ऋषिकेश: धामी सरकार 'टेक होम राशन स्कीम' का कामकाम निजी हाथों में सौंपने जा रही है. इससे स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी करीब 40 हजार महिलाओं के बेरोजगार होने का खतरा है. इसके विरोध में दो महिलाओं ने हाल ही में तीलू रौतेली पुरस्कार सरकार को वापस कर दिया है. वहीं, गुरुवार को महिलाएं सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने जा रही हैं.
दरअसल, 'टेक होम राशन स्कीम' के माध्यम से नवजात और अन्य योजनाओं के तहत पात्रों को राशन का वितरण किया जाता है. यह स्कीम राज्य में 2014 से चल रही है. महिला स्वयं सहायता समूह चलाने वाली तनु तेवतिया का दावा है कि इस योजना से राज्य में तकरीबन 40 हजार महिलाओं को रोजगार मिला हुआ है.
हाल में राज्य सरकार ने यह काम निजी एजेंसी (ठेके) को दिए जाने के लिए टेंडर निकाले हैं. दावा है कि यह टेंडर करीब साढ़े पांच सौ करोड़ रुपए का है. यह काम निजी हाथों में जाता है, तो स्वयं सहायता समूहों का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा. महिला स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी ऋषिकेश की महिलाएं भी इस बदलाव के लिए विरोध में हैं.
ये भी पढ़ें: पिता की याद में भावुक हुई ओलंपियन वंदना कटारिया, कहा- हिम्मत-हौसला देने वाला चला गया
महिलाओं का कहना है कि इससे वह बेरोजगार हो जाएंगी, जिससे परिवार का भरण-पोषण करना भी मुश्किल होगा. उन्होंने सरकार पर बेरोजगार करने का आरोप लगाते हुए तत्काल टेंडर प्रक्रिया को निरस्त करने की मांग की है. ऐसा नहीं करने पर उन्होंने चरणबद्ध आंदोलन करने की चेतावनी भी दी है.
महिला स्वयं सहायता समूह चलाने वाली पार्षद तनु तेवतिया राज्य सरकार के इस कदम से बेहद नाराज हैं. वह जिस समूह को संचालित करती हैं, उससे 15 महिलाएं जुड़ी हुई हैं. बुधवार को इस बाबत समूह से जुड़ी महिलाएं उनसे मिलनी पहुंची. तनु ने बताया कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार महिला सशक्तिकरण पर जोर दे रही है. जबकि राज्य में स्थिति इसके उलट नजर आ रही है. सरकार को समय रहते ऐसी कवायदों से बचने की जरूरत है.
क्या है टेक होम स्कीम: राज्य में साल 2014 से 'टेक होम राशन स्कीम' चल रही है. पूर्व मुख्यमंत्री सीएम हरीश रावत ने प्रदेश में ये स्कीम की शुरू की थी. इसका संचालन महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग के माध्यम से किया जा रहा है. योजना के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों से नवजात बच्चों और विभिन्न योजनाओं के पात्रों को राशन वितरण किया जाता है. इस वितरण में महिला स्वयं सहायता समूहों को भी शामिल किया गया है. बताया जा रहा है कि इस योजना से राज्य में करीब 40 हजार महिलाएं जुड़ी हुई हैं.
क्या है पूरा मामला: दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के कार्यकाल में 2014 में टेक होम राशन के नाम से एक योजना शुरू की गई थी. इस योजना को महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग के माध्यम से संचालित किया जाता है. टेक होम राशन योजना के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों से नवजात शिशुओं, कन्या और अन्य कई योजनाओं के तहत पात्रों को राशन का वितरण किया जाता है. इस राशन की सप्लाई विभिन्न स्वयं सहायता समूहों को माध्यम से कराई जाती है.
इस व्यवस्था के तहत स्वयं सहायता समूहों की जुड़ी महिलाएं राशन की खरीद बाजार से करती हैं और इसकी पैकिग के लिए बैग, लिफाफे आदि समूह में काम करने वाली महिलाएं खुद से तैयार कर लेती हैं, उन्हें इस काम के बदले विभाग से भुगतान कर दिया जाता है.
लेकिन इसी साल बीते 8 अप्रैल को निदेशायल महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग ने एक विज्ञापन जारी करके टेक होम राशन के लिए ई-निविदा मांगी थी. अब ये काम ठेका पर किसी कंपनी को दिया जाएगा. इसी को लेकर गीता मौर्य और श्यामा देवी ने तीलू रौतेली पुरस्कार वापस किया है. बता दें कि महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में कुछ नया करने वाली महिलाओं को उत्तराखंड सरकार हर साल तीलू रौतेली अवॉर्ड देती है. इस साल 22 महिलाओं को तीलू रौतेली अवॉर्ड दिया गया है.