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हजरत कालू सैयद बाबा का उर्स शुरू, यहां देखने को मिलती है हिंदू-मुस्लिम एकता की मिशाल

चंपावत के लोहाघाट स्थित हजरत कालू सैयद बाबा की मजार में चादर पोसी के जुलूस के साथ उर्स शुरू हो गया है. उर्स में दूर दराज से जायरीन पहुंचने लगे हैं.

जरत कालू सैयद बाबा की मजार
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Published : Jun 17, 2019, 9:53 AM IST

चंपावत: लोहाघाट में गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल बन चुकी हजरत कालू सैयद बाबा की मजार में चादरपोशी के जुलूस के साथ उर्स शुरू हो गया है. उर्स में खटीमा, पीलीभीत, हल्द्वानी, टनकपुर धारचूला, पिथौरागढ़ और बरेली से जायरीन पहुंचने लगे हैं. कौमी एकता की मिसाल उर्स में खटीमा से आये कव्वालों ने एक से बढ़कर एक कव्वाली प्रस्तुत की.

बता दें, लोहाघाट के मीना बाजार में स्थित कालू सैयद बाबा की मजार मुस्लिम तथा हिंदू धर्म के लोगों की आस्था का केंद्र है. यहां हर साल होने वाले उर्स में दोनों ही धर्मों के लोग भाग लेते हैं.

हिन्दू मुस्लिम एकता का प्रतीक उर्स

पढ़ें- केदारनाथ आपदाः इस नेता ने पानी की टंकी पर उतार दिया था हेलिकॉप्टर, चारों ओर थीं लाशें ही लाशें

आज जहां समाज में जाति धर्म के आधार पर लोग बैठे हुए हैं, वहीं कालू सैयद बाबा की मजार कौमी एकता की मिसाल कायम किए हुए है और गंगा जमुनी तहजीब को जिंदा किए हुए है.

चंपावत: लोहाघाट में गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल बन चुकी हजरत कालू सैयद बाबा की मजार में चादरपोशी के जुलूस के साथ उर्स शुरू हो गया है. उर्स में खटीमा, पीलीभीत, हल्द्वानी, टनकपुर धारचूला, पिथौरागढ़ और बरेली से जायरीन पहुंचने लगे हैं. कौमी एकता की मिसाल उर्स में खटीमा से आये कव्वालों ने एक से बढ़कर एक कव्वाली प्रस्तुत की.

बता दें, लोहाघाट के मीना बाजार में स्थित कालू सैयद बाबा की मजार मुस्लिम तथा हिंदू धर्म के लोगों की आस्था का केंद्र है. यहां हर साल होने वाले उर्स में दोनों ही धर्मों के लोग भाग लेते हैं.

हिन्दू मुस्लिम एकता का प्रतीक उर्स

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आज जहां समाज में जाति धर्म के आधार पर लोग बैठे हुए हैं, वहीं कालू सैयद बाबा की मजार कौमी एकता की मिसाल कायम किए हुए है और गंगा जमुनी तहजीब को जिंदा किए हुए है.

Intro:intro- चंपावत के लोहाघाट में गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल बन चुकी हजरत कालू सैयद बाबा की मजार में चादर पोसी के जुलुस के साथ उर्स शुरू हो गया है। उर्स में खटीमा पीलीभीत हल्द्वानी टनकपुर धारचूला पिथौरागढ़ बरेली से उर्स में शिरकत करने जायरीन पहुंचने लगे हैं। एंकर- कौमी एकता की मिसाल उर्स में मुस्लिम के साथ हिंदू धर्म के लोगों ने भी चादर चढ़ाई मीना बाजार स्थित हजरत कालू सैयद बाबा की मजार में खटीमा से आये कव्वालों एक से बढ़कर एक क़व्वाली प्रस्तुत की।


Body:लोहाघाट के मीना बाजार में स्थित कालू सैयद बाबा की मजार मुस्लिम तथा हिंदू धर्म के लोगों की आस्था का केंद्र है यहां हर साल होने वाले उर्स में दोनों ही धर्मों के लोग भाग लेते हैं


Conclusion:आज जहां समाज में जाति धर्म के आधार पर लोग बैठे हुए हैं वही कालू सैयद बाबा की मजार कौमी एकता की मिसाल कायम किए हुए है तथाभारत की गंगा जमुनी तहजीब को जिंदा किए हुए है। बाइट1--बाबा हसमत
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