चमोली: 18 मई को बदरीनाथ धाम के कपाट वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ सुबह 4:15 पर ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिए जाएंगे. इससे पहले आज को गाड़ू घड़े के साथ आदिगुरु शंकराचार्य की भूमि जोशीमठ नृसिंग मंदिर से शंकराचार्य की पावन गद्दी योगध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर के लिए रवाना हुई. सोमवार की सुबह उद्धव जी और कुबेर जी की चल विग्रह डोलियों के साथ शंकराचार्य जी की गद्दी बदरीनाथ धाम के लिए निकलेगी. जिसके बाद 18 मई को ब्रह्ममहुर्त पर भगवान बद्रीविशाल के कपाट ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिये जाएंगे.
जोशीमठ के नृसिंह मंदिर में बदरीनाथ धाम के मुख्य पुजारी रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी की उपस्थिति में लक्ष्मी मंदिर में मां लक्ष्मी की विशेष पूजा अर्चना की गई. इस दौरान धर्माधिकारी, अपर धर्माधिकारी, वेद पाठी, स्थानीय हक हकुकधारियों के साथ-साथ कुल पुरोहित ने शंकराचार्य जी की गद्दी को रवाना करने से पहले वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पूजा अर्चना की.
परंपराओं के अनुसार कपाट खुलने से 2 दिन पूर्व आदि गुरु शंकराचार्य जी की पावन गद्दी हर्ष उल्लास के साथ जोशीमठ के नृसिंह मंदिर से पांडुकेश्वर के लिए रवाना की जाती है. लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते सीमित संख्या में गद्दी के दर्शनों के लिए भगवान बदरी विशाल के स्थानीय भक्त नृसिंह मंदिर पहुंचे.
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इस अवसर पर स्थानीय महिलाओं ने मांगलिक गीत गाकर भगवान बदरी विशाल की जयकारे लगाए. बता दें, इस साल भी मंदिर से जुड़े 50 लोगों को ही कपाट खुलने के अवसर पर धाम में मौजूद रहने की अनुमति मिली है. बदरीनाथ धाम के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल ने बताया कि कपाट खुलने के दौरान भगवान बदरी विशाल से कोरोना संक्रमण जैसी खतरनाक बीमारी को दूर करने का आह्वान किया जाएगा.