मसूरी/चमोलीः सौभाग्य और सुहाग का प्रतीक हरियाली तीज का पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है. हरियाली तीज का व्रत हर साल श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं और कन्याएं हरियाली तीज व्रत रखती हैं. मसूरी और चमोली में भी हरियाली तीज धूमधाम से मनाया गया है. इस दौरान युवतियां और महिलाएं सोलह श्रृंगार में सजी नजर आईं. साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों में जमकर थिरकीं. चमोली में तीज के मौके पर मेहंदी, डांस और भाषण प्रतियोगिताएं रखी गई. जिसमें पुलिस अधीक्षक श्वेता चौबे ने शिरकत की.
मसूरी में हरियाली तीज के मौके पर महिलाओं ने दिया पर्यावरण संरक्षण का संदेशः मसूरी स्प्रिंग रोड स्थित एक होटल के सभागार में हरियाली तीज का कार्यक्रम आयोजित किया गया. महिलाओं में तीज को लेकर अलग ही रौनक देखने को मिली. इस दौरान युवतियां और महिलाएं पारंपरिक परिधान में सजी नजर आईं. साथ ही महिलाओं ने झूला झूलकर सावन के गीत गाए. एक-दूसरे के हाथों पर मेहंदी भी रचाई.
तीज महोत्सव कार्यक्रम की संयोजिका महिला कांग्रेस अध्यक्ष जसबीर कौर ने बताया कि आधुनिक पीढ़ी हरियाली तीज का महत्व भूलती जा रही है. ऐसे में सभी को उत्तराखंड की संकृतिक को जीवंत बनाए रखना होगा. उन्होंने कहा कि तीज महोत्सव में महिलाओं को पौधरोपण के प्रति जागरूक किया. साथ ही सभी लोगों से अपने घरों के आसपास पेड़ लगाने का आह्वान किया गया. उन्होंने कहा कि पर्यावरण के बिना जीवन नहीं है. इसलिए सभी लोगों को पर्यावरण संरक्षण को लेकर कार्य करना चाहिए.
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पुलिस लाइन गोपेश्वर में तीज की धूमः गोपेश्वर स्थित शगुन वेडिंग पॉइंट और पुलिस लाइन में हरियाली तीज का कार्यक्रम आयोजित किया गया. जिसमें महिलाओं ने मां नंदा, भगवान शिव को समर्पित गीत और संगीत गाए. इस दौरान पुलिस अधीक्षक श्वेता चौबे ने कहा कि इस तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजनों से महिलाओं के आत्मविश्वास एवं उनके सम्मान को बढ़ावा मिलता है. जिसके चलते वो अपने घर परिवार की जिम्मेदारियों एवं देखभाल के साथ-साथ भारतीय त्योहारों को एक महोत्सव के रूप में मनाती हैं. ऐसे में वो सांस्कृतिक संवर्धन का भी अनूठा कार्य करती हैं.
बता दें कि सावन का महीना वैवाहिक जीवन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है. कुंवारी कन्याएं भी हरियाली तीज का व्रत रखती हैं. इस दौरान युवतियां और महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा विधि–विधान से करती हैं. धार्मिक मान्यता है यह व्रत करने से कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर प्राप्त होता है. साथ ही उनके विवाह में किसी प्रकार की अड़चन आ रही है तो वो अड़चन भी दूर होती है. वहीं, सुहागिन महिलाओं का वैवाहिक जीवन सुखमय गुजरता है.