देहरादून: उत्तराखंड में भी आसमान से आफत बरस रही है. रुक-रुककर बारिश से होने वाले भूस्खलन से सड़कों के बंद होने और खुलने का सिलसिला जारी है. उत्तराखंड आपदा प्रबंधन कंट्रोल रूम से मिली जानकारी के मुताबिक सुबह साढ़े ग्यारह बजे तक प्रदेश के 172 छोटे-बड़े मार्ग बंद है, जिन्हें संबंधित विभाग खोलने की कोशिश कर रहे हैं.
उत्तरकाशी जिले में ऋषिकेश-गंगोत्री एनएच-108 धरासू के पास मलबा आने के कारण बंद है. ऋषिकेश-यमुनोत्री एनएच-94 धरासू-कल्याणी के पास मलबा आने के कारण बंद है. लमगांव-घनसाली-तिलवाड़ा मोटर मार्ग साडा के पास 18 जुलाई को बादल फटने के कारण पुल क्षतिग्रस्त हुआ था, जहां पुल बनाने की काम जारी है. इसके अलावा उत्तरकाशी में 30 ग्रामीण मोटर मार्ग बंद हैं, जिन्हें संबंधित विभाग द्वारा खोलने की कोशिश की जा रही है.
देहरादून जिले में 1 राज्य मार्ग, 2 जिला मार्ग और 21 ग्रामीण मोटर मार्ग अवरुद्ध हैं, जिन्हें खोलने की कार्रवाई की जा रही है. चमोली जिले में ऋषिकेश-बदरीनाथ NH-58 श्रीनगर के पास मलबा आने के कारण बंद है. इसके अलावा चमोली में 36 ग्रामीण मोटर मार्ग यातायात के लिए अवरुद्ध हैं, जिन्हें खोलने की कार्रवाई की जा रही है.
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रुद्रप्रयाग में एनएच-107 खोला जा चुका है. पौड़ी जिले में ऋषिकेश-बदरीनाथ एनएच-58 चंदाल के पास मलबा आने से बंद है. इसके अलावा 23 ग्रामीण सड़कें भी अलग-अलग जगहों पर बंद हैं, जिन्हें लोक निर्माण विभाग खोलने में जुटा है.
टिहरी जिले में 11 ग्रामीण मोटर मार्ग यातायात के लिए अवरुद्ध हैं. टिहरी बांध भी अपने अधिकतम जलस्तर 830 मीटर से नीचे 795.20 मीटर पर है. बागेश्वर जिले में 11 ग्रामीण मोटर मार्ग अवरुद्ध हैं, जिन्हें खोलने की कार्रवाई की जा रही है.
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नैनीताल जिले में 3 ग्रामीण मोटर मार्ग अवरुद्ध हैं. अल्मोड़ा जिले में 6 ग्रामीण मोटर मार्ग बंद हैं, जिन्हें खोलने में संबंधित विभाग जुटा है. उधम सिंह नगर की कोई भी सड़क अवरुद्ध नहीं है, लेकिन जनपद में आधी रात से लगातार बारिश हो रही है.
चंपावत जिले में टनकपुर-चंपावत NH-09 स्वाला और भारतोली के पास भूस्खलन होने की वजह से बंद है. इसके अलावा 03 अन्य ग्रामीण मोटर मार्ग भी अवरुद्ध हैं, जिन्हें खोला जा रहा है. पिथौरागढ़ जिले में 3 बॉर्डर रोड और 16 ग्रामीण मोटर मार्ग बंद हैं, जिन्हें संबंधित विभाग खोलने में जुटा है.
पहाड़ी जनपदों में लगातार हो रही भारी बारिश के बाद नदियों का जलस्तर भी खतरे के निशान के करीब पहुंच गया है. हरिद्वार में गंगा नदी का जलस्तर 292.65 मीटर पर है, जबकि खतरे का स्तर 294.00 मीटर है.