी हर युवा के लिए एक अभिशाप है और समाज में बेरोजगारों को तुच्छ नजरों से देखा जाता है.

पढे़ं- ये 'चैंपियन' हैं नहीं मानेंगे, हथियारों की नुमाइश और लांबा-लांबा घूंघट पर ठुमके... कुछ भी कर सकता है ये बीजेपी विधायक

वे बताते हैं कि आर्थिक तंगी का सामना कर रहे 108 सेवा के पूर्व कर्मियों के सामने रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है. जिसके बाद सभी बेरोजगार कर्मचारियों ने भारत के राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की मांग की है.

चंपावत की रहने वाली पूर्व कर्मचारी शीला गणकोटी ने बताया कि बेरोजगार बीते 71 दिनों से धरने पर बैठे हैं. सभी कर्मचारी अपने परिवार को छोड़कर सरकार से रोजगार की मांग कर रहे हैं. वहीं, उन्होंने बताया कि वे अपनी बच्चों तक की फीस नहीं भर पा रहे हैं. साथ ही उन्होंने मांग है कि सरकार जल्द से जल्द उन्हें रोजगार प्रदान करे.

बता दें कि पिछले 71 दिनों से नई कंपनी में समायोजित किए जाने की मांग को लेकर जीवीके ईएमआरआई 108 आपातकालीन सेवा के पूर्व कर्मचारी आंदोलन कर रहे हैं. लेकिन, उनकी मांगों को सरकार अबतक अनसुना करती आ रही है.

देहरादून: अपनी बहाली को लेकर धरने पर बैठे 108 एंबुलेंस सेवा के निष्कासित कर्मचारी 71 दिनों से धरने पर हैं. जिस कारण इन पूर्व कर्मचारियों और इनके परिवार के आगे रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. हालात यह है कि अब कर्मचारियों के बच्चे धरने पर बैठे अपने माता-पिता से जल्द से जल्द घर वापस आने और स्कूल की फीस जमा करवाने का अनुरोध कर रहे हैं.

गुहार लगाते निष्कासित कर्मचारियों के बच्चे.

108 आपातकालीन सेवा कर्मचारी यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष विपिन जमलोकी ने कहा कि पिछले 11 सालों से वे लोग अपनी सेवाएं दे रहे हैं. जिसका फल सरकार ने उन्हें निष्कासन के रूप में दिया है. उन्होंने कहा कि बेरोजगारी हर युवा के लिए एक अभिशाप है और समाज में बेरोजगारों को तुच्छ नजरों से देखा जाता है.

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वे बताते हैं कि आर्थिक तंगी का सामना कर रहे 108 सेवा के पूर्व कर्मियों के सामने रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है. जिसके बाद सभी बेरोजगार कर्मचारियों ने भारत के राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की मांग की है.

चंपावत की रहने वाली पूर्व कर्मचारी शीला गणकोटी ने बताया कि बेरोजगार बीते 71 दिनों से धरने पर बैठे हैं. सभी कर्मचारी अपने परिवार को छोड़कर सरकार से रोजगार की मांग कर रहे हैं. वहीं, उन्होंने बताया कि वे अपनी बच्चों तक की फीस नहीं भर पा रहे हैं. साथ ही उन्होंने मांग है कि सरकार जल्द से जल्द उन्हें रोजगार प्रदान करे.

बता दें कि पिछले 71 दिनों से नई कंपनी में समायोजित किए जाने की मांग को लेकर जीवीके ईएमआरआई 108 आपातकालीन सेवा के पूर्व कर्मचारी आंदोलन कर रहे हैं. लेकिन, उनकी मांगों को सरकार अबतक अनसुना करती आ रही है.

