चंपावत: तीन माह तक चलने वाले सुप्रसिद्ध पूर्णागिरि मेले का मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुभारंभ कर दिया है. नौ मार्च से नौ जून तक चलने वाले पूर्णागिरि मेले में शामिल होने के लिए दूर-दराज से बड़ी संख्या में श्रद्धालु धाम पहुंचते हैं. वहीं, मेले के सफल संचालन के लिए प्रशासन ने छह सेक्टर मजिस्ट्रेट तैनात कर दिए हैं. वहीं, इससे पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चकरपुर में वनखंडी महादेव मंदिर में भगवान शिव का अभिषेक एवं पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद प्राप्त किया. इस अवसर पर सीएम धामी ने महादेव से समस्त प्रदेशवासियों के सुख-समृद्धि एवं प्रदेश की उन्नति हेतु कामना की.
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हर-हर महादेव !
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) March 9, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
आज वनखंडी महादेव मंदिर, चकरपुर में भगवान शिव का अभिषेक एवं पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर देवाधिदेव महादेव से समस्त प्रदेशवासियों के सुख-समृद्धि एवं प्रदेश की उन्नति हेतु कामना की। pic.twitter.com/izknBbqTzW
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— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) March 9, 2023
आज वनखंडी महादेव मंदिर, चकरपुर में भगवान शिव का अभिषेक एवं पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर देवाधिदेव महादेव से समस्त प्रदेशवासियों के सुख-समृद्धि एवं प्रदेश की उन्नति हेतु कामना की। pic.twitter.com/izknBbqTzWहर-हर महादेव !
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आज वनखंडी महादेव मंदिर, चकरपुर में भगवान शिव का अभिषेक एवं पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर देवाधिदेव महादेव से समस्त प्रदेशवासियों के सुख-समृद्धि एवं प्रदेश की उन्नति हेतु कामना की। pic.twitter.com/izknBbqTzW
उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध माता पूर्णागिरि मेले का शुभारंभ हो गया है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधिवत पूजा पाठ कर सांसद अजय टम्टा के साथ पूर्णागिरि धाम मेले का शुभारंभ किया. इस दौरान स्थानीय कलाकारों द्वारा छोलिया नृत्य किया और पूर्णागिरि माता के जयघोष के साथ मेले का शुभारंभ किया गया.
52 शक्तिपीठों में से एक है यह धाम: चंपावत जिले के टनकपुर से 24 किमी दूर अन्नपूर्णा की चोटी पर मां पूर्णागिरि का धाम बसा है. यह धाम मां के 52 शक्तिपीठों में एक है. माता सती की नाभि यहीं गिरी थी. साल 1632 में श्रीचंद तिवारी ने पूर्णागिरि मंदिर की स्थापना की और माता की विधिवत पूजा अर्चना शुरू की. मान्यता है कि पूर्णागिरि धाम में जो भी श्रद्धालु अपनी मन्नत मांगता है, उसकी मुराद पूरी होती है.मान्यता है कि जब सती ने अपने पिता दक्ष के यज्ञ में अपमानित होकर स्वयं को जला डाला तो भगवान शिवशंकर उनके पार्थिव शरीर को आकाश मार्ग से ले जा रहे थे. इसी दौरान जहां नाभि गिरी, उस जगह को पूर्णागिरि शक्तिपीठ के रूप में पहचान मिली है.
बाबा भैरवनाथ मां के द्वारपाल: पूर्णागिरि शक्तिपीठ पहुंचने से पूर्व भैरव मंदिर में बाबा भैरवनाथ का वास है. उनके दर्शन के बाद ही मां पूर्णागिरि धाम की यात्रा सफल होती है. इस मंदिर में वर्ष भर धूनी जली रहती है.
धाम में शीश नवाने वाले पहले मुख्यमंत्री हैं धामी: साल 2022 के चैत्र नवरात्रि के अवसर पर प्रसिद्ध धाम मां पूर्णागिरी मंदिर में दर्शन-पूजन करने वाले उत्तराखंड के पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बने. इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने मां पूर्णागिरि के दर्शन किए थे, लेकिन वो उस समय मुख्यमंत्री के पद पर नहीं थे.