चमोली/देहरादून: उत्तराखंड के चमोली जिले में रविवार सुबह को आई तबाही के बाद पूरा फोकस सुरंग में फंसे हुए लोगों को बचाने में है. बीते तीन दिनों से यहां पर रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. आईटीबीपी, एसडीआरएफ, बीआरओ, एनडीआरएफ समेत सेना के जवान दिन- रात सुरंग से मलबा निकालने में लगे हुए हैं. रेस्क्यू टीम जैसे-जैसे सुरंग में अंदर जा रही है उनके लिए चुनौती और बढ़ती जा रही है. मलबा अधिक होने के कारण रेस्क्यू टीम सुरंग में अंदर जाने के लिए तीसरा रास्ता खोज रही है.
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A Hyderabad based team has got a remote sensing device that can detect debris up to 500 metres deep in the ground. We are using the device with the help of a chopper: Ashok Kumar, DGP #Uttarakhand pic.twitter.com/klnUYdQwq1
— ANI (@ANI) February 9, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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— ANI (@ANI) February 9, 2021
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रेस्क्यू ऑपरेशन की चुनौती
रेस्क्यू टीम के सामने सबसे बड़ी समस्या तपोवन में बनी निर्माणाधीन सुरंग के अंदर पहुंचना है. क्योंकि यहां पर 35 से ज्यादा लोगों के फंसे होने की सूचना है. समस्या ये है कि सुरंग दोनों तरफ से मलबे से अटी पड़ी हुई है. तीन दिनों में सिर्फ 150 मीटर का रास्ता ही साफ किया गया है. जबकि सुरंग की लंबाई ढाई किमी है और उसमें भी कई मोड़ हैं. ऐसे में अंदाजा नहीं लग पा रहा है मलबा कितनी दूर तक है.
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All 12 persons rescued by Indo-Tibetan Border Police (ITBP) on 7 February discharged today from 1st Battalion ITBP, Joshimath, Uttarakhand today: ITBP
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डीजीपी अशोक कुमार भी पिछले तीन दिन से ग्राउंड जीरो पर ही डटे हुए थे. मंगलवार को ही वो देहरादून पहुंचे हैं. उन्होंने बताया है कि सुरंग से मलबा कब तक हटाया जा सकता है, इसके बारे में भी कुछ भी सटीक नहीं बताया जा सकता है. इंजीनियरों को टनल में जाने के लिए वैकल्पिक रास्ता बनाने को भी कहा है. आज इसका प्रयास करेंगे. मशीनें एक घंटे में 5 से 10 मीटर मलवा ही निकाल पा रही हैं.
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सुरंग में फंसे लोगों के जीवित होने की उम्मीद
डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि टनल 2.5 किलोमीटर लंबी है, इसलिए ये मत सोचें कि उसमें पानी और ऑक्सीजन जल्द खत्म हो जाएगा. इस बात के भी कयास लगाए जा रहे हैं कि जिस तरह से ग्लेशियर का सैलाब 20 मिनट तक चला उसके हिसाब से पानी वाला मलवा टनल के आधे हिस्से तक ही पहुंच सकता है. ऐसे में टनल में फंसे जो लोग दूर वाले छोर पर चले गए होंगे वह शायद जीवित हो सकते हैं.
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30 dead bodies have been recovered. Search operation is on for the missing. We are searching river bed & debris. Today, three bodies were recovered from the debris in Raini village including our police personnel: Ashok Kumar, DGP #Uttarakhand pic.twitter.com/W1JRvXHwdC
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दो पुलिसकर्मी सहित 31 के शव बरामद
डीजीपी अशोक कुमार के मुताबिक अभीतक 31 लोगों के शव बरामद हो चुके हैं, जिसमें से दो उत्तराखंड पुलिस के जवान हैं.
कई गांवों का संपर्क कटा
बाढ़ के साथ जो मलबा आया था उसमें नीती घाटी को जोड़ने वाले बीआरओ के पुल के अलावा कई छोटे पुल भी धरासाई हो गए थे. जिससे करीब 13 गांवों का संपर्क जिला और तहसील मुख्यालय से टूट गया है. हालांकि रोप पुल के सहारे उनको वैकल्पिक मार्ग आवाजाही के लिए दिया गया है. इसी रास्ते ग्रामीणों को राहत खाद्य सामग्री भेजी जा रही है.
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About 35 people are stuck inside the tunnel, we're trying to drill and make way via rope to reach them. We have recovered 2 more bodies, total death count 28 so far. Uttarakhand CM Trivendra Singh Rawat pic.twitter.com/kIUAraxZHB
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— ANI (@ANI) February 9, 2021About 35 people are stuck inside the tunnel, we're trying to drill and make way via rope to reach them. We have recovered 2 more bodies, total death count 28 so far. Uttarakhand CM Trivendra Singh Rawat pic.twitter.com/kIUAraxZHB
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सीएम भी पहुंचे देहरादून
आपदा प्रभावित क्षेत्र का निरीक्षण करने के बाद मंगलवार को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत भी देहरादून पहुंच गए हैं. उन्होंने बताया कि 31 शव बरामद कर लिए गए हैं, जिसमें से दो शवों की शिनाख्त हो पाई है. इसके साथ ही 175 लापता लोगों के रेस्क्यू का कार्य जारी है. पुल बहने के बाद जिन क्षेत्रों का संपर्क कट गया है वहां पर वैकल्पिक रास्ता तैयार किया गया है. खाद्य सामग्री और मेडिकल सुविधा पहुंचाने के लिए रास्ता तैयार हो गया है. ड्रिल करके टनल के अंदर जाने की कोशिश की जा रही है. जिसकी प्रक्रिया भी शुरू हो गई है.