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बहराइच के लिए निकले मजदूर 75 किमी की दूरी तय कर पहुंचे पिथौरागढ़ से चंपावत, बयां किया दर्द - चंपावत न्यूज

75 किलोमीटर की दूरी दो दिन में तय करने के बाद तीन मजदूर पिथौरागढ़ से चंपावत पहुंचे. उन्होंने बताया कि पिछले 24 घंटे से बगैर कुछ खाए इस सफर को पूरा किया. लोग रास्ते में मिलते तो हैं, लेकिन कोई उनकी मदद नहीं करता.

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प्रवासी मजदूर पहुंचे चंपावत
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Published : May 14, 2020, 7:37 PM IST

चंपावत: लॉकडाउन में प्रवासी लोगों के पैदल चल कर घरों तक पहुंचने का सिलसिला लगातार जारी है. इसी कड़ी में राजराम, रामकरण और छंगा नाम के मजदूर 75 किलोमीटर का सफर दो दिन में तय कर पिथौरागढ़ से चंपावत पहुंचे. उन्होंने बताया कि पिछले 24 घंटे से बिना कुछ खाए इस सफर को पूरा किया. वो ये सफर रुक-रुक कर तय कर रहे हैं.

प्रवासी मजदूर पहुंचे चंपावत

चंपावत से बहराइच की दूरी भले ही 379 किलोमीटर है, लेकिन इन मजदूरों में घरों को पहुंचने की ललक भी खूब है. ये प्रवासी मजदूर बताते हैं, उनके पास अब न खाने को है और ना ही आगे जाने के लिए किराया. ऐसे में उन्हें पैदल चलकर ही आगे जाना होगा. जहां थकेंगे वहीं पर थोड़ी देर के लिए बैठ जाएंगे. वहीं, उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के खड़ीचा गांव के रहने वाले तीनों मजदूर बतातें हैं, कि वर्तमान में उन सभी की जेबें खाली हैं.

ये भी पढ़ें: घर जाने के लिए सरकार से नहीं मिली मदद, ऋषिकेश से मध्यप्रदेश के लिए पैदल निकले 17 श्रमिक

मजदूरों ने बताया, कि बुधवार की रात बाराकोट और लोहाघाट के बीच सड़क किनारे बीती. रास्ते में कुछ लोग जरूर मिले, लेकिन किसी ने उनकी कोई मदद नहीं की. उन लोगों ने बस इतना पूछा, कि कहां से आ रहे हो और कहां जाना है? उन लोगों को ये थकेहारे मजदूर बस यही बताते थे कि पिथौरागढ़ में मजदूरी करते थे. 22 मार्च को लॉकडाउन के बाद से काम नहीं मिला. इसके बाद जो रुपए उनके पास थे वो वहां पर खाने में खर्च हो गए.

चंपावत: लॉकडाउन में प्रवासी लोगों के पैदल चल कर घरों तक पहुंचने का सिलसिला लगातार जारी है. इसी कड़ी में राजराम, रामकरण और छंगा नाम के मजदूर 75 किलोमीटर का सफर दो दिन में तय कर पिथौरागढ़ से चंपावत पहुंचे. उन्होंने बताया कि पिछले 24 घंटे से बिना कुछ खाए इस सफर को पूरा किया. वो ये सफर रुक-रुक कर तय कर रहे हैं.

प्रवासी मजदूर पहुंचे चंपावत

चंपावत से बहराइच की दूरी भले ही 379 किलोमीटर है, लेकिन इन मजदूरों में घरों को पहुंचने की ललक भी खूब है. ये प्रवासी मजदूर बताते हैं, उनके पास अब न खाने को है और ना ही आगे जाने के लिए किराया. ऐसे में उन्हें पैदल चलकर ही आगे जाना होगा. जहां थकेंगे वहीं पर थोड़ी देर के लिए बैठ जाएंगे. वहीं, उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के खड़ीचा गांव के रहने वाले तीनों मजदूर बतातें हैं, कि वर्तमान में उन सभी की जेबें खाली हैं.

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मजदूरों ने बताया, कि बुधवार की रात बाराकोट और लोहाघाट के बीच सड़क किनारे बीती. रास्ते में कुछ लोग जरूर मिले, लेकिन किसी ने उनकी कोई मदद नहीं की. उन लोगों ने बस इतना पूछा, कि कहां से आ रहे हो और कहां जाना है? उन लोगों को ये थकेहारे मजदूर बस यही बताते थे कि पिथौरागढ़ में मजदूरी करते थे. 22 मार्च को लॉकडाउन के बाद से काम नहीं मिला. इसके बाद जो रुपए उनके पास थे वो वहां पर खाने में खर्च हो गए.

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