Intro: 108 आपातकालीन सेवा मे विगत ग्यारह वर्षों से सेवारत रहे पूर्व कर्मचारियों की मांगों का हल नही निकल पा रहा है,हालात ऐसे हो गये हैं कि उनके बच्चे मार्मिक वीडिओज़ भेजकर धरने पर बैठे अपने पिता को घर वापस आने की दुहाई दे रहे हैं।
summary- बीते 71 दिनों से धरने पर बैठे 108 आपातकालीन सेवा के पूर्व कर्मचारियों के आगे रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है ,हालात इतने खराब हो गए हैं कि परिजनों को मजबूरन वीडियो जारी करके बच्चों की स्कूल फीस अदा करने की गुहार लगाई जा रही है, और घर वापस आने का अनुरोध किया जा रहा है।


Body:108 आपातकालीन सेवा कर्मचारी यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष विपिन जमलोकी ने कहा कि विगत 11 वर्षों से अपनी सेवाएं देने के उपरांत सरकार ने सेवा के प्रतिफल के रूप में उन्हें कार्यमुक्त करते हुए बेरोजगार कर दिया है। बेरोजगारी हर युवा के लिए अभिशाप समान होती है और समाज में बेरोजगारों को तुच्छ नजरों से देखा जाता है। आर्थिक तंगी का सामना कर रहे 108 सेवा के पूर्व कर्मियों के सामने रोजी रोटी जुटाने का संकट पैदा हो गया है। यही सब देखते हुए सभी कर्मियों ने यह फैसला किया कि भारत के राष्ट्रपति से इच्छा मृत्यु की मांग की जाए, और उनसे अनुरोध किया गया है कि अब बेरोजगारी का दंश नहीं खेला जा रहा है इसलिए इच्छा मृत्यु की स्वीकृति प्रदान करने की कृपा करें। बेरोजगारों के सामने वर्तमान परिस्थितियां इतनी विकट हो गईं है,किन्तु असंवेदनशील सरकार उन्हें न्याय दिलाने में विफल साबित हो रही है। राज्य सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी महत्वपूर्ण आवश्यकता को पैसों के तराजू में तोलने में लगी हुई है। जबकि 108 आपातकालीन सेवा के पूर्व कर्मी किसी सरकारी नौकरी की डिमांड नहीं कर रहे हैं ,बल्कि जिस सेवा में उन्होंने अपने जीवन के बहुमूल्य 11 वर्ष दिए हैं उसी सेवा में उनकी पुनः बहाली की जाए।

बाईट-विपिन जमलोकी, प्रदेश अध्यक्ष, 108 आपातकालीन सेवा कर्मचारी यूनियन।

चंपावत की रहने वाली पूर्व कर्मी शीला गणकोटी ने भी अपनी पीड़ा बयां करते हुए कहा कि बेरोजगार बीते 71 दिनों से धरने पर बैठे हैं और सभी कर्मचारी अपने परिजनों को छोड़कर सरकार से रोजगार की मांग कर रहे हैं, उधर अपने बच्चों की फीस अदा न करने की सूरत में सभी लाचार हैं। सभी आंदोलनरत 108 कर्मियों का सरकार से यही निवेदन है कि उनको 108 सेवा मे पुनः बहाली दी जाये।

बाईट- शीला गणकोटी,108 पूर्व कर्मी


Conclusion: गौर है कि बीते 71 दिनों से नई कंपनी में समायोजित किए जाने की मांग को लेकर जीवीके ईएमआरआई 108 आपातकालीन सेवा के पूर्व कर्मचारी आंदोलन की राह में हैं। लेकिन उनकी मांगों को सरकार अनसुना करने में लगी हुई है। ऐसे मे पर्वतीय जिलों से कई आंदोलनरत कर्मियों के परिवार की तरफ से कई वीडिओज़ सामने आ रहे हैं जिनमें मासूम अपने पिता को स्कूल फीस अदा करने की याद दिला रहे हैं और घर वापस आने का अनुरोध कर रहे हैं।

कूछ ऐसे ही वीडिओज़ मेल मे भेजे जा रहे हैं जो काशीपुर के 108 के पायलट रहे अजय के परिवार से जुड़ा है। जिसमें उनकी बेटी और पत्नी वापस घर आने को कह रही है। जबकि दूसरा वीडियो चंपावत का है जिसमें 108 सेवा में टेक्नीशियन के तौर पर कार्यरत रही सुशीला का परिवार का है।
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