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चंपावत: 'जल संरक्षण, जीवन संरक्षण' कार्यक्रम का समापन, गंगा को बचाने के लिए किया प्रेरित

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Published : Aug 19, 2021, 3:21 PM IST

पीजी कॉलेज लोहाघाट में नमामि गंगे के तहत चल रहे अभियान का समापन हो गया. अभियान का समापन कुलपति डॉ.नरेंद्र भंडारी ने किया.

Champawat Latest News
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चंपावत: जिले के राजकीय पीजी कॉलेज लोहाघाट में नमामि गंगे के तहत चल रहे 'जल संरक्षण, जीवन संरक्षण' अभियान का समापन हो गया. करीब 5 माह तक चले अभियान के तहत की गई गतिविधियों पर प्रकाश डाला गया. समापन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा के कुलपति डॉ. नरेंद्र भंडारी रहे.

इस मौके पर कुलपति डॉ. भंडारी ने कहा कि पहले हम गंगा को मां मानते थे. अब सिर्फ नदी मानते हैं. इस कारण मोक्षदायिनी गंगा की यह दुर्दशा हुई है. उन्होंने कहा कि नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत नई पीढ़ी को गंगा को मां मानने और पर्यावरण को बचाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है.

पढ़ें- अफगानिस्तान में फंसे सभी उत्तराखंडी जल्द आएंगे वापस, CM धामी ने रक्षा मंत्री और NSA को सौंपी लिस्ट

कुलपति डॉ. नरेंद्र भंडारी ने कहा कि नमामि गंगे अभियान से जुड़े सभी लोग अपने-अपने क्षेत्रों की नदियों, नौलों और धारों को संरक्षित करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. हिमालयन इंस्टीट्यूट कोसी कटारमल से आए वैज्ञानिक वैभव एकनाथ ने जल संकट से निपटने के लिए बड़े स्तर पर पानी के पोषक पौधों के रोपण पर जोर दिया.

चंपावत: जिले के राजकीय पीजी कॉलेज लोहाघाट में नमामि गंगे के तहत चल रहे 'जल संरक्षण, जीवन संरक्षण' अभियान का समापन हो गया. करीब 5 माह तक चले अभियान के तहत की गई गतिविधियों पर प्रकाश डाला गया. समापन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा के कुलपति डॉ. नरेंद्र भंडारी रहे.

इस मौके पर कुलपति डॉ. भंडारी ने कहा कि पहले हम गंगा को मां मानते थे. अब सिर्फ नदी मानते हैं. इस कारण मोक्षदायिनी गंगा की यह दुर्दशा हुई है. उन्होंने कहा कि नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत नई पीढ़ी को गंगा को मां मानने और पर्यावरण को बचाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है.

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कुलपति डॉ. नरेंद्र भंडारी ने कहा कि नमामि गंगे अभियान से जुड़े सभी लोग अपने-अपने क्षेत्रों की नदियों, नौलों और धारों को संरक्षित करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. हिमालयन इंस्टीट्यूट कोसी कटारमल से आए वैज्ञानिक वैभव एकनाथ ने जल संकट से निपटने के लिए बड़े स्तर पर पानी के पोषक पौधों के रोपण पर जोर दिया.

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