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मीठा रीठा साहिब में जोड़ मेले का आगाज, इस वजह से दुनियाभर में प्रसिद्ध है यहां का प्रसाद

सिखों के पवित्र तीर्थ स्थल मीठा रीठा साहिब में जोड़ मेला का हुआ शुभारंभ. पेड़ की पूजा कर मीठे रीठे का प्रसाद लेने देश-विदेश से पहुंच रहे श्रद्धालु.

मीठा रीठा साहिब.
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Published : May 17, 2019, 1:30 PM IST

Updated : May 17, 2019, 5:15 PM IST

खटीमा/चंपावत : देवभूमि उत्तराखंड के चंपावत में स्थित सिखों के पवित्र तीर्थ स्थल मीठा रीठा साहिब में लगने वाले सालाना मेले का शुभारंभ हो गया है. तीन दिवसीय इस मेले में भाग लेने व मीठे रीठा का प्रसाद पाने के लिए देश-विदेश के कोने-कोने से सिख श्रद्धालु रीठा साहिब पहुंच रहे हैं.

चंपावत जिले के पार्टी ब्लॉक स्थित गुरुद्वारा रीठा साहिब में लगभग 500 सालों से जोड़ मेला लगता आ रहा है. हर साल वैशाख माह की त्रयोदशी से पूर्णिमा तक चलने वाले इस मेले में भाग लेने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं. इस ऐतिहासिक गुरुद्वारे के मीठा रीठा का प्रसाद काफी प्रसिद्ध है.

मीठा रीठा साहिब में लगने वाले सालाना मेले का शुभारंभ.

पढ़ें- राहगीरों के लिए मुसीबत बनी जजरेड़ पहाड़ी, जान जोखिम में डालकर निकलने को मजबूर लोग

मान्यता है कि अपने प्रवास के दौरान गुरु नानक देव रीठा साहिब में रीठे के एक पेड़ के नीचे बैठे हुए थे. इस दौरान उनके भक्त बाला और मर्दाना को भूख लगी. तब गुरु नानक देव ने सिद्धों से भोजन की प्रार्थना की. सिद्धों द्वारा भोजन न दिए जाने पर गुरु नानक देव जी ने रीठे के पेड़ की ओर इशारा किया और अपने शिष्यों से कहा की पेड़ से रीठे तोड़ कर खाएं और उन्हें भी खिलाएं. शिष्यों ने पेड़ से रीठे तोड़े जो नानक देव की वाणी के प्रभाव से कड़वे होने के बजाय मीठे हो गए. तभी से हर साल यहां तीन दिवसीय जोड़ मेले का आयोजन किया जाता है. संगत में माथा टेककर उस पेड़ की पूजा की जाती है, जहां गुरु नानक देव जी अपने प्रवास के दौरान बैठा करते थे.

Fair started in the Mitha Reetha Sahib
मीठे रीठे.

खटीमा/चंपावत : देवभूमि उत्तराखंड के चंपावत में स्थित सिखों के पवित्र तीर्थ स्थल मीठा रीठा साहिब में लगने वाले सालाना मेले का शुभारंभ हो गया है. तीन दिवसीय इस मेले में भाग लेने व मीठे रीठा का प्रसाद पाने के लिए देश-विदेश के कोने-कोने से सिख श्रद्धालु रीठा साहिब पहुंच रहे हैं.

चंपावत जिले के पार्टी ब्लॉक स्थित गुरुद्वारा रीठा साहिब में लगभग 500 सालों से जोड़ मेला लगता आ रहा है. हर साल वैशाख माह की त्रयोदशी से पूर्णिमा तक चलने वाले इस मेले में भाग लेने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं. इस ऐतिहासिक गुरुद्वारे के मीठा रीठा का प्रसाद काफी प्रसिद्ध है.

मीठा रीठा साहिब में लगने वाले सालाना मेले का शुभारंभ.

पढ़ें- राहगीरों के लिए मुसीबत बनी जजरेड़ पहाड़ी, जान जोखिम में डालकर निकलने को मजबूर लोग

मान्यता है कि अपने प्रवास के दौरान गुरु नानक देव रीठा साहिब में रीठे के एक पेड़ के नीचे बैठे हुए थे. इस दौरान उनके भक्त बाला और मर्दाना को भूख लगी. तब गुरु नानक देव ने सिद्धों से भोजन की प्रार्थना की. सिद्धों द्वारा भोजन न दिए जाने पर गुरु नानक देव जी ने रीठे के पेड़ की ओर इशारा किया और अपने शिष्यों से कहा की पेड़ से रीठे तोड़ कर खाएं और उन्हें भी खिलाएं. शिष्यों ने पेड़ से रीठे तोड़े जो नानक देव की वाणी के प्रभाव से कड़वे होने के बजाय मीठे हो गए. तभी से हर साल यहां तीन दिवसीय जोड़ मेले का आयोजन किया जाता है. संगत में माथा टेककर उस पेड़ की पूजा की जाती है, जहां गुरु नानक देव जी अपने प्रवास के दौरान बैठा करते थे.

Fair started in the Mitha Reetha Sahib
मीठे रीठे.
Intro:एंकर- देवभूमि उत्तराखंड के चंपावत जिले में स्थित सिखों के पवित्र तीर्थ स्थल मीठा रीठा साहिब में लगने वाले सालाना तीन दिवसीय मेले का आज से हुआ शुभारंभ। मेले में भाग लेने व मीठे रीठा का प्रसाद पाने के लिए देश के कोने-कोने से रीठा साहब पहुंच रहे हैं सिख श्रद्धालु।

नोट-खबर मेल पर है।


Body:वीओ- चंपावत जिले के पार्टी ब्लॉक में स्थित गुरुद्वारा रीठा साहिब में लगभग 500 साल से हर बरस लगने वाले जोड़ मेले का आज से शुभारंभ हो गया है। हर साल वैशाख माह की त्रयोदशी से पूर्णिमा तक चलने वाले इस मेले में भाग लेने के लिए देश-विदेश के कोने-कोने से सिख धर्म के साथ-साथ अन्य धर्मों के अनुयाई भी रीठा साहिब एकत्र होना शुरू हो गए हैं। इस ऐतिहासिक गुरुद्वारे का महत्व मीठे रीठो के प्रसाद से है। कहा जाता है की अपने प्रवास के दौरान गुरु नानक देव रीठा साहिब मे रीठे के एक पेड़ के नीचे बैठे हुए थे उनके भक्त बाला और मर्दाना को भूख लगने पर उन्होंने सिद्धो से भोजन की प्रार्थना की, सिद्धो द्वारा भोजन नहीं दिए जाने पर गुरु नानक देव जी ने रीठे के पेड़ की ओर इशारा किया और अपने शिष्यों से कहा की पेड़ से रीठे तोड़ कर खाएं और उन्हें भी खिलाएं शिष्यों ने पेड़ से रीठे तोड़ कर खाए। जो कि नानक देव की वाणी के प्रभाव से कड़वे रीठो से मीठे मीठे में परिवर्तित हो गए थे। तब से हर वर्ष यहां तीन दिवसीय जोड़ मेले का आयोजन किया जाता है और संगत में माथा टेककर उस पेड़ की पूजा की की जाती है जिस पर स्थान पर गुरु नानक देव जी अपने प्रवास के दौरान बैठा करते थे। तत्पश्चात मीठे रीठे को गुरु के प्रसाद के रूप में प्राप्त किया जाता है।

बाइट- सतपाल सिंह श्रद्धालु

बाइट- बाबा श्याम सिंह जत्थेदार


Conclusion:
Last Updated : May 17, 2019, 5:15 PM IST
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