चंपावत: नगर पालिका की आमदनी भवन कर व दुकानों से आने वाले किराये से ही होती है, लेकिन यह बड़ी हैरानी की बात है कि पांच सालों से दर्जनों सरकारी विभागों ने पालिका को भवन कर तक नहीं दिया है. भवन कर की प्रक्रिया प्रति वर्ष चल रही है, जो वर्तमान समय में करीब 22 लाख से अधिक पहुंच गई है. भवन कर का समय से भुगतान न होने से पालिका को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं, नए डीएम विनीत तोमर के आने से पालिका को भवन कर मिलने की उम्मीद जगी है.
2015-16 से पालिका क्षेत्र में बने करीब 37 सरकारी भवनों से तो पालिका को टैक्स मिला ही नहीं है. पालिका बार-बार इन भवनों से टैक्स जमा करने के लिए कहती है, लेकिन भवन कर के नाम पर अधिकारियों के कान पर जूं तक नहीं रेंगती. यही वजह है कि 2015-16 से 2017-18 तक बकाया भवन कर 25,95,579 रुपये पहुंच गया.
पढ़ें- पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों पर हल्ला-बोल, वाहनों को धकेलकर कांग्रेसियों ने किया प्रदर्शन
इसमें से जिला कोषाधिकारी, पशुचिकित्सालय, सीएमओ, बाजार पुलिस चौकी, जीआइसी चम्पावत व वन विभाग कार्यालय द्वारा कर का भुगतान कर दिया गया है. इसके बावजूद अभी भी सरकारी भवनों पर पालिका का करीब 22,95,597 रुपये बकाया है. नगर पालिका चंपावत कई बार इस संबंध में उच्चाधिकारियों से भी शिकायत कर चुकी है लेकिन अभी तक इसका नतीजा सिफर ही निकला.
पढ़ें- उत्तराखंड: शुक्रवार को मिले 26 नए कोरोना मरीज, चौबीस घंटे में दो मरीज की मौत
पालिका क्षेत्र में बने सरकारी भवनों का 2015-16 से भवन कर का करीब 22 लाख से अधिक का बकाया है. कई बार कर जमा करने के लिए कहा जा चुका है. नोटिस भी भेजा गया है. पूर्व डीएम को भी इस संबंध में अवगत कराया गया था. इस पर उन्होंने आरसी काटने की बात कही थी. अब नए डीएम के आने से बकाया भवन कर मिलने की उम्मीद है. अगर बकाया कर समय से मिल जाए तो पालिका को काफी राहत मिलेगी, जिससे कई कार्य आसानी से हो सकेंगे.