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चम्पावत के तीन गांवों ने किया चुनाव बहिष्कार, एक बूथ पर पड़े सिर्फ दो वोट - अल्मोड़ा लोकसभा सीट

चम्पावत विधानसभा के रुइया और बस्टिया गूंठ के मतदाताओं ने सड़क की मांग को लेकर चुनाव बहिष्कार किया. उनका कहना है कि जब तक रोड नहीं तो वोट नहीं.

सड़क की मांग को लेकर तीन गांवों ने किया चुनाव बहिष्कार
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Published : Apr 11, 2019, 8:53 PM IST

चम्पावत: उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीट पर आज शांतिपूर्वक मतदान संपन्न हो गए. इस दौरान अल्मोड़ा लोकसभा सीट पर जहां अधिकांश मतदाताओं में उत्साह था तो वहीं तीन बूथों पर ग्रामीणों ने सड़क की मांग को लेकर चुनाव का बहिष्कार किया.

पढ़ें- 114 साल की रतन देई आज भी खुद को मानती हैं फिट, 83 साल के बेटे के साथ जाएंगी वोट डालने

चम्पावत विधानसभा के रुइया और बस्टिया गूंठ के मतदाताओं ने सड़क की मांग को लेकर चुनाव बहिष्कार किया. इन्हें निर्वाचन विभाग और जिला प्रशासन के अधिकारी वोट के लिए नहीं मना पाए. वहीं, बस्तिया गूंठ में सिर्फ दो वोट पड़े. यहां के ग्रामीणों ने भी सड़क की मांग को लेकर चुनाव बहिष्कार किया.

सड़क की मांग को लेकर तीन गांवों ने किया चुनाव बहिष्कार

ग्रामीणों का कहना है कि शासन-प्रशासन को चुनाव के दौरान ही उनकी याद आती है. चुनाव के बाद सब भूल जाते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि वो लंबे समय से सड़क की मांग कर रहे हैं, लेकिन किसी भी नेता ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. उन्होंने कहा कि जब तक सड़क नहीं बनेगी तो वो किसी को वोट नहीं देंगे.

दरअसल, यहां से लोग सड़क नहीं होने के चलते बीमार लोगों को कंधे पर उठाकर अस्पताल तक पहुंचाने को मजबूर हैं. ग्रामीणों को गर्भवती महिलाओं को मुख्य सड़क तक लाने के लिए डोली का सहारा लेना पड़ता है.

चम्पावत: उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीट पर आज शांतिपूर्वक मतदान संपन्न हो गए. इस दौरान अल्मोड़ा लोकसभा सीट पर जहां अधिकांश मतदाताओं में उत्साह था तो वहीं तीन बूथों पर ग्रामीणों ने सड़क की मांग को लेकर चुनाव का बहिष्कार किया.

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चम्पावत विधानसभा के रुइया और बस्टिया गूंठ के मतदाताओं ने सड़क की मांग को लेकर चुनाव बहिष्कार किया. इन्हें निर्वाचन विभाग और जिला प्रशासन के अधिकारी वोट के लिए नहीं मना पाए. वहीं, बस्तिया गूंठ में सिर्फ दो वोट पड़े. यहां के ग्रामीणों ने भी सड़क की मांग को लेकर चुनाव बहिष्कार किया.

सड़क की मांग को लेकर तीन गांवों ने किया चुनाव बहिष्कार

ग्रामीणों का कहना है कि शासन-प्रशासन को चुनाव के दौरान ही उनकी याद आती है. चुनाव के बाद सब भूल जाते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि वो लंबे समय से सड़क की मांग कर रहे हैं, लेकिन किसी भी नेता ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. उन्होंने कहा कि जब तक सड़क नहीं बनेगी तो वो किसी को वोट नहीं देंगे.

दरअसल, यहां से लोग सड़क नहीं होने के चलते बीमार लोगों को कंधे पर उठाकर अस्पताल तक पहुंचाने को मजबूर हैं. ग्रामीणों को गर्भवती महिलाओं को मुख्य सड़क तक लाने के लिए डोली का सहारा लेना पड़ता है.


sir mozo abhi nahi liya hai plz maila se hi news leney ki krapa kare
स्लग- चुनाव बहिष्कार
- सडक की मांग को लेकर रूईया, कायल के ग्रामीणों ने किया चुनाव बहिष्कार
- इन क्षेत्रों के ग्रामीण वर्षो से करते आ रहे हैं सडक की मांग
- चुनाव पूर्व जिलाधिकारी को सौंप चुके हैं ज्ञापन 
- सडक के अभाव में डोली पर लाने पडते हैं मरीज और बुजुर्ग
रिपोर्टर- गिरीश सिंह बिष्ट चम्पावत 992716814
एंकर- चम्पावत। अल्मोडा लोकसभा सीट में लोकतंत्र के पर्व पर जहां अधिकांश मतदाताओं में उत्साह था वहीं तीन बूथों में ग्रामीणों ने चुनाव का बहिष्कार किया। लोहाघाट विधानसभा का कायल बूथ और चम्पावत विधानसभा के रूइया के मतदाताओं ने सडक की मांग को लेकर  चुनाव बहिष्कार किया। इन्हें निर्वाचन विभाग और जिला प्रशासन के अधिकारी वोट के लिए नहीं मना पाए। वहीं बस्तिया गूंठ में मात्र दो वोट पडे यहां के ग्रामीण भी सडक की मांग को लेकर बहिष्कार में थे। 
सडक की मांग पर अडिग ग्रामीणों का कहना है कि नेता और शासन प्रशासन को चुनाव के दौरान ही उनकी याद आति है चुनाव के बाद सब भूल जाते हैं। 
 विजुअल - मरीज को डोली में लाते ग्रामीण
वीओ 1- ग्रामीणों का कहना है कि वर्षो से सडक की मांग कर रह हैं सडक सुविधा के अभाव में बुजुर्ग बिमार गर्भवती महिलाओं को मुख्य सडक तक लाने के लिए डोली का सहारा लेना पडता है। कई मरीज तो मुख्य सडक तक पहुंचते पहुंचते दम तोड देते हैं। 
बीओ 2- पहाड में सडक स्वास्थ्य स्कूल के अभाव में लगातार पलायन कर रहे हैं। यहां केन्द्र और राज्य सरकार की योजनाएं पहुंचते पहुंचते दम तोड देती हैं। कई गांवो में वन भूमी होने के कारण सडक नहीं पहुंच पा रही है। जिससे इन गांव में विकास किरण नहीं पहुंच पा रही है। 
बाइट 1- कमल सिंह महर
बाइट 2- सुरेश भट्ट 
बाइट 3- ग्रामीण

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