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चंपावत: पुराने कुटीर उद्योगों पर मंडराया आर्थिक संकट, उद्यमियों ने लगाई मदद की गुहार

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Published : Sep 5, 2020, 1:03 PM IST

कोरोनाकाल में पुराने कुटीर उद्योग बंदी की कगार पर पहुंच गए हैं. उद्यमियों का कहना है कि प्रदेश सरकार नए उद्योगों के लिए विभिन्न योजनाएं चला रही है, लेकिन पुराने उद्योगों को आर्थिक मदद देने के लिए कोई भी कार्य योजना नहीं बना रही है.

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पुराने कुटीर उद्योगों पर मंडराया आर्थिक संकट

चंपावत: जिले में जो कुटीर उद्योग हैं, वो वर्तमान में कोरोना महामारी की वजह से बंदी की कगार पर पहुंच गए हैं. उत्पादों की मांग घटने के कारण अधिकांश उद्योग धंधों पर आर्थिक संकट मंडराने लगा है. हालांकि उद्योग विभाग और सरकार की ओर से कोरोनाकाल में नए उद्योग धंधों को खड़ा करने के लिए विभिन्न योजनाएं तो बनाई गई हैं, लेकिन पुराने उद्योगों को आर्थिक मदद देने के लिए कोई कार्य योजना अभी तक नहीं बनाई जा सकी है.

पुराने कुटीर उद्योगों पर मंडराया आर्थिक संकट

साल 2014 में उद्योग विभाग की ओर से औद्योगिक संस्थान में विजय टायर रिट्रेडिंग उद्योग को 11 लाख रुपए का लोन लेकर शुरू किया गया था. इस उद्योग में टायर पर रबर चढ़ाने का काम होता था, जिसमें पहले 6 लोग काम किया करते थे. लेकिन पिछले चार महीनों में कोरोना की वजह से कर्मचारियों की संख्या कम हो गई है. ऑर्डर भी आधे रह गए हैं. यही हाल श्रीराम फल संरक्षण उद्योग का है, जिसे साल 2007 में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संगठन के अध्यक्ष महेश चौड़ाकोटी ने शुरू किया था. इस उद्योग में अचार, जैम और जैली का कारोबार होता था.

ये भी पढ़ें: रुद्रपुर: कोर्ट के आदेश पर हजारों लीटर शराब की गयी नष्ट, 21 वाहन भी हुए नीलाम

उत्तराखंड के विभिन्न जिलों में श्रीराम लघु उद्योग के उत्पाद बेचे जाते थे. लेकिन कोरोना महामारी की वजह से अब यहां काम करने के लिए कर्मचारी नहीं मिल रहे हैं. वहीं, बिक्री भी आधी ही रह गई है. उद्यमी महेश चौड़ाकोटी ने बताया कि 5 लाख की लागत से ये उद्योग शुरू किया था. लेकिन अब कोरोना की वजह से ये बंदी की कगार पर पर पहुंच गया है. उद्योग महाप्रबंधक मीरा बोहरा का कहना है कि कोरोना काल में पुराने उद्योगों को आर्थिक मदद देने के लिए अभी तक सरकार कोई कार्य योजना नहीं बना सकी है.

चंपावत: जिले में जो कुटीर उद्योग हैं, वो वर्तमान में कोरोना महामारी की वजह से बंदी की कगार पर पहुंच गए हैं. उत्पादों की मांग घटने के कारण अधिकांश उद्योग धंधों पर आर्थिक संकट मंडराने लगा है. हालांकि उद्योग विभाग और सरकार की ओर से कोरोनाकाल में नए उद्योग धंधों को खड़ा करने के लिए विभिन्न योजनाएं तो बनाई गई हैं, लेकिन पुराने उद्योगों को आर्थिक मदद देने के लिए कोई कार्य योजना अभी तक नहीं बनाई जा सकी है.

पुराने कुटीर उद्योगों पर मंडराया आर्थिक संकट

साल 2014 में उद्योग विभाग की ओर से औद्योगिक संस्थान में विजय टायर रिट्रेडिंग उद्योग को 11 लाख रुपए का लोन लेकर शुरू किया गया था. इस उद्योग में टायर पर रबर चढ़ाने का काम होता था, जिसमें पहले 6 लोग काम किया करते थे. लेकिन पिछले चार महीनों में कोरोना की वजह से कर्मचारियों की संख्या कम हो गई है. ऑर्डर भी आधे रह गए हैं. यही हाल श्रीराम फल संरक्षण उद्योग का है, जिसे साल 2007 में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी संगठन के अध्यक्ष महेश चौड़ाकोटी ने शुरू किया था. इस उद्योग में अचार, जैम और जैली का कारोबार होता था.

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उत्तराखंड के विभिन्न जिलों में श्रीराम लघु उद्योग के उत्पाद बेचे जाते थे. लेकिन कोरोना महामारी की वजह से अब यहां काम करने के लिए कर्मचारी नहीं मिल रहे हैं. वहीं, बिक्री भी आधी ही रह गई है. उद्यमी महेश चौड़ाकोटी ने बताया कि 5 लाख की लागत से ये उद्योग शुरू किया था. लेकिन अब कोरोना की वजह से ये बंदी की कगार पर पर पहुंच गया है. उद्योग महाप्रबंधक मीरा बोहरा का कहना है कि कोरोना काल में पुराने उद्योगों को आर्थिक मदद देने के लिए अभी तक सरकार कोई कार्य योजना नहीं बना सकी है.

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