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कोरोना इफेक्ट: पर्यटक नहीं पहुंच रहे सतोपंथ, झील किनारे त्रिदेवों ने की थी तपस्था

त्रिकोणीय आकार की सतोपंथ झील प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है, साथ ही इसका धार्मिक महत्व भी है. मान्यता है झील के किनारे भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने यहां तपस्या की थी.

Chamoli Satopanth Lake
चमोली सतोपंथ झील
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Published : Sep 15, 2020, 4:28 PM IST

चमोली: बदरीनाथ धाम से 25 किलोमीटर की पैदल दूरी पर स्थित सतोपंथ में प्राकृतिक सौन्दर्य से लबरेज है. जहां प्राकृतिक झील और हिमालय का नैसर्गिक सौन्दर्य सैलानियों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करता है. सबसे कठिन ट्रेकिंग रूट में शुमार इस क्षेत्र में हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु और सैलानी पहुंचते हैं. लेकिन इस साल कोरोना के चलते श्रद्धालु यहां तक नहीं पहुंच पाए रहे हैं. हालांकि, अब स्थानीय श्रद्धालु ही यहां पहुंच कर पवित्र झील में स्नान कर रहे हैं.

समुद्र तल से 4600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित सतोपंथ झील का सफर भारत चीन सीमा पर स्थित अंतिम गांव माणा से होकर गुजरता है. वसुधारा होकर इस ट्रेकिंग रूट पर जाया जाता है. हर साल सीजन पर इस ट्रेकिंग रूट में बड़ी संख्या पर्यटक पहुंचते थे. लेकिन इस साल कोरोना संक्रमण के चलते बदरीनाथ धाम की यात्रा देरी से शुरू हुई है और सीमित संख्या में ही यात्री बदरीनाथ धाम पहुंच रहे हैं. बाहरी राज्यों से कोई भी श्रद्धालु यहां नहीं पहुंच रहे हैं. अब मौसम साफ होने पर स्थानीय लोग सतोपंथ ट्रेकिंग पर जाने लगे हैं. हाल में ही सतोपंथ ट्रेकिंग से लौटे सुशील पंवार बताते हैं कि मौसम साफ होने से यहां पहुंचकर अद्भुत शांति का अहसास होता है.

पढ़ें-मिसाल : बंजर जमीन में की लेमन ग्रास की खेती, अब ऑयल से बनाएंगे सेनेटाइजर

इस साल कोरोना के चलते यहां पर्यटक नहीं आ रहे हैं. जिससे यह ट्रेकिंग रूट काफी साफ और सुथरा है. त्रिकोणीय आकार की सतोपंथ झील प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर तो है ही, साथ ही इसका धार्मिक महत्व भी है. माना जाता है कि झील के तीनों कोनों में भगवान ब्रह्मा,विष्णु और महेश ने तपस्या की थी. मान्यता है कि एकादशी के दिन त्रिदेव यहां स्नान करते हैं और उस दिन यहां स्नान का विशेष महत्व है. साथ ही इस दिन यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं.

चमोली: बदरीनाथ धाम से 25 किलोमीटर की पैदल दूरी पर स्थित सतोपंथ में प्राकृतिक सौन्दर्य से लबरेज है. जहां प्राकृतिक झील और हिमालय का नैसर्गिक सौन्दर्य सैलानियों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करता है. सबसे कठिन ट्रेकिंग रूट में शुमार इस क्षेत्र में हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु और सैलानी पहुंचते हैं. लेकिन इस साल कोरोना के चलते श्रद्धालु यहां तक नहीं पहुंच पाए रहे हैं. हालांकि, अब स्थानीय श्रद्धालु ही यहां पहुंच कर पवित्र झील में स्नान कर रहे हैं.

समुद्र तल से 4600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित सतोपंथ झील का सफर भारत चीन सीमा पर स्थित अंतिम गांव माणा से होकर गुजरता है. वसुधारा होकर इस ट्रेकिंग रूट पर जाया जाता है. हर साल सीजन पर इस ट्रेकिंग रूट में बड़ी संख्या पर्यटक पहुंचते थे. लेकिन इस साल कोरोना संक्रमण के चलते बदरीनाथ धाम की यात्रा देरी से शुरू हुई है और सीमित संख्या में ही यात्री बदरीनाथ धाम पहुंच रहे हैं. बाहरी राज्यों से कोई भी श्रद्धालु यहां नहीं पहुंच रहे हैं. अब मौसम साफ होने पर स्थानीय लोग सतोपंथ ट्रेकिंग पर जाने लगे हैं. हाल में ही सतोपंथ ट्रेकिंग से लौटे सुशील पंवार बताते हैं कि मौसम साफ होने से यहां पहुंचकर अद्भुत शांति का अहसास होता है.

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इस साल कोरोना के चलते यहां पर्यटक नहीं आ रहे हैं. जिससे यह ट्रेकिंग रूट काफी साफ और सुथरा है. त्रिकोणीय आकार की सतोपंथ झील प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर तो है ही, साथ ही इसका धार्मिक महत्व भी है. माना जाता है कि झील के तीनों कोनों में भगवान ब्रह्मा,विष्णु और महेश ने तपस्या की थी. मान्यता है कि एकादशी के दिन त्रिदेव यहां स्नान करते हैं और उस दिन यहां स्नान का विशेष महत्व है. साथ ही इस दिन यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं.

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