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लॉकडाउन ने तोड़ी गहतोड़ी परिवार जैसे कई काश्तकारों की 'कमर', सरकार से मदद की दरकार

चंपावत में लिलियम की खेती करने वाले कई काश्तकारों को बाजार उपलब्ध न होने के कारण भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. इन्हीं काश्तकारों में एक है चौकी गांव का गहतोड़ी परिवार.

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Published : Jun 16, 2020, 3:42 PM IST

गहतोड़ी परिवार
गहतोड़ी परिवार

चंपावत: कोरोना महामारी के चलते आर्थिक मंदी से देशभर में बुरा हाल है. लॉकडाउन के कारण हर वर्ग बुरी तरह प्रभावित है. काश्तकारों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. चंपावत में लिलियम की खेती करने वाले कई काश्तकारों को बाजार उपलब्ध न होने के कारण भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. इन्हीं काश्तकारों में एक है चौकी गांव का गहतोड़ी परिवार.

गहतोड़ी परिवार ने 10 लाख का लोन लेकर लिलियम की खेती शुरू की. लेकिन लॉकडाउन के कारण उन्हें बाजार उपलब्ध नहीं हो पाया. बसंत गहतोड़ी कहते हैं कि उन्होंने 30,000 बल्ब लिलियम के फूलों की प्रजाति हॉलैंड से मंगाए थे. पहली बार उन्होंने यह खेती की थी. खेती भी काफी अच्छी हुई. लेकिन लॉकडाउन ने सब कुछ बर्बाद कर दिया. नतीजन वे फूलों को दिल्ली-गाजियाबाद मंडी तक भी नहीं पहुंचा पाए.

काश्तकारों को उठाना पड़ रहा है भारी नुकसान.

जहां कोरोना के कारण प्रवासी अपने गांव का रुख कर रहे हैं और सरकार इन्हें रोजगार से जोड़ने का प्रयास कर रही है. वहीं बसंत गहतोड़ी जैसे कई काश्तकार हैं जिन्हें सरकार से मदद की दरकार है. लिलियम की खेती की देख-रेख कर रहे बसंत गहतोड़ी की पत्नी शांति का कहना है कि उन्होंने पहली बार फूलों की खेती की. सोचा था अच्छी आय होगी. लेकिन लॉकडाउन के कारण उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा है.

पढ़ेंः अंग्रेजों के जमाने का हैंडपंप आज भी बुझा रहा है रामनगर के लोगों की प्यास

जिला उद्यान अधिकारी एनके आर्य का कहना है कि बसंत गहतोड़ी ने चार नाली भूमि में पॉलीहाउस पद्धति द्वारा लिलियम की खेती की थी. लेकिन लॉकडाउन के कारण वह इसे बेच नहीं पाए. इनको हुए नुकसान की सूचना शासन को भेज दी गई है.

चंपावत: कोरोना महामारी के चलते आर्थिक मंदी से देशभर में बुरा हाल है. लॉकडाउन के कारण हर वर्ग बुरी तरह प्रभावित है. काश्तकारों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. चंपावत में लिलियम की खेती करने वाले कई काश्तकारों को बाजार उपलब्ध न होने के कारण भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. इन्हीं काश्तकारों में एक है चौकी गांव का गहतोड़ी परिवार.

गहतोड़ी परिवार ने 10 लाख का लोन लेकर लिलियम की खेती शुरू की. लेकिन लॉकडाउन के कारण उन्हें बाजार उपलब्ध नहीं हो पाया. बसंत गहतोड़ी कहते हैं कि उन्होंने 30,000 बल्ब लिलियम के फूलों की प्रजाति हॉलैंड से मंगाए थे. पहली बार उन्होंने यह खेती की थी. खेती भी काफी अच्छी हुई. लेकिन लॉकडाउन ने सब कुछ बर्बाद कर दिया. नतीजन वे फूलों को दिल्ली-गाजियाबाद मंडी तक भी नहीं पहुंचा पाए.

काश्तकारों को उठाना पड़ रहा है भारी नुकसान.

जहां कोरोना के कारण प्रवासी अपने गांव का रुख कर रहे हैं और सरकार इन्हें रोजगार से जोड़ने का प्रयास कर रही है. वहीं बसंत गहतोड़ी जैसे कई काश्तकार हैं जिन्हें सरकार से मदद की दरकार है. लिलियम की खेती की देख-रेख कर रहे बसंत गहतोड़ी की पत्नी शांति का कहना है कि उन्होंने पहली बार फूलों की खेती की. सोचा था अच्छी आय होगी. लेकिन लॉकडाउन के कारण उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा है.

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जिला उद्यान अधिकारी एनके आर्य का कहना है कि बसंत गहतोड़ी ने चार नाली भूमि में पॉलीहाउस पद्धति द्वारा लिलियम की खेती की थी. लेकिन लॉकडाउन के कारण वह इसे बेच नहीं पाए. इनको हुए नुकसान की सूचना शासन को भेज दी गई है.

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