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AIIMS ऋषिकेश में डायलिसिस के लिए नहीं करना पड़ेगा इंतजार, 24 नई यूनिट होंगी इंस्टॉल

एम्स ऋषिकेश में अब मरीजों को डायलिसिस कराने में सहलूयित मिलेगी. इसके लिए एम्स में डायलिसिस 24 नई यूनिटें लगाई जा रही है. अभी तक एम्स में डायलिसिस की 8 यूनिटें ही कार्य रही थी.

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एम्स ऋषिकेश
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Published : Aug 25, 2020, 4:18 PM IST

Updated : Aug 25, 2020, 5:10 PM IST

ऋषिकेशः एम्स ऋषिकेश में डायलिसिस करवाने वाले मरीजों को अब महीनों तक का लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा. मरीजों की लगातार बढ़ रही संख्या को देखते हुए एम्स में डायलिसिस की 24 नई यूनिटें स्थापित की जा रही है. खास बात ये है कि डायलिसिस के सभी नए इक्विपमेंट एम्स के अलग ब्लॉक में लगाए जाएंगे. जहां एक ही ब्लॉक में डायलेसिस के सभी मरीजों का इलाज होगा.

एम्स अस्पताल प्रशासन के डीन प्रोफेसर डॉ. यूबी मिश्रा ने बताया कि इस योजना के लिए वर्क आर्डर जारी हो चुका है. सितंबर महीने तक एम्स में डायलिसिस की 24 नई यूनिटें बढ़ा दी जाएंगी. इस सुविधा से डायलिसिस करवाने के लिए मरीजों को लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा और जरूरतमंद मरीजों को समय पर इलाज मिल सकेगा. प्रोफेसर मिश्रा ने बताया कि एम्स ऋषिकेश में बीते साल 6 हजार मरीजों की डायलिसिस की गई थी. जबकि, लॉकडाउन के बावजूद इस साल अभी तक तकरीबन 3 हजार मरीजों की डायलिसिस किया जा चुका है.

एम्स ऋषिकेश में लगेगी 24 नई डायलिसिस यूनिट.

ये भी पढ़ेंः कोरोना में कितना असरदार है आयुर्वेद, जानिए डॉक्टरों की राय

बता दें कि एम्स में अभी तक डायलिसिस की 8 यूनिटें कार्य रही है. इनमें से 3 यूनिटों को 'मेंटिनेंस हीमो डायलिसिस प्रोग्राम' के लिए रिजर्व रखा गया है. इस प्रोग्राम के तहत उन मरीजों का इलाज होता है, जिन्हें आजीवन डायलfसिस की जरूरत होती है. जबकि, बाकी 5 यूनिटों में इलाज के लिए पहले से पंजीकृत मरीजों और इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती किए गए मरीजों का डायलिसिस किया जा रहा है.

क्या है डायलिसिस
डायलिसिस रक्त शोधन की एक कृत्रिम विधि होती है. डायलिसिस की जरूरत तब पड़ती है, जब किसी व्यक्ति के वृक्क (किडनी) यानि गुर्दे सही से काम नहीं कर रहे होते हैं. गुर्दे से जुड़े बीमारी, लंबे समय से मधुमेह के मरीज, उच्च रक्तचाप जैसी स्थितियों में कई बार डायलसिस की आवश्यकता पड़ती है. डायलसिस में शरीर में एकत्रित अपशिष्ट पदार्थों और अतिरिक्त पानी को आर्टिफिशियल तरीके से बाहर निकाला जाता है.

डायलिसिस करीब चार से पांच घंटे की प्रक्रिया होती है. इसके बाद रिपोर्ट तैयार की जाती है. इसमें पता चलता है कि शरीर से कितने फीसद अपशिष्ट पदार्थ बाहर निकले हैं. स्थायी और अस्थायी होती है. आमतौर पर जब दोनों किडनियां काम नहीं कर रही हों तो उस स्थिति में किडनी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर डायलिसिस करवाने की सलाह देते हैं.

किडनी के मरीज इन खाद्य पदार्थों का करें सेवन
डॉक्टरों की मानें तो सब्जियों को अच्छी प्रकार से धोकर पकाएं. दिन में सेब, पपीता, नाशपाती या अमरूद 100 ग्राम तक खाने चाहिए. घीया, टिंडा, लौकी, पत्ता गोभी, भिंडी, शिमला मिर्च, कम मात्रा में आलू, अखरोट, साबुतदाना, भिगोई दालें खा सकते हैं. संतुलित मात्रा में पानी, पेय पदार्थ, कम नमक खाना चाहिए.

किडनी के मरीज इन खाद्य पदार्थों का करें परहेज
डायलिसिस करवा रहे मरीजों को फलों का रस, शरबत, कोल्ड ड्रिंक, नींबू, नींबू पानी, नारियल, सब्जियों का सूप, पापड़, बूस्ट, प्रोटोनेक्स, दूध से बनी चीजें, सूखे मेवे, टमाटर, मटर, बैंगन, जिमीकंद, कटहल, खरबूजा, लोकाट, खुमानी, आड़ू, लीची, अरहर, लोबिया दाल, चना दाल, पकौड़े व पतीसा का सेवन नहीं करना चाहिए. इनका परहेज जरूरी है.

ऋषिकेशः एम्स ऋषिकेश में डायलिसिस करवाने वाले मरीजों को अब महीनों तक का लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा. मरीजों की लगातार बढ़ रही संख्या को देखते हुए एम्स में डायलिसिस की 24 नई यूनिटें स्थापित की जा रही है. खास बात ये है कि डायलिसिस के सभी नए इक्विपमेंट एम्स के अलग ब्लॉक में लगाए जाएंगे. जहां एक ही ब्लॉक में डायलेसिस के सभी मरीजों का इलाज होगा.

एम्स अस्पताल प्रशासन के डीन प्रोफेसर डॉ. यूबी मिश्रा ने बताया कि इस योजना के लिए वर्क आर्डर जारी हो चुका है. सितंबर महीने तक एम्स में डायलिसिस की 24 नई यूनिटें बढ़ा दी जाएंगी. इस सुविधा से डायलिसिस करवाने के लिए मरीजों को लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा और जरूरतमंद मरीजों को समय पर इलाज मिल सकेगा. प्रोफेसर मिश्रा ने बताया कि एम्स ऋषिकेश में बीते साल 6 हजार मरीजों की डायलिसिस की गई थी. जबकि, लॉकडाउन के बावजूद इस साल अभी तक तकरीबन 3 हजार मरीजों की डायलिसिस किया जा चुका है.

एम्स ऋषिकेश में लगेगी 24 नई डायलिसिस यूनिट.

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बता दें कि एम्स में अभी तक डायलिसिस की 8 यूनिटें कार्य रही है. इनमें से 3 यूनिटों को 'मेंटिनेंस हीमो डायलिसिस प्रोग्राम' के लिए रिजर्व रखा गया है. इस प्रोग्राम के तहत उन मरीजों का इलाज होता है, जिन्हें आजीवन डायलfसिस की जरूरत होती है. जबकि, बाकी 5 यूनिटों में इलाज के लिए पहले से पंजीकृत मरीजों और इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती किए गए मरीजों का डायलिसिस किया जा रहा है.

क्या है डायलिसिस
डायलिसिस रक्त शोधन की एक कृत्रिम विधि होती है. डायलिसिस की जरूरत तब पड़ती है, जब किसी व्यक्ति के वृक्क (किडनी) यानि गुर्दे सही से काम नहीं कर रहे होते हैं. गुर्दे से जुड़े बीमारी, लंबे समय से मधुमेह के मरीज, उच्च रक्तचाप जैसी स्थितियों में कई बार डायलसिस की आवश्यकता पड़ती है. डायलसिस में शरीर में एकत्रित अपशिष्ट पदार्थों और अतिरिक्त पानी को आर्टिफिशियल तरीके से बाहर निकाला जाता है.

डायलिसिस करीब चार से पांच घंटे की प्रक्रिया होती है. इसके बाद रिपोर्ट तैयार की जाती है. इसमें पता चलता है कि शरीर से कितने फीसद अपशिष्ट पदार्थ बाहर निकले हैं. स्थायी और अस्थायी होती है. आमतौर पर जब दोनों किडनियां काम नहीं कर रही हों तो उस स्थिति में किडनी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर डायलिसिस करवाने की सलाह देते हैं.

किडनी के मरीज इन खाद्य पदार्थों का करें सेवन
डॉक्टरों की मानें तो सब्जियों को अच्छी प्रकार से धोकर पकाएं. दिन में सेब, पपीता, नाशपाती या अमरूद 100 ग्राम तक खाने चाहिए. घीया, टिंडा, लौकी, पत्ता गोभी, भिंडी, शिमला मिर्च, कम मात्रा में आलू, अखरोट, साबुतदाना, भिगोई दालें खा सकते हैं. संतुलित मात्रा में पानी, पेय पदार्थ, कम नमक खाना चाहिए.

किडनी के मरीज इन खाद्य पदार्थों का करें परहेज
डायलिसिस करवा रहे मरीजों को फलों का रस, शरबत, कोल्ड ड्रिंक, नींबू, नींबू पानी, नारियल, सब्जियों का सूप, पापड़, बूस्ट, प्रोटोनेक्स, दूध से बनी चीजें, सूखे मेवे, टमाटर, मटर, बैंगन, जिमीकंद, कटहल, खरबूजा, लोकाट, खुमानी, आड़ू, लीची, अरहर, लोबिया दाल, चना दाल, पकौड़े व पतीसा का सेवन नहीं करना चाहिए. इनका परहेज जरूरी है.

Last Updated : Aug 25, 2020, 5:10 PM IST
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