ETV Bharat / state

कारगिल विजय दिवस: आखिर कब मिलेगा शहीद की शहादत को सम्मान, 21 साल बाद भी वादे अधूरे - उत्तराखंड सरकार

देश आज कारगिल विजय दिवस की 21वीं वर्षगांठ मना रहा है, लेकिन आज 21 साल बाद भी शहीदों की शहादत को असली सम्मान नहीं मिल पाया है.

Kargil Vijay Divas 2020
Kargil Vijay Divas 2020
author img

By

Published : Jul 26, 2020, 11:24 AM IST

Updated : Jul 27, 2020, 6:02 AM IST

देहरादून: आज पूरा देश कारगिल विजय दिवस की 21वीं वर्षगांठ मना रहा है. आज ही के दिन साल 1999 में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ कारगिल की लड़ाई में विजय हासिल की थी, लेकिन उत्तराखंड में कुछ ऐसे कारगिल शहीद भी हैं, जिनकों 21 साल बाद भी उनकी शहादत को असली सम्मान नहीं मिल पाया है. उन्हीं में से एक शहीद हैं चमोली जिले के सतीश चंद्र सती, क्या है इनकी कहानी आइये आपको बताते हैं...

आखिर कब मिलेगा शहीद की शहादत को सम्मान.

21 साल पहले आज ही के दिन भारतीय सैनिकों ने जिस जोश‚ जज्बे और जुनून से पाक सैनिकों के छक्के छुड़ाए थे, उसकी चर्चा आज भी भारतीय सेना में गौरव के साथ की जाती है. उन्हीं जांबाजों शहीद में सतीश चंद्र सती का नाम भी शामिल था. 25 अप्रैल 1976 को नारायण नगर विकासखंड के सिमली गांव में जन्मे सतीश चंद्र सती कारगिल युद्ध के दौरान 30 जून 1999 को वीरगति को प्राप्त हो गए. उस वक्त सती की उम्र महज 23 साल थी.

17वीं गढ़वाल राइफल में तैनात सतीश चंद्र सती की शहादत के बाद सरकार ने साल 2001 में उनकी शहीद स्मारक बनाने की घोषणा की थी, लेकिन आज 21 बरस बीत जाने के बाद भी ये घोषणा पूरी नहीं हो पाई हैं. इसके अलावा राजकीय इंटर कॉलेज का नाम भी शहीद सतीश चंद्र सती के नाम पर किए जाने की बात उस समय जोर-शोर से की गई थी. लेकिन कोई भी प्रक्रिया अबतक शासन स्तर पर आगे नहीं बढ़ी है.

पढ़ें- सरकारी घोषणा में 'कैद' वीरभूमि की शौर्यगाथा, आखिर कब मिलेगा शहादत को सम्मान?

21 साल बाद भी सरकार ने नहीं ली सुध

शहीद सतीश चंद्र सती के भतीजे दीपक सती ने ईटीवी भारत को बताया कि शहीद के पिता 84 साल के बुजुर्ग हैं, जो पिछले कई सालों से इन घोषणाओं को पूरा करने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन अबतक किसी ने भी शहीद परिवार की सुध नहीं ली है.

इस पर कांग्रेस प्रवक्ता आरपी रतूड़ी का कहना है कि सरकार शहीदों के परिवारों की लगातार अनदेखी कर रही है. शहीद परिवारों की मदद करना सरकार का काम है. शहीदों के परिवारों के लिए और उनके योगदान सरकार को कुछ करना चाहिए, जिससे उनके बलिदान को सच्ची श्रद्धांजलि दी जा सके.

देहरादून: आज पूरा देश कारगिल विजय दिवस की 21वीं वर्षगांठ मना रहा है. आज ही के दिन साल 1999 में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ कारगिल की लड़ाई में विजय हासिल की थी, लेकिन उत्तराखंड में कुछ ऐसे कारगिल शहीद भी हैं, जिनकों 21 साल बाद भी उनकी शहादत को असली सम्मान नहीं मिल पाया है. उन्हीं में से एक शहीद हैं चमोली जिले के सतीश चंद्र सती, क्या है इनकी कहानी आइये आपको बताते हैं...

आखिर कब मिलेगा शहीद की शहादत को सम्मान.

21 साल पहले आज ही के दिन भारतीय सैनिकों ने जिस जोश‚ जज्बे और जुनून से पाक सैनिकों के छक्के छुड़ाए थे, उसकी चर्चा आज भी भारतीय सेना में गौरव के साथ की जाती है. उन्हीं जांबाजों शहीद में सतीश चंद्र सती का नाम भी शामिल था. 25 अप्रैल 1976 को नारायण नगर विकासखंड के सिमली गांव में जन्मे सतीश चंद्र सती कारगिल युद्ध के दौरान 30 जून 1999 को वीरगति को प्राप्त हो गए. उस वक्त सती की उम्र महज 23 साल थी.

17वीं गढ़वाल राइफल में तैनात सतीश चंद्र सती की शहादत के बाद सरकार ने साल 2001 में उनकी शहीद स्मारक बनाने की घोषणा की थी, लेकिन आज 21 बरस बीत जाने के बाद भी ये घोषणा पूरी नहीं हो पाई हैं. इसके अलावा राजकीय इंटर कॉलेज का नाम भी शहीद सतीश चंद्र सती के नाम पर किए जाने की बात उस समय जोर-शोर से की गई थी. लेकिन कोई भी प्रक्रिया अबतक शासन स्तर पर आगे नहीं बढ़ी है.

पढ़ें- सरकारी घोषणा में 'कैद' वीरभूमि की शौर्यगाथा, आखिर कब मिलेगा शहादत को सम्मान?

21 साल बाद भी सरकार ने नहीं ली सुध

शहीद सतीश चंद्र सती के भतीजे दीपक सती ने ईटीवी भारत को बताया कि शहीद के पिता 84 साल के बुजुर्ग हैं, जो पिछले कई सालों से इन घोषणाओं को पूरा करने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन अबतक किसी ने भी शहीद परिवार की सुध नहीं ली है.

इस पर कांग्रेस प्रवक्ता आरपी रतूड़ी का कहना है कि सरकार शहीदों के परिवारों की लगातार अनदेखी कर रही है. शहीद परिवारों की मदद करना सरकार का काम है. शहीदों के परिवारों के लिए और उनके योगदान सरकार को कुछ करना चाहिए, जिससे उनके बलिदान को सच्ची श्रद्धांजलि दी जा सके.

Last Updated : Jul 27, 2020, 6:02 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.