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चमोली: बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दे रहे सतेंद्र, 'अंकु की पाठशाला' दिया नाम

कोरोना काल में ही चमोली जनपद के बीए प्रथम वर्ष के छात्र सत्येंद्र गांव में पाठशाला लगा रहे हैं, जिसमें वो कक्षा 1 से कक्षा 5 के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दे रहे हैं.

Chamoli Free Education
अंकु की पाठशाला
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Published : Sep 29, 2020, 7:59 PM IST

चमोली: कोरोना काल में जहां प्रदेश के सभी शिक्षण संस्थान बंद हैं. वहीं, चमोली जनपद के पढेर गांव के सतेंद्र नेगी बच्चों को निःशुल्क पढ़ा रहे हैं. उन्होंने गांव में ही अंकु की पाठशाला नाम से कक्षाएं शुरू की हैं, जो लगातार 5 महीने से चल रही हैं.

बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दे रहे सतेंद्र.

सत्येंद्र अभी स्नातकोत्तर महाविद्यालय गोपेश्वर में बीए की पढ़ाई कर रहे हैं. कोरोना संक्रमण के चलते घोषित हुए लाकडाउन के कारण कालेज बंद होने से वह भी गोपेश्वर से अपने गांव लौट आए. जहां उन्होंने अंकु की पाठशाला नाम देकर गांव के बच्चो को निःशुल्क पढ़ाना शुरू कर दिया.

बता दें कि मार्च से सभी स्कूल बंद होने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो गई है, जिसको देख घाट ब्लॉक के पढेर गांव निवासी 17 वर्षीय सतेंद्र नेगी ने गांव के बच्चों को पढ़ाने की योजना बनाई. इसके लिए उन्होंने अंकु की पाठशाला नाम से कक्षाएं चलाना शुरु कर दिया. अभिभावकों ने भी अपने बच्चों को यहां भेजना शुरू कर दिया. मई महीने से शुरू हुई अंकु की पाठशाला निरंतर चल रही है. पढेर गांव के ग्राम प्रधान पुष्पेंद्र नेगी बताते हैं कि सत्येंद्र बच्चों को निःशुल्क को पढ़ा रहे हैं. पढेर गांव और पड़ोसी गांव बुरा के एक से आठवीं तक के करीब 70 बच्चे इस पाठशाला में पढ़ने के लिए हर रोज आ रहे हैं.

पढ़ें- पीएम मोदी ने त्रिवेंद्र सरकार की थपथपाई पीठ, कहा- 'नई सोच-नई अप्रोच' पर फोकस

सत्येंद्र कहते हैं कि वो एक से पांचवीं तक के सभी विषय पढ़ा लेते हैं, जबकि छठी से आठवीं तक अंग्रेजी इतिहास और भूगोल भी पढ़ाता है. क्योंकि वो इन्हीं विषयों से बीए की पढ़ाई कर रहे हैं. इसीलिए इन विषयों को पढ़ाने में उसे कोई दिक्कत नहीं आती. उन्होंने बताया कि पाठशाला का नाम 'अंकु की पाठशाला' नाम रखने की खास वजह है. उन्होंने बताया कि उनकी मां उन्हें प्यार से अंकु बुलाती है. इस लिए उन्होंने अपनी पाठशाला का नाम 'अंकु की पाठशाला' रखा है.

चमोली: कोरोना काल में जहां प्रदेश के सभी शिक्षण संस्थान बंद हैं. वहीं, चमोली जनपद के पढेर गांव के सतेंद्र नेगी बच्चों को निःशुल्क पढ़ा रहे हैं. उन्होंने गांव में ही अंकु की पाठशाला नाम से कक्षाएं शुरू की हैं, जो लगातार 5 महीने से चल रही हैं.

बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दे रहे सतेंद्र.

सत्येंद्र अभी स्नातकोत्तर महाविद्यालय गोपेश्वर में बीए की पढ़ाई कर रहे हैं. कोरोना संक्रमण के चलते घोषित हुए लाकडाउन के कारण कालेज बंद होने से वह भी गोपेश्वर से अपने गांव लौट आए. जहां उन्होंने अंकु की पाठशाला नाम देकर गांव के बच्चो को निःशुल्क पढ़ाना शुरू कर दिया.

बता दें कि मार्च से सभी स्कूल बंद होने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो गई है, जिसको देख घाट ब्लॉक के पढेर गांव निवासी 17 वर्षीय सतेंद्र नेगी ने गांव के बच्चों को पढ़ाने की योजना बनाई. इसके लिए उन्होंने अंकु की पाठशाला नाम से कक्षाएं चलाना शुरु कर दिया. अभिभावकों ने भी अपने बच्चों को यहां भेजना शुरू कर दिया. मई महीने से शुरू हुई अंकु की पाठशाला निरंतर चल रही है. पढेर गांव के ग्राम प्रधान पुष्पेंद्र नेगी बताते हैं कि सत्येंद्र बच्चों को निःशुल्क को पढ़ा रहे हैं. पढेर गांव और पड़ोसी गांव बुरा के एक से आठवीं तक के करीब 70 बच्चे इस पाठशाला में पढ़ने के लिए हर रोज आ रहे हैं.

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सत्येंद्र कहते हैं कि वो एक से पांचवीं तक के सभी विषय पढ़ा लेते हैं, जबकि छठी से आठवीं तक अंग्रेजी इतिहास और भूगोल भी पढ़ाता है. क्योंकि वो इन्हीं विषयों से बीए की पढ़ाई कर रहे हैं. इसीलिए इन विषयों को पढ़ाने में उसे कोई दिक्कत नहीं आती. उन्होंने बताया कि पाठशाला का नाम 'अंकु की पाठशाला' नाम रखने की खास वजह है. उन्होंने बताया कि उनकी मां उन्हें प्यार से अंकु बुलाती है. इस लिए उन्होंने अपनी पाठशाला का नाम 'अंकु की पाठशाला' रखा है.

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