नैनीताल: चमोली की पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी की बर्खास्तगी का मामला उत्तराखंड हाईकोर्ट तक पहुंच गया है. रजनी भंडारी ने सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट ने याचिका दाखिल की थी, जिस पर 31 जनवरी को उत्तराखंड हाईकोर्ट के वेकेशन जज न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा की एकलपीठ ने सुनवाई की. एक फरवरी को भी इस मामले पर बहस होगी.
मामले के अनुसार पूर्व जिला अध्यक्ष रजनी भंडारी ने अपनी याचिका में सरकार के 25 जनवरी के आदेश पर रोक लगाने और पद पर बहाल करने की मांग की है. मंगलवार को भंडारी की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने पैरवी की. अधिवक्ता कामत ने अदालत को बताया कि रजनी भंडारी को हटाने से पूर्व पंचायती राज अधिनियम के प्रावधानों का पालन नहीं किया गया है. जांच में भी पंचायती राज नियमावली का उल्लंघन किया गया है. याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि वह निर्वाचित पदाधिकारी हैं और उन्हें राजनीतिक विद्वेष के चलते हटाया गया है.
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मामले के अनुसार, पूर्व ब्लॉक प्रमुख नंदन सिंह बिष्ट की शिकायत पर जांच की सिफारिश के बाद पंचायती राज विभाग की ओर से 25 जनवरी को एक आदेश जारी करके रजनी भंडारी को चमोली जिला पंचायत अध्यक्ष पद से हटा दिया गया था. उन पर वर्ष 2012-13 में नंदाराजजात यात्रा मार्ग पर विकास कार्यों संबंधी निविदाओं में गड़बड़ी का आरोप है.
आरोप है कि उन्होंने इस दौरान अपने दायित्व का उचित निर्वहन नहीं किया है. याचिका में यह भी कहा गया है कि एक व्यक्ति की शिकायत पर सरकार ने उन्हें पद से हटा दिया गया, जबकि इस मामले में अभी तक कोई प्रारंभिक जांच तक नहीं हुई और न ही सरकार ने इस मामले में कोई जांच कराई. बता दें कि रजनी भंडारी बदरीनाथ से कांग्रेस विधायक राजेंद्र भंडारी की पत्नी हैं.
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