चमोली: ऑल वेदर सड़क निर्माण एजेंसियों द्वारा पर्यावरण को लगातार नुकसान पहुंचाए जाने की शिकायतें सुप्रीम कोर्ट को मिल रही थी. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने एक हाई पावर कमेटी गठित की थी. जिसके अध्यक्ष रवि चोपड़ा की रिपोर्ट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा चारधाम सड़क चौड़ीकरण परियोजना यानी ऑल वेदर रोड की चौड़ाई 12 मीटर से घटाकर 5.5 किए जाने का फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद स्थानीय लोगों में निराशा हैं.
स्थानीय लोगों का कहना है कि ऑल वेदर सड़क परियोजना का कार्य अब खत्म होने वाला है. सड़क पर हिल कटिंग का कार्य 80 फ़ीसदी पूरा हो चुका है. कोर्ट के इस फैसले के बाद कई स्थानों पर सड़क चौड़ी नहीं हो पाएगी.
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वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश पुजारी ने प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार सरकार से एक बार फिर पुराने मानकों पर ही सड़क कटिंग कार्य किए जाने को लेकर उच्चतम न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की मांग उठाई है. उनका कहना है कि ऑल वेदर सड़क परियोजना चारधाम आने वाले यात्रियों के लिए फायदेमंद है. साथ ही ये सड़क भारत-चीन सीमा से जुड़े होने के चलते सामरिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है.
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मामले पर चिपको आंदोलन के प्रणेता पद्मभूषण और पर्यावरणविद चंडी प्रसाद भट्ट का कहना है कि कमेटी के अध्यक्ष रवि चोपड़ा सहित कई भू वैज्ञानिकों द्वारा चारधाम सड़क परियोजना के भूस्खलन जोनों पर गहनता से अध्ययन करने के बाद ही रिपोर्ट उच्चतम न्यायालय को सौंपी गई है. जिसके आधार पर ही सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला सुनाया है. उन्होंने कहा उत्तरी हिमालय की पहाड़ियां अभी छोटे बच्चे की भांति हैं, जो कि विकसित हो रही हैं. अगर उनके साथ छेड़छाड़ की गई तो गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं.