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देखो सरकार! ये है उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी का हाल, कंधों से सहारे हैं मरीज

ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण के सेरा तवाखर्क गांव में सड़क न होने से एक बीमार बुजुर्ग महिला और एक पुरुष को ग्रामीणों ने डोली की मदद से 7 किलोमीटर पैदल सफर तय कर अस्पताल पहुंचाया.

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Published : Aug 12, 2021, 1:55 PM IST

Updated : Aug 12, 2021, 3:41 PM IST

चमोली: प्रदेश के दूरस्थ गांवों में सड़क की समस्या से लोग जूझ रहे हैं. ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण के सेरा तवाखर्क गांव में सड़क न होने से एक बीमार बुजुर्ग महिला और एक पुरुष को ग्रामीणों ने डोली की मदद से 7 किलोमीटर पैदल सफर तय कर अस्पताल पहुंचाया.

बता दें कि, सेरा तेवाखर्क के भगवत सिंह (46) पुत्र कलम सिंह और सावित्री देवी (75) पत्नी मदन सिंह की तबीयत बिगड़ गई. जिसके बाद ग्रामीणों ने दोनों को डोली की मदद से 7 किमी पैदल चलकर उन्हें सड़क तक पहुंचाया. जहां से उन्हें गैरसैंण अस्पताल पहुंचाया गया. सेरा तवाखर्क गांव के ग्रामीणों ने लंबे समय से सड़क को लेकर आंदोलन भी किया. लेकिन नतीजा कुछ भी नहीं रहा. सड़क न होने के कारण इस तरह की समस्याओं से आए दिन दो-चार होना पड़ता है.

बीमार हुई बुजुर्ग तो 7 किमी पैदल चलकर पहुंचाया अस्पताल.

पढ़ें: 'जामताड़ा' के साइबर अपराधी समेत पुणे से दो अरेस्ट, लोगों को लगा चुके करोड़ों की चपत

ग्रामीणों ने बताया कि गांव में आए दिन बीमार बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं को इसी तरह से कंधों पर लादकर अस्पताल पहुंचाना और उनकी जान बचाना चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है. ग्रामीणों ने बताया कि इस वर्ष 17 लोगों को इसी तरह से ग्रामीणों द्वारा अस्पताल पहुंचाया गया.

चमोली: प्रदेश के दूरस्थ गांवों में सड़क की समस्या से लोग जूझ रहे हैं. ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण के सेरा तवाखर्क गांव में सड़क न होने से एक बीमार बुजुर्ग महिला और एक पुरुष को ग्रामीणों ने डोली की मदद से 7 किलोमीटर पैदल सफर तय कर अस्पताल पहुंचाया.

बता दें कि, सेरा तेवाखर्क के भगवत सिंह (46) पुत्र कलम सिंह और सावित्री देवी (75) पत्नी मदन सिंह की तबीयत बिगड़ गई. जिसके बाद ग्रामीणों ने दोनों को डोली की मदद से 7 किमी पैदल चलकर उन्हें सड़क तक पहुंचाया. जहां से उन्हें गैरसैंण अस्पताल पहुंचाया गया. सेरा तवाखर्क गांव के ग्रामीणों ने लंबे समय से सड़क को लेकर आंदोलन भी किया. लेकिन नतीजा कुछ भी नहीं रहा. सड़क न होने के कारण इस तरह की समस्याओं से आए दिन दो-चार होना पड़ता है.

बीमार हुई बुजुर्ग तो 7 किमी पैदल चलकर पहुंचाया अस्पताल.

पढ़ें: 'जामताड़ा' के साइबर अपराधी समेत पुणे से दो अरेस्ट, लोगों को लगा चुके करोड़ों की चपत

ग्रामीणों ने बताया कि गांव में आए दिन बीमार बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं को इसी तरह से कंधों पर लादकर अस्पताल पहुंचाना और उनकी जान बचाना चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है. ग्रामीणों ने बताया कि इस वर्ष 17 लोगों को इसी तरह से ग्रामीणों द्वारा अस्पताल पहुंचाया गया.

Last Updated : Aug 12, 2021, 3:41 PM IST
